छत्तीसगढ़ में वन विभाग के पौधारोपण अभियान के तहत बाँटें गए करोड़ों रुपए खर्च हो गए और अब कोई अधिकारी ये तक बता पाने की स्थिति में नहीं है कि आखिर जो पौधे लगाए गए थे, वो गए कहाँ? पौधे कहाँ लगाए गए, ये भी अफसरों को पता नहीं है।
राजधानी सहित पूरे राज्य में इस साल बारिश के दौरान पौधारोपण के लिए वन मुख्यालय ने सभी जिलों को कुल मिलाकर 23 करोड़ रुपए बांटे थे। अभियान खत्म हुए लगभग दो महीने बीत चुके हैं लेकिन अब मुख्यालय लगाए गए पौधों का ब्यौरा पूछ रहा है तो जिलों के अधिकारी चुप्पी साधे हैं।
हैरानी की बात ये है कि इस साल पौधारोपण के लिए बांटे गए 23 करोड़ रुपयों का हिसाब तो मिला नहीं, ऊपर से वन विभाग ने अगले साल के लिए 25 करोड़ रुपए और जारी कर दिए हैं।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 करोड़ अगले साल के लिए बिना किसी प्रस्ताव जिलों को बाँट दिए गए हैं, और अब यह पता चला है कि इस साल पौधारोपण के लिए दिए गए 23 करोड़ रुपए का अब तक हिसाब ही नहीं मिला है।
इस तरह छत्तीसगढ़ में पूरे पौधारोपण अभियान ही कागज पर चलता दिख रहा है। वन विभाग ने पहली बार उद्योगों से सीएसआर फंड से मिले पैसों का उपयोग पौधारोपण के लिए किया था, लेकिन वह रकम भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।
पिछले साल तक वन विभाग अपनी नर्सरी में पौधे तैयार करवाए थे और उन्हें जिलों में बांटकर पौधरोपण करवाया। इस बार 10-12 फुट के पौधों की खरीदी करवाई गई। इस सब में करोड़ों रुपए भी खर्च किए गए, लेकिन कोई भी हिसाब देने को तैयार नहीं है।
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के पौधारोपण के लिए विभाग ने रायपुर और दुर्ग जिलों को तीन-तीन करोड़ दिए गए थे।
वन विभाग ने इस साल चार-चार सौ रुपए में एक-एक पौधे की खरीदी की थी, जो कि अपने आप में कई सवाल खड़े करती है। इतने महंगे पौधे का साइज 10-12 फुट तय किया गया था। पौधों की कीमत के साथ ही उनकी ऊँचाई और मोटाई भी तय की गई थी, लेकिन पता चला है कि छोटे-छोटे पौधे खरीदकर उनका भुगतान कर दिया गया। यही कारण है कि अफसर यह नहीं बता रहे हैं कि कहाँ और किस साइज के पौधे लगाए गए। ऐसे में अगले साल के लिए 25 करोड़ रुपए जारी कर देना बड़े घोटाले का संकेत है।
Source: Dainik Bhaskar