जवान तेज़ बहादुर यादव,
भारत पाकिस्तान सीमा पर कहीं,
29वीं बटालियन,
सीमा सुरक्षा बल।
जब मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूँ, और यह पत्र आप तक पहुँचे, तब तक हो सकता है कि सच बोलने के जुर्म में आपका दोबारा कोर्ट मार्शल हो रहा हो। हो सकता है कि आपकी सेवा ख़त्म हो गई हो। मुमकिन है कि इस बीच आतंकवाद से लड़ते हुए आप शहीद हो चुके हों और आपकी मृत देह ताबूत में आपके गाँव लाई जा रही हो, जहाँ नेता लोग भारत माता की जय बोलकर देशभक्ति दिखाने के लिए बेताब हों। मुमकिन है कि इस बीच बर्फ़ में ड्यूटी करते हुए आप मर चुके हों और आपकी लावारिस देह गल रही हो।
ये सारी संभावनाएँ वाजिब हैं। आपने जो रास्ता चुना है, उसमें ये सब कुछ संभव है।
आप सीमा पर माइनस टेंपरेचर में देह गला रहे होते हैं, इसलिए ही तो नेता और अफ़सर मौज कर पाते हैं। हमें मालूम है कि उनके बच्चे सेना और फ़ोर्स में जवान नहीं बनते।
जब सीमा पर कोई हमला होता है और मरने वालों के नाम सरकार ज़ाहिर करती है तो हम समझ जाते हैं कि आप कौन हैं, जिनकी वजह से देश चैन की नींद सोता है और नेता, अफ़सर, उद्योगपति गुलछर्रे उड़ाते हैं।
आप लगभग हमेशा किसान, कारीगर, पशुपालक, परिवार के लोग होते हैं। आप ही हैं जो देश का पेट भरते हैं और देश को सुरक्षित भी रखते हैं।
आपकी जय।
भारत के इतिहास के पिछले 50 साल को छोड़ दें, तो यह हार और अपमान का इतिहास रहा है। एक हज़ार घुड़सवार भी सीमा पर आ जाते थे तो भारत के शासक ज़मीन पर लेट जाते थे। हमलावरों को बहन बेटियाँ सौंप देते थे। उनके दरबार के नवरत्न बन जाते थे।
बाक़ी देश चुपचाप अपमान के घूँट पी लेता था क्योंकि बहुजनों के शस्त्र धारण करने पर धर्म ने पाबंदी लगा रखी थी।
भारतीय इतिहास में आज सीमाएँ सबसे सुरक्षित हैं क्योंकि तेजबहादुर यादव और नीलेश कांबली और वीर सिंह पटेल और जितेंद्र मौर्य और रमेश बिंद और दिनेश पासवान सीमा पर तैनात है। अब भारत कोई युद्ध नहीं हार सकता।
देश अगर इन जवानों का एहसानमंद है, जो कि होना चाहिए, तो उनकी तनख़्वाह बढ़ाए। उचित पेंशन दे। उनकी सुविधाओं का ख़्याल रखे।
उनकी सेवादार यानी अर्दली की ड्यूटी बंद हो। जिनके हाथ में मशीनगन होती है, वे लोग अफ़सरों के घरों में कुत्ते टहलाते शोभा नहीं देते।
देश को तेजबहादुर यादव का सम्मान करना चाहिए। वह जली रोटी का हक़दार नहीं है। वह हमारा रक्षक है।
उसे सलाम। उसका अभिनंदन।
एक एहसानमंद भारतीय