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बेटियों ने उठाई पिता कि अर्थी, रूढ़िवाद पर करारा तमाचा

नई दिल्ली। यूपी के बनारस में एक नई और अद्भुत सोच सामने आयी। ये सोच रूढ़िवादियों को चुभ सकती है। ये वाकया उन कुंठित सोचवालों के मुह पर जोरदार तमाचा है जो ये मानते हैं कि मरने के बाद माता-पिता को मोक्ष बेटों के हाथ से ही मिलती है। 
 
बनारस शहर के भदैनी मोहल्ले में रहने वाले 70 साल के योगेश चंद्र उपाध्याय का गुरुवार के दिन देहांत हो गया। दरअसल योगेश चंद्र उपाध्याय राजस्थान के धौलपुर में अपनी बेटी गरिमा के पास इलाज करा रहे थे। गरिमा पीसीएस हैं। इलाज के दौरान ही योगेश चंद्र की मौत हो गयी। 
 

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योगेश चंद्र उपाध्याय का कोई बेटा नहीं है केवल पांच बेटियां हैं। एक बेटी बैंककर्मी है तो एक कनाडा में रहती है। अंतिम वक्त पर पिता के पास 4 बेटियां मौजूद थीं। 
 
लेकिन हमारे समाज को तो बेटों के हाथ से ही मोक्ष पाने की आदत है और ये प्रथा सदियों से चली आ रही है। ऐसे में सवाल उठाना लाजमी था की योगेश चंद्र को कंधा कौन देगा? और अंतिम संस्कार कौन करेगा?
 

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मगर 21वीं सदी की इन बेटियों को इस सवाल ने परेशान नहीं किया। उन्होंने पीढ़ियों से चली आ रही एक रूढ़िवादी परम्परा तोड़ते हुए अपने पिता की अर्थी को न केवल कंधा दिया, बल्कि हरिश्चंद्र घाट पर पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार भी किया। पिता की अर्थी लेकर निकली इन बेटियों को देखकर लोग अतिभवुक हो गए और खुद को इन्हे प्रणाम करने से रोक नहीं सके।

Girls doing antim sanskar
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Courtesy: National Dastak

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