आरटीआई के तहत खुलासा हुआ है कि नोटबंदी का फैसला बेहद खरब तैयारी के साथ लागू किया गया था। 8 नवंबर को फैसले के ऐलान के दिन आरबीआई के पास 2 हजार के नोटों के तौर पर सिर्फ 4,94,640 करोड़ रुपये की करेंसी छप कर तैयार थी।
रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को चलन से 500 व 1000 की करंसी रद्द करने की घोषणा की थी। उस दिन दो हजार के नोटोंके तौर पर सिर्फ 4,94,640 करोड़ रुपये करेंसी के तौर पर छप कर तैयार थे।
यह जबाब आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को आरबीआई ने दिया है। मोदी के इस फैसले से सिर्फ आम आदमी परेशान नहींहुए बल्किभारतीय रिजर्व बैंक को भी 500 और 1000 मूल्य की 20,51,166.52 करोड़ की करंसी पर पानी फेरना पड़ा है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारतीय रिजर्व बैंक को नई और पुरानी करेंसी को लेकर विभिन्न जानकारी मांगी थी। भारतीय रिजर्व बैंक की केंद्रीय लोकसूचना अधिकारी पी विजयकुमार ने अनिल गलगली को बताया कि जिस दिन यानी 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी उस वक्तभारतीय रिजर्व बैंक के पास नए 500 रुपए मूल्य की करंसी नहीं थी। नए 2000 रुपए मूल्य की कुल करंसी की संख्या 24732 करोड़ की थी और उसकी कुल कीमत 4,94,640 करोड़ थी।
वहीं जिस दिन यानी 8 नवंबर को नोटबंदी की गई उस वक्त भारतीय रिजर्व बैंक के पास 10, 20, 50, 100, 500 और 1000 रुपये के मूल्य के कुल करंसी की संख्या 12,42,300.1 करोड़ थी जिसकी कुल कीमत 23,93,753.39 करोड़ थी।
इसमें से 500 और 1000 मूल्य की करंसी की संख्या 3,18,919.2 करोड़ थी जिसकी कुल कीमत20,51,166.52 करोड़ थी। यानी कुल मौजूद करंसी की 86 प्रतिशत करंसी नोटबंदी से रद्द हुई। जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने सिर्फ नई 2000 रुपए मूल्य की कुल 24732 करोड़ करंसी छापी थी जिसकी कीमत 4,94,640 करोड़ हैं।
अनिल गलगली के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक की जानकारी के आधार पर सरकार ने इतना बड़ा फैसला लेने के पहले किसी भी तरह का अध्ययन तो किया ही नहीं अव्यावहारिक दृष्टिकोण से काम किया क्योंकि जो मौजूदा करंसी भारतीय रिजर्व बैंक के पास थी उसका 86 प्रतिशत का हिस्सा नोटबंदी के चलते चलन से बाहर हुआ औरउसकी पूर्ति करने के लिए सरकार ने उसकी तुलना में 24.11 प्रतिशत की सिर्फ 2000 रुपए मूल्य की करंसी छापी। अनिल गलगली ने इसे अविवेकपूर्ण फैसला बताते हुए भविष्य में इसतरह के आपदा से बचने की सरकार से अपील की.