नई दिल्ली। जब भी किसी सरकारी नौकरी के लिए विज्ञापन दिया जाता है तो लाखों की संख्या में उसके लिए उम्मीदवारों के फॉर्म आते है। लेकिन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगरपालिका में सफाई कर्मचारी की नौकरी निकली तो एक लाख 10 हजार लोगों ने इसके लिए आवेदन भेजा।
बता दें कि सफाई कर्मचारी बनने की चाहत रखने वालों में बड़ी संख्या ऐसे लोग भी हैं जिनके पास एमबीए, बीटेक सहित दूसरी कई परास्नातक डिग्रियां हैं। ऐसा भी नहीं है कि ये कोई पक्की नौकरी है और अभ्यर्थी सरकारी नौकरी के लालच में इसे हासिल करना चाहते हैं। नगरपालिका के विज्ञापन के अनुसार चयनित उम्मीदवारों को ठेके पर रखा जाएगा। साथ ही सभी इच्छुक अभ्यर्थियों को नियुक्ति से पहले के प्रायोगिक परीक्षा देनी होगी। इसके साथ ही उम्मीदवारी की भारी तादाद के चलते अंतिम नियुक्ति होने में करीब दो साल लग सकता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद नगरपालिका में करीब 119 पद रिक्त हैं। वहीं प्रदेश के बाकी जिलों में भी करीब 100-100 सफाई कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। इस पद के लिए आवदेन करने के लिए तय की गई न्यूनतम योग्यता के अनुसार हिंदी पढ़-लिख सकने वाले युवक इसके लिए आवदेन कर सकते हैं। ये अलग बात है कि इस पद के लिए इतने पढ़े लिखे लोगों ने आवेदन किया है जो संभवतः देश की सभी प्रतिष्ठित नौकिरियों के लिए आवेदन करने की पात्रता रखते हैं।
वहीं रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद नगरपालिका ने हर रोज 250 प्रत्याशियों को प्रायोगिक परीक्षा के लिए बुला रहा है। इलाहाबाद नगरपालिका के अतिरिक्त म्यूनिसिपल कमिश्नर ओपी श्रीवास्तव ने टीओआई को बताया कि बड़ी संख्या में उच्च-शिक्षित युवकों ने इस पद के लिए आवेदन किया है। अगर छुट्टियों को ध्यान में रखा जाए तो इतनी संख्या में हर रोज प्रायोगिक परीक्षा लेने में नगरपालिका को करीब दो साल लग जाएंगे।
आपको बता दें कि केंद्रीय श्रम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश की बेरोजगारी दर 2015-16 में पांच फीसद पर पहुंच गई है। ये दर पिछले पांच साल का सर्वोच्च स्तर है। महिलाओं के मामले में बेरोजगारी दर उल्लेखनीय रूप से 8.7 फीसद के उच्च स्तर पर, जबकि पुरुषों के संदर्भ में यह 4.3 फीसद रही। आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा से भी देश के असंगठित क्षेत्र के रोजगार पर मार पडऩे की आशंकाएं जताई जा रही हैं।
Courtesy: National Dastak