भागलपुर। बिहार के भागलपुर में गुरूवार को सांप्रदायिक हिंसा की घटना होते-होते रह गई। जिला प्रशासन की नासमझी के कारण गणतंत्र दिवस के दिन भागलपुर शहर के दक्षिणी क्षेत्र स्थित अम्बे गांव के समीप सरकारी तालाब पर प्रशासन व हिंदुओं के बीच हिंसक झड़प हुई तथा अफरा-तफरी की स्थिति बन गई।
दरअसल तालाब के उत्तरी किनारे पर लगभग 40 वर्ष पुरानी हनुमान जी के मूर्ति को प्रशासन बलप्रयोग करते हुए हटा रहा था। स्थानीय लोगों को विश्वास में लिये बगैर किये जा रहे इस प्रशासनिक कृत्य का लोगों ने जमकर विरोध किया। इस कारण पुलिस और लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई। पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया और इससे जब लोगों का आक्रोश और बढ़ गया तो पुलिस ने कई राउंड हवाई फायर भी किया। दोनों तरफ से हुई पत्थरबाजी में पुलिस बल और आम लोगों को चोटें आयी हैं।
लोगों का कहना है कि तालाब के समीप पहाड़ी पर दो-तीन वर्ष पूर्व मस्जिद बनायी गई है। जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर 40 वर्ष पूर्व स्थापित मूर्ति को हटाने को हिंदुओं ने एकतरफा कार्रवाई मानते हुए इसे मुस्लिम तुष्टीकरण का मामला बताते हुए तूल दिया और मामले ने सांप्रदायिक रूप लेना शुरू कर दिया। इसके बाद लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई और बेकाबू हो गई।
बताया जा रहा है कि मामला जमीन खरीद-बिक्री का तथा कब्जा मुक्त करने का है, लेकिन मौकापरस्त लोगों द्वारा इसे दो कौम का विवाद बता अफवाह फैलाई गई। शांति एवं सदभाव मंच (जमात-ए-इस्लामी-हिन्द) की ओर से डॉ. सलमान हिन्दी तथा कुमार संतोष द्वारा घटना स्थल पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लेने के बाद बयान जारी कर इसे प्रशासनिक चूक का संगीन मामला बताते हुए, दोनों संप्रदायों से शांति-सदभाव बनाये रखने की अपील की है। न्याय मंच ने भी लोगों से शांति बनाये रखने और अफवाहबाजों से सावधान रहने तथा गैरजिम्मेदार ढंग से काम करने वाले प्रशासनिक पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
बताया जा रहा है कि तीन दिन पूर्व ही टूटी हुई मूर्ति बदली गई थी और नई मूर्ति स्थापित की गई थी। इसकी जानकारी पुलिस को मिली तो भागलपुर सदर एसडीओ कुमार अनुज भारी संख्या में पुलिस बल लेकर गणतंत्र दिवस के दिन ही पहुँचे और मामले को गहराई में जाकर समझे बगैर आनन-फानन में मूर्ति हटा दिया। इसकी खबर मिलते ही आस-पास के लोग भड़क उठे और विरोध करने लगे। इसी क्रम में एसडीओ के हिन्दू संप्रदाय को टारगेट कर दिये गए वक्तव्य से आहत होकर लोग और भी उग्र हो गये। अंततः प्रशासन को पुनः उसी स्थान पर मूर्ति लगानी पड़ी। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए भगवा ब्रिगेड के लोग सोशल मीडिया और समाज में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने में लग गये हैं और इस पूरे मामले का सांप्रदायीकरण करने पर उतारु हैं। फिलहाल मामला शांत हो गया है किन्तु भगवा ब्रिगेड की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए स्थिति कभी भी नियंत्रण से बाहर होने की आशंका जतायी जा रही है।
Courtesy: National Dastak