उत्तर प्रदेश। यह आत्महत्या का महिमामंडन नहीं है। लेकिन आत्महत्या दुख और भावनात्मक लाचारी के चरम से पार कर जाने के बाद का कदम है। इसे जो लोग मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति का लक्षण मानते हैं, वे शायद सही ही कहते होंगे…क्योंकि वे ऐसा मानते होंगे…!
उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहनेवाली 40 साल की औरत तब आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई जब उसके बलात्कार का वीडियो सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट वॉट्सऐप पर वायरल हो गया।
गीता स्वास्थ्यकर्मी 'आशा' थी। जिसकी वजह से उसे कभीकभार घर पहुँचने में देर सबेर हो जाती थी। गीता को गावं का ही एक लड़का काफी दिनों से परेशान कर रहा था। जिसकी शिकायत उसने अपनी सहेली से भी की थी कि कोई उसे परेशान कर रहा है।
उसके कुछ दिन बाद ही उस लड़के ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर महिला से बलात्कार किया और उसका वीडियों भी बना लिया। यहाँ तक तो सब ठीक था महिला आपने आरोपियों के खिलाफ केस भी दर्ज कराने वाली थी। लेकिन उससे पहले ही आरोपियों ने महिला के बलात्कार का वीडियो वायरल कर दिया। जिसे देखकर महिला सहन नहीं कर सकी और आत्महत्या कर ली।
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फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल साइटों पर महिलाएं भरोसा करें भी तो कैसे? जिस तरह से सोशल मीडिया का दुरूपयोग हो रहा है ऐसे में किसी का भी डरना और आत्महत्या करना स्वाभाविक है। सब एक समान लड़ने वाले नहीं हो सकते या यूँ कहें कि सब गदीर नहीं हो सकती तो गलत नहीं होगा ।
सारी लड़कियां गदीर नहीं होतीं। मिस्र की गदीर ने अपनी एक दोस्त के यहां मस्ती में झूमते-नाचते हुए अपना वीडियो बनाया और अपने ब्वॉय फ्रेंड को भेजा। तीन साल बाद रिश्ता टूटा तो उस लड़के ने उस वीडियो को यूट्यूब पर डाल कर बदनाम करने की कोशिश की। भरोसा टूटने पर गदीर पहले दुखी हुईं, फिर उन्होंने यूट्यूब पर डाले गए वीडियो की कोई फिक्र नहीं की, बल्कि खुद ही फेसबुक पर अपलोड कर दिया और लड़के का शानदार सामना किया। बाद में गदीर ने हिज़ाब उतार फेंका और महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ी।
लड़की की सार्वजनिक से लेकर निजी जिंदगी तबाह हो जाती है, वह जान भी दे दे सकती है। सारी लड़कियां गदीर नहीं होतीं। हमारे भारत में किसी लड़के को भरोसा देने के बाद ब्लैकमेलिंग की शिकार लड़की के टूट जाने से लेकर जान दे देने तक के किस्से आम हैं। लेकिन गदीर हो जाने में क्या दिक्कत है…!
घर की दहलीज और जंजीरों से बाहर आने वाली आज की लड़की के लिए भी यह आज की हकीकत है। उसके लिए यह तय करना मुश्किल है कि वह कैसे किसी लड़के की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाए। वह दोस्ती की भूख में भरोसा करेगी और उधर कौन किस शक्ल में खालिस मर्द निकल जाएगा, नहीं पता। जहां भरोसा करो, वहीं से मवाद फटने की तरह बलबलाती-बजबजाती हुई मर्दानगी बहने लगती है।
Courtesy: National Dastak
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