नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालाधन और भ्रष्टाचार की बात कहकर 8 नवंबर 2016 को अचानक देश से 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए, जिसके बाद से ही देश में कोहराम मचा हुआ है।
कहीं लोग पैसों के लिए तड़प रहे हैं तो कहीं पैसों की वजह से लोगों की जानें जा रही हैं। लेकिन इन सबके बीच एक चीज जो सबसे ज्यादा चौकाने वाली है, वह है नोटबंदी के बाद देश के कई इलाकों में बीजेपी के नेताओं से नए नोटों का बरामद होना।
एक दिन पहले ही कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स की टीम ने बीजेपी नेता मनीष शर्मा और कुछ अन्य आरोपियों को 33 लाख की नई करेंसी के साथ रानीगंज कोयला बेल्ट से गिरफ्तार किया था।
इससे पहले तमिलनाडु में भाजपा की युवा इकाई के एक नेता जेवीआर अरुण बीस लाख रुपए की नई करेंसी के साथ गिरफ्तार हुए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के नोटबंदी के फैसले का बढ़चढ़ कर स्वागत किया था। पुलिस को उनके पास से करीब 20 लाख रुपए के नए नोट मिले जिसका कोई स्रोत वे बता नहीं सके थे।
इससे पहले आठ नवंबर को महाराष्ट्र के सोलापुर स्थित लोक मंगल समूह की एक कार से 91.50 लाख रुपये नकद बरामद हुए हैं। इस समूह के प्रमुख वरिष्ठ बीजेपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री सुभाष देशमुख हैं।
एक तरफ तो बीजेपी कालाधन की बात करती है वहीं दूसरी तरफ नोटबंदी के बाद से बीजेपी के नेताओं के पास से ही नए नोट बरामद हो रहे हैं। इसके बाद सवाल उठता है कि बीजेपी के पास इतनी ज्यादा मात्रा में नए नोट कहां से आ गए।
आम जनता दो-दो हजार के लिए लाइन में लग रही है और भाजपा नेताओं के पास लाखों रुपए के नए नोट मिल रहे हैं। बैंक कह रहे हैं उनके पास नकदी नहीं है, एटीएम बंद पड़े हैं और भाजपा नेताओं के पास नोटबंदी के पहले ही दो-दो हजार के गुलाबी नोट पहुंचा दिए गए हैं।
पीएम मोदी ने 8 नवंबर को देश के संबोधन में कहा था कि नोटबंदी की बात को गुप्त रखा गया है लेकिन उसके बाद भाजपा के नेताओं के पास नए नोटों के मिलने से भाजपा पर सवाल उठना लाजिमी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या उन्हें ये पैसे नोटबंदी के पहले ही दे दिए गए हैं या फिर नोटबंदी के बाद सरकार या बैंक उनके पुराने नोटों के बदले उन्हें स्पेशल डिलीवरी दे रहे हैं?
Courtesy: National Dastak