देश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बीच, जानी-मानी बॉक्सर और राज्यसभा सांसद मैरी कॉम ने अपने बेटों के नाम खुला पत्र लिखा है जिसमें बताया है कि उनके साथ भी शारीरिक छेड़छाड़ हुई थी।
बलात्कार और यौन हिंसा के बारे में जागरूकता फैलाने के इरादे से लिखे गए इस पत्र में मैरी कॉम ने लिखा है- मेरे बेटो, तुम अभी नौ और तीन साल के हो, लेकिन इस उम्र में हमें अपने आपको महिलाओं के साथ व्यवहार को लेकर जागरूक हो जाना चाहिए।
मैरी कॉम का ये पत्र हिंदुस्तान टाइम्स में छपा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि उनके साथ सबसे पहले मणिपुर में छेड़छाड़ हुई, फिर दिल्ली और हरियाणा के हिसार में। उन्होंने लिखा है कि एक दिन वे सुबह साढ़े आठ बजे साइकिल रिक्शा से ट्रेनिंग कैंप जा रही थीं, तभी एक अजनबी अचानक उनकी तरफ लपका और उसने उनके स्तन पर हाथ मारा। गुस्से में आकर मैरी कॉम ने उसका पीछा किया लेकिन वो भाग निकला। पत्र में मैरी कॉम ने उसे न पकड़ पाने पर दुख भी जताया क्योंकि वे तब तक कराटे सीख चुकी थीं।
एक अन्य ऐसी ही घटना मैरी कॉम के साथ तब हुई जब वे 17 वर्ष की थीं। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने अपने देश के लिए बहुत नाम कमाया और पदक विजेता के रूप में पहचान बनाई लेकिन वे एक महिला के तौर पर भी इज्जत चाहती हैं।
मैरी कॉम ने पत्र में लिखा कि “बेटो, तुम्हारी तरह मुझे भी दो आँखें और एक नाक है। हमारे शरीर के कुछ हिस्से भिन्न है और यही वो चीज है जो हमलोगों को अलग करती है। हम अपने दिमाग का इस्तेमाल अन्य पुरूषों की तरह सोचने के लिए करते हैं और हम अपने हृदय से महसूस करते हैं जैसा कि तुम करते हो। स्तन छूने और नितंब थपथपाने को मैं पसंद नहीं करती। ऐसा मेरे और मेरे दोस्त के साथ दिल्ली और हरियाणा में ट्रेनिंग कैंप से बाहर टहलने के दौरान हुआ।”
“इससे क्या फर्क पड़ता है कि मैं क्या पहनती हूँ और दिन और रात के कब कहाँ जाती हूँ। महिलाओं को बाहर जाने से पहले क्यों सोचना चाहिए? ये दुनिया जितना तुम्हारे लिए है, उतनी ही मेरी भी है। मैं कभी नहीं समझ सकी कि महिलाओं को छूने से पुरुषों को किस तरह का आनंद मिलता है। अब तुम बढ़ रहे हो तो मैं ये बताना चाहती हूँ कि छेड़छाड़ और रेप अपराध है और इसका दंड काफी कठोर है। अगर तुम देखते हो कि किसी युवती से छेड़छाड़ हो रही है तो मेरा आग्रह है कि तुम उस युवती की सहायता करो। ये सबसे दुखद बात है कि हम समाज के प्रति बेपरवाह होते जा रहे हैं। दिल्ली में एक युवती की चाकुओं से गोद-गोदकर हत्या कर दी गई जबकि वहाँ लोग उसकी मदद कर सकते थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।”
पत्र में मैरी कॉम ने अपने बच्चों को पारिवारिक जिम्मेदारियों के बारे में भी समझाने की कोशिश की है। उन्होंने लिखा है, “तुम ऐसे घर में पले-बढ़े हो जहाँ हम लोगों ने तुम्हें सम्मान और समानता के बारे में सिखाया है। तुम्हारे पिता नौ बजे से पाँच तक नौकरी नहीं करते जैसा कि तुम्हारे दोस्तों के पिता करते हैं। तुम्हारे पिता इसलिए घर पर रहते हैं कि हम दोनों में से किसी एक को तुम लोगों के पास होना जरूरी होता है। ट्रेनिंग और काम के दौरान मैं ज्यादातर वक्त बाहर बिताती हूँ। अब जबकि मैं सांसद हूं तब भी ऐसा ही होता है। मेरे मन में तुम्हारे पिता के लिए बहुत सम्मान है जिन्होंने मेरे लिए और तुम्हारे लिए अपना पूरा समय लगा दिया है। तुम लोग जल्द ही ‘हाउस हसबैंड’ शब्द सुनोगे जो न तो कलंक है और न ही अपमानजनक। तुम्हारे पिता मेरी ताकत हैं, मेरे पार्टनर हैं, और मेरे हर फैसले का वे समर्थन करते हैं…।”
पत्र में मैरी कॉम ने पूर्वोत्तर के लोगों को चिंकी कहकर बुलाए जाने पर भी नाराजगी जताई है और इसे नस्लवादी टिप्पणी कहा है। उन्होंने लिखा है कि तमाम प्रसिद्धि के बावजूद लोग उन्हें उस तरह से नहीं पहचानते जिस तरह से वे क्रिकेटरों को पहचानते हैं, और लोग उन्हें चीनी समझ लेते हैं। सुश्री कॉम ने राज्यसभा का सांसद होने पर गर्व व्यक्त किया है और कहा है कि इस अवसर का लाभ उठाकर वे यौन अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने की कोशिश करेंगी।
मैरी कॉम ने लिखा है कि इस देश के बच्चों को ये बताना उनका कर्तव्य है कि महिलाओं के शरीर पर केवल उनका हक है और उनके साथ किसी तरह की जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए। बलात्कार का सेक्स के साथ कोई संबंध नहीं है, ये भी सबको समझना चाहिए। वे लिखती है कि मैं छेड़खानी करने वालों की पिटाई कर सकती हूँ, लेकिन सवाल ये है कि ऐसी स्थिति बनती ही क्यों है।
पत्र के अंत में मैरी कॉम ने ऐसे समाज के निर्माण का आग्रह किया है कि जिसमें लड़कियाँ सुरक्षित हों और सम्मानित हों।