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ब्राह्मणों ने उठाई आरक्षण खत्म करने की माँग

 उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज ने जाति आधारित आरक्षण खत्म करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश ब्राह्मण महासभा ने रविवार को मेरठ में सवर्ण समाज महासम्मेलन में जाति आधारित आरक्षण खत्म करने और आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किये जाने की माँग की।

ब्राह्मण महासभा ने इस सम्मेलन के जरिए बाकी सवर्ण जातियों को भी अपने साथ लेने की कोशिश की है, जिसके जरिए जातिगत आरक्षण खत्म करने की माँग उठाई जा सके। वैसे तो सवर्ण समाज महासम्मेलन का आयोजन पूरी तरह से ब्राह्मण महासभा ने ही किया था, लेकिन इसमें पाँच सवर्ण समुदायों के लोग आमंत्रित किए गए थे। पंजाबी समाज, वैश्य महासभा, क्षत्रिय विकास सभा, कायस्थ महासभा, और त्यागी महासभा के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।

इस सम्मेलन के राजनीतिक निहितार्थ भी देखे जा रहे हैं क्योंकि क्षत्रिय, कायस्थ और त्यागी समुदायों का रुझान भाजपा की ओर कुछ कम रहा है और इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी इनक रुझान भाजपा की ओर होता नहीं दिख रहा है। 

ब्राह्मण महासभा के संयोजक जयभगवान शर्मा का कहना है- "हमारी माँग एकदम साफ है। हम ऐसी सरकार चाहते हैं जो जाति आधारित आरक्षण हटा दे। मौजूदा आरक्षण प्रणाली देश में प्रतिभाओं को मार रही है। हमें मेरिट आधारित व्यवस्था चाहिए जिसमें सबसे ज्यादा अंक पाने वाले बच्चे को अपने मनपसंद कॉलेज और मनपसंद विषय में दाखिला मिल सके। आधुनिक समाज में जाति आरक्षण की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।"

एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के उभार को देश के लिए खतरनाक मानने वाले जयभगवान शर्मा ने कहा, "अगर आरक्षण होना ही है, तो वो आर्थिक आधार पर होना चाहिए। क्रीमीलेयर लागू करने से भी कुछ नहीं हुआ है क्योंकि लोग आरक्षण का दुरुपयोग करते हैं। हम माँग करते हैं कि गरीब परिवारों के हर तबके बच्चों को आरक्षण दिया जाए, और जाति आधारित आरक्षण खत्म किया जाए।"

महासम्मेलन में परोक्ष रूप से पाँचों उच्च जातियों को ये समझाने की कोशिश की गई कि भारतीय जनता पार्टी ही जातिगत आरक्षण हटा सकती है, और इसके लिए सही समय का इंतजार कर रही है। इन समुदायों को सलाह दी गई कि वो ब्राह्मणों के वर्चस्व बढ़ने की बातों में न पड़ें, और भाजपा को मजबूत करते रहें ताकि भाजपा समय आने पर जातिगत आरक्षण खत्म कर सके।

इस महासम्मेलन के जरिए उच्च जातियों के समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की ओर बढ़ते रुझान को पलटने की भी कोशिश की गई। अधिकतर वक्ताओं ने परोक्ष रूप से आरक्षण व्यवस्था के लिए इन्हीं दलों को जिम्मेदार बताने की कोशिश की।

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