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ब्राह्मण टीचर नहीं दे रहा यादव बच्चे को दाखिला

ब्राह्मणवाद स्कूलों में निचले स्तर पर आज भी इस हद तक फैला है कि पंडितजी अब भी ओबीसी के बच्चों को पढ़ने-पढ़ाने से रोकते हैं। ताजा मामला तब सामने आया जब गोंडा के एक छोटे से बच्चे रामानुज यादव ने जिले के कलेक्टर को पत्र लिखकर बताया कि गाँव के स्कूल का हेडमास्टर शुक्ला उसका एडमीशन नहीं कर रहा है और अपमानित करके भगा देता है।


 
गोंडा जिले के लव्वाटेपुरा के खोदीपुरवा गाँव के रामानुज यादव ने परेशान होकर जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर अपनी व्यथा बताई है। रामानुज ने लिखा है कि मैं पढ़ना चाहता हूँ, लेकिन जब भी मैं गाँव के जूनियर हाईस्कूल दाखिले के लिए जाता हूँ तो हेडमास्टर शुक्ला गालियाँ देकर भगा देता है और कहता है कि पढ़-लिखकर कौन-सा तू मुख्यमंत्री बन जाएगा, जा जाकर खेत में काम कर।

रामानुज पाँचवीं कक्षा पास कर चुका है और छठी कक्षा के लिए गाँव के जूनियर हाईस्कूल में दाखिला चाहता है, लेकिन खोदीपुरवा के हेडमास्टर हरिराम शुक्ला का कहना है कि ओबीसी और एससी को पढ़ाई-लिखाई से दूर ही रहना चाहिए और खेतीबाड़ी का काम ही करना चाहिए या मजदूरी करनी चाहिए। वर्ण व्यवस्था को लागू करने में जुटा हेडमास्टर गाँव के सभी ओबीसी और एससी विद्यार्थियों के साथ ऐसा ही रवैया अपनाता है।

रामानुज अपने पिता देवीप्रसाद यादव और अपने बाबा को लेकर भी दाखिले के लिए गया लेकिन हेडमास्टर हरिराम शुक्ला ने तब भी उसका नाम दर्ज नहीं किया और साफ कह दिया कि उसके रहते रामानुज का नाम नहीं लिखा जाएगा।

रामानुज कलेक्टर के नाम लिखी अपनी चिट्ठी लेकर साइकिल से कलेक्टर कार्यालय आया और कलेक्टर के न मिलने पर अधिकारियों को उसने अपनी चिट्ठी पढ़कर सुनाई। रामानुज का कहना है कि पिछले सात-आठ दिन से हरिराम शुक्ला उसे ऐसे ही भगा देता है। हैरानी की बात है एक तरफ अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून बन चुका है, दूसरी तरफ शुक्ला जैसे शिक्षक आज भी शिक्षा जगत में जातिभेद लागू किए हैं और बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर रहे हैं।

रामानुज की शिकायत को बीएसए शिवेंद्र सिंह ने गंभीर बताया है और आश्वासन दिया है कि मामले की जाँच की जाएगी और हेडमास्टर हरिराम शुक्ला को नोटिस भेजा जाएगा।

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