देश और कर्नाटक में बढ़ती असहिष्णुता के माहौल को देखते हुए लेखक और आलोचक जी. राजशेखर ने कर्नाटक साहित्य अकादमी अवॉर्ड ठुकरा दिया है। राजशेखर के लिए इस पुरस्कार की घोषणा मंगलवार को हुई।
खराब स्वास्थ्य से उबर रहे राजशेखर ने 'द हिंदू' से बात करते हुए कहा कि साल 2015 में कई लेखकों ने देश में बढ़ती असहिष्णुता और हिंसा के चलते पुरस्कार वापस लौटा दिए। तथ्य ये है कि स्थिति सुधरी नहीं है, बल्कि लगातार खराब होती गई है।
उन्होंने कहा, 'पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों के प्रति समर्थन जताने के लिए मैंने कर्नाटक साहित्य अकादमी अवॉर्ड स्वीकार न करने का फैसला किया है।'
बता दें कि कर्नाटक साहित्य अकादमी के लिए जी. राजशेखर की किताब 'बहुवचन भारत' को चुना गया है। इस किताब में समकालीन राजनीतिक मुद्दों और साहित्य पर लेख शामिल हैं।
राजशेखर ने कहा, 'दक्षिणपंथी ताकतें असहमति की आवाजों को केवल दबा रही हैं, बल्कि उनकी कोशिश है कि असहमति की कोई भी आवाज न उठे। देश में पहले से ही असहिष्णुता के मुद्दे पर बहस चल रही है। उत्तर प्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक के घर पर हमले से लेकर कर्नाटक के तटीय जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति पर हमला बताता है कि स्थिति बदली नहीं है।'