एम-रामनाथन | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/एम-रामनाथन-10408/ News Related to Human Rights Sat, 23 Jul 2016 05:21:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png एम-रामनाथन | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/एम-रामनाथन-10408/ 32 32 अफवाहबाज सियासत से खोखला होता देश https://sabrangindia.in/aphavaahabaaja-saiyaasata-sae-khaokhalaa-haotaa-daesa/ Sat, 23 Jul 2016 05:21:10 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/07/23/aphavaahabaaja-saiyaasata-sae-khaokhalaa-haotaa-daesa/ चेन्नई की तकनीकी विशेषज्ञ की हत्या के मामले में जिस तरह धर्म और जाति संबंधी अतिवादी कयास लगाए गए, वह एक खतरनाक नतीजे की ओर ले जाने वाला अभियान था। चेन्नई में इन्फोसिस की एक कर्मचारी स्वाति की जघन्य हत्या के मामले में जो संदिग्ध गिरफ्तार हुआ, उसका नाम राम कुमार है। यह शुरू में […]

The post अफवाहबाज सियासत से खोखला होता देश appeared first on SabrangIndia.

]]>
चेन्नई की तकनीकी विशेषज्ञ की हत्या के मामले में जिस तरह धर्म और जाति संबंधी अतिवादी कयास लगाए गए, वह एक खतरनाक नतीजे की ओर ले जाने वाला अभियान था।

चेन्नई में इन्फोसिस की एक कर्मचारी स्वाति की जघन्य हत्या के मामले में जो संदिग्ध गिरफ्तार हुआ, उसका नाम राम कुमार है। यह शुरू में साफ कर देना इसलिए जरूरी है कि इस मसले पर जिस तरह की प्रतिक्रिया सामने आई, वह एक खास राजनीतिक माहौल से पैदा हुई एक ऐसी जटिलता है, जिसका खमियाजा समाज को लंबे समय तक भुगतना पड़ सकता है।

कुछ समय पहले स्वाति की हत्या के दो दिन बाद एक अनजान हिंदू दक्षिणपंथी वेबसाइट ने 'चेन्नई लव-जिहाद के अन्य पीड़ितों को आतंकित करने के लिए इन्फोसिस की लड़की की आइएसआइएस की तर्ज पर क्रूर हत्या' शीर्षक से एक लेख छापा। कोई सबूत पेश किए बगैर इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि यह हत्या 'लव-जिहाद' का मामला है।

आमतौर पर सांप्रदायिकता और कोरी अफवाह से लैस इस किस्म की रिपोर्टों की जगह कूड़ेदान में होनी चाहिए। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस लेख के छपने के कुछ ही घंटों के के भीतर दक्षिणपंथी हिंदू समर्थक इंटरनेट पर ऑनलाइन सक्रिय हो गए और साजिश संबंधी अपने-अपने कयासों के साथ इसे व्यापक रूप से साझा किया। इस रिपोर्ट में कथित 'लव जिहाद' का संदर्भ देते हुए हिंदुओं की दयनीय दशा का जिक्र किया गया और उन्हें पीड़ित की शक्ल में चित्रित किया गया। इससे प्रेरित होकर कई अन्य हिंदू दक्षिणपंथी वेबसाइटों ने मामले को अपने हिसाब से रंग देना शुरू किया और बिना किसी मजबूत आधार के उत्तेजक शीर्षकों के साथ लेख छापे। मसलन- 'क्या इन्फोसिस की कर्मचारी स्वाति की हत्या एक लव जिहादी ने की'? हिंदू कट्टरपंथियों की जमात में यह मान लिया गया कि स्वाति की हत्या एक मुसलमान ने की और स्वाति चूंकि ब्राह्मण थी, इसलिए द्रविड़-बहुल तमिलनाडु ने किसी ने भी उसकी खोज-खबर लेना जरूरी नहीं समझा।

इस किस्म की आधारहीन धारणा का आलम यह था कि ब्राह्मण जाति के उच्च वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोकप्रिय हास्य अभिनेता वाई जी महेंद्रा ने भी इस घटना से संबंधित वाट्स-ऐप के एक मैसेज को फेसबुक पर एक पोस्ट के रूप में डाल दिया।

इस मामले में विडंबना यह है कि पूरी तरह से अपुष्ट होने के बावजूद हत्यारे को मुसलमान बताया जाता रहा और मृतक की जाति का उल्लेख करते हुए जाति के आधार पर पहचान की संस्कृति पर लानत भेजी गई। इस बात को लेकर भी हल्ला मचाया गया कि मीडिया ने इस घटना की अनदेखी की। जबकि यह बात पूरी तरह से झूठ है। अखबारों के मुख्य पृष्ठ और राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर इस घटना का पर्याप्त जिक्र हुआ।

और जब इस किस्म के दावों की झूठ सामने आने लगी तो यह कहा जाने लगा कि आप हत्यारे के बारे में क्यों नहीं बात कर रहे। क्या इसलिए कि वह एक मुसलमान है? यह सब उस समय हो रहा था, जब चेन्नई पुलिस तक हत्यारे को लेकर मुतमइन नहीं थी, जैसा कि बाद में सामने आया भी।

जब हत्या के संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया तो उसका नाम रामकुमार निकला। अब जाति और धर्म के नाम पर चलाए गए अभियान के बारे में क्या कहा जाएगा और इस अभियान से नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कैसे की जाएगी।
लेकिन इस बीच इन्हीं अफवाहों से उत्तेजित होकर ब्राह्मण संगठन भी इस विवाद में कूदे और अंधानार मुनेत्र कड़गम के सदस्यों ने मृतक के माता-पिता से मुलाकात की और मीडिया को बाकायदा इसके लिए आमंत्रित भी किया गया। उन्होंने एक प्रेस-विज्ञप्ति भी जारी की, जिसमें कहा गया कि कैसे एक निर्दोष ब्राह्मण लड़की की अनुचित तरीके से अज्ञात व्यक्ति द्वारा हत्या कर दी गई। उन्होंने सरकार से ब्राह्मण महिलाओं की सुरक्षा का व्यापक प्रबंध करने की मांग की। मजेदार यह है कि इसमें लोगों को हत्या के मामले में जाति-धर्म के बारे में बात करने से बचने की सलाह दी गई। डीएमके नेता एमके स्टालिन ने भी मृतक के परिवार से मुलाकात की।

यह सच है कि देश के दूसरे हिस्सों की तरह संख्या के आधार पर तमिलनाडु में भी ब्राह्मण अल्पसंख्यक हैं और उनकी राजनीतिक शक्ति सीमित है। इसके बावजूद एक समुदाय के रूप में मध्यम वर्ग अपने असुरक्षाबोध को जाहिर करता रहता है। लेकिन सवाल है कि वे अपनी पीड़ा और कम प्रतिनिधित्व के लिए दूसरे समुदायों पर आरोप क्यों लगाते हैं?

हत्यारे की पहचान को लेकर हम सब अंधेरे में थे। वह कोई भी हो सकता था। लेकिन गिरफ्तारी के बाद सबकी आंखें खुल जानी चाहिए। जो हो, लेकिन देश की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और तमिलनाडु की राजनीति के इतिहास के मद्देनजर हिंदू ब्राह्मणों के लिए मुसलमानों पर उंगली उठाना अनुचित है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि मध्यवर्ग में इस घटना को लेकर आए उबाल की वजह से इस तरफ लोगों का ध्यान गया। मद्रास उच्च न्यायालय ने सावधानी बरतते हुए पुलिस को कार्रवाई करने को कहा था। लेकिन सच यह है कि इस मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ और सांप्रदायिक अफवाह फैला कर एक खतरनाक कदम बढ़ा दिया गया है।
 

The post अफवाहबाज सियासत से खोखला होता देश appeared first on SabrangIndia.

]]>