नफरत की आग भडक़ाने वाले एक वीडियो ने बजरंग दल के कार्यकताओं को बिहार के छपरा जिले में मुसलमानों पर कहर ढाने का मौका दे दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में एक युवक को हिंदू देवी-देवियों की मूर्तियों पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। इसके बाद तो स्थानीय बजरंग दल कार्यकर्ताओं की बन आई और उन्होंने पहले छपरा और फिर एकमा और दाउदपुर में मुसलमानों के खिलाफ जबरदस्त हिंसा शुरू कर दी। हमलों के शिकार लोगों का कहना है कि आईजी कुंदन कृष्णन के आकर मोर्चा संभालने तक राज्य प्रशासन मूक दर्शक रहा। प्रशासन की दंगाइयों से मिलीभगत साफ दिखी।
छपरा में छह अगस्त (शनिवार) की दोपहर को सांप्रदायिक नफरत का घिनौना चेहरा उभर आया। उस दोपहर इस शहर की सडक़ों पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं का हूजूम उमड़ पड़ा। उपद्रवियों ने मुसलमानों की दुकानों और सामानों को तोडऩा-फोडऩा, आग लगाना और लूटना शुरू कर दिया। दंगाई- वहां चोट करो जहां सबसे ज्यादा दर्द हो – वाली थ्योरी पर काम कर रहे थे। इन भयंकर हमलों ने मुस्लिम समुदाय के कई लोगों को आर्थिक तौर पर पूरी तरह बरबाद कर दिया। उस छोटे इलाके में दुकानों में आगजनी और लूट की वजह से डेढ़ से दो करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। अकेले राष्ट्रीय जनता दल के छपरा अध्यक्ष बलाघल मोबिन की ही चार दुकानें लूट ली गईं।
इस हिंसा से प्रभावित मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सबरंगइंडिया को बताया कि आगजनी और लूट से 54 दुकानें प्रभावित हुई हैं, जबकि सारण के एसपी पंकज कुमार राज का दावा था कि हमले में सिर्फ 15 दुकानें नष्ट हुईं। उन्होंने बताया कि हिंसा फैलाने के लिए 100 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। हिंसा रोकने के उपायों के तहत जिला प्रशासन ने आठ अगस्त तक इंटरनेट कनेक्शन काट दिया।
हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में हालात को काबू करने के लिए तुरंत आईजी कुंदन कृष्णन को उतारा गया। कृष्णन को बुलाने का मकसद प्रभावित लोगों में विश्वास बहाल करना था। मुंबई में सबरंगइंडिया से बातचीत के दौरान कृष्णन ने कहा कि प्रशासन ने मकेर के एक युवा के खिलाफ वारंट जारी कर दिया है। उस युवक पर हिंसा की आग भडक़ाने के मकसद से वीडियो वायरल करने का आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने कहा कि तुरंत कार्रवाई में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा जाएगा। हालांकि आईजी ने यह माना कि हिंसा की इस घटना से प्रशासन में स्थानीय समुदाय का विश्वास डिगा है। हिंसा करने वाले तत्वों की ओर से जो नुकसान और विनाश किया गया, वह अफसोसनाक है। लेकिन प्रशासन की त्वरित पहल की वजह से हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। खुशकिस्मती से सारण जिले में सांप्रदायिक हिंसा का कोई इतिहास नहीं रहा है।
छपरा-सारण में तोडफ़ोड़ और आगजनी तब फैली जब मकेर (छपरा से 20 किलोमीटर दूर) के एक युवक की ओर से भेजे गए वीडियो में उसे हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करते हुए दिखाया गया था। उसका यह वीडियो वायरल हो गया। युवक की लोकेशन कर्नाटक के किसी जगह पर ट्रैक की गई। प्रशासन इस खतरनाक शरारत को अंजाम देने वाले युवक को पकडऩे की कोशिश में लगा है। इस वीडियो की तुरंत और बढ़-चढ़ कर प्रतिक्रिया हुई । बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने हिंदू समुदाय के एक वर्ग को भावनाएं आहत करने का हवाला देकर गोलबंद करना शुरू कर दिया। हिंसा करने वाले भीड़ जुटा कर मुसलमानों पर अपना गुस्सा उतारने लगे।
छपरा के लोगों ने इस मामले में पुलिस की मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि जहां से आगजनी और लूट की घटनाएं शुरू हुईं वहां से पुलिस थाना 20 मीटर दूर था। स्थानीय थाने के पास 20 शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिन्हें एफआईआर में तब्दील किया गया है।
स्थानीय निवासियों ने सबरंग इंडिया को घटना की तस्वीरें भेजी हैं।
शनिवार, 6 अगस्त को बजरंग दल के 500 कार्यकर्ताओं ने एक मशाल जुलूस निकाला। मोटरबाइक पर सवार ये बजरंग दल कार्यकर्ता शहर भर में घूमे और उस दिन छपरा बंद का आह्वान किया। आगजनी और लूट की घटना मशहूर हथवा मार्केट से शुरू हो गई, जो पुलिस स्टेशन से महज 20 मीटर की दूरी पर था। चश्मदीदों ने सबरंगइंडिया को बताया कि हथवा मार्केट की तोड़-फोड़, लूट और आगजनी में मुस्लिमों की दुकानों को चुन-चुन कर नुकसान पहुंचाया गया। हिंसा में साहेबगंज की जामा मस्जिद के मुख्य दरवाजे को नष्ट कर दिया गया। कुछ अपुष्ट रिपोर्टों के मुताबिक पवित्र कुरान के कुछ पन्ने भी फाड़ दिए गए थे।
लूटपाट में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। वे भी लूटपाट करने वाली भीड़ का हिस्सा थीं। भीड़ ने पुलिस वाहनों को भी नहीं छोड़ा और पटना से हालात काबू करने के लिए भेजे गए आईजी कृष्णन पर भी हमला किया। आखिरकार नीतीश प्रशासन ने हालात काबू करने के लिए आईटीबीपी और रैपिड एक्शन फोर्स को उतारा।
इस मामले में स्थानीय विधायक सीएन गुप्ता और सांसद राजीव प्रताप रुड़ी की चुप्पी को लेकर गंभीर आशंका और चिंता जताई जा रही है। 2014 में लालू यादव की पत्नी और बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकीं राबड़ी देवी ने यहां से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में जनता दल (यू) के सलीम परवेज भी खड़े हुए थे और अल्पसंख्यक वोटों का एक हिस्सा उनक पाले में चला गया था।
छपरा, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के मुस्लिम-यादव गठबंधन वाला मजबूत गढ़ रहा है। इसलिए वहां इस तरह की घटना पार्टी के लिहाज से बेहद चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश यहां से 14 किलोमीटर दूर है। इस राज्य में 2017 में होने वाले चुनाव को लेकर भी यह नीतीश गठबंधन के लिए चिंता की बात है। राजधानी पटना भी इससे सटा हुआ है।
(लेखक पेशे से डॉक्टर हैं और गलोबल पीस ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हुए हैं।)