महेंद्र नारायण सिंह यादव | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/महेंद्र-नारायण-सिंह-यादव-11128/ News Related to Human Rights Fri, 04 Nov 2016 05:45:49 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png महेंद्र नारायण सिंह यादव | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/महेंद्र-नारायण-सिंह-यादव-11128/ 32 32 मारे गए सिमी सदस्यों के पास हथियार नहीं थे- एटीएस चीफ संजीव शमी https://sabrangindia.in/maarae-gae-saimai-sadasayaon-kae-paasa-hathaiyaara-nahain-thae-etaiesa-caipha-sanjaiva/ Fri, 04 Nov 2016 05:45:49 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/11/04/maarae-gae-saimai-sadasayaon-kae-paasa-hathaiyaara-nahain-thae-etaiesa-caipha-sanjaiva/ भोपाल सेंट्रल जेल से फरार हुए 8 सिमी सदस्यों के एनकाउंटर का मामले के फेक होने के पक्ष में एक और सबूत सामने आ रहा है।  मामले की जाँच कर रहे मध्य प्रदेश एटीएस चीफ संजीव शमी ने कहा है कि जिन 8 सिमी सदस्यों को स्पेशल टास्क फोर्स ने मुठभेड़ में मारा था उनके […]

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भोपाल सेंट्रल जेल से फरार हुए 8 सिमी सदस्यों के एनकाउंटर का मामले के फेक होने के पक्ष में एक और सबूत सामने आ रहा है।  मामले की जाँच कर रहे मध्य प्रदेश एटीएस चीफ संजीव शमी ने कहा है कि जिन 8 सिमी सदस्यों को स्पेशल टास्क फोर्स ने मुठभेड़ में मारा था उनके पास कोई हथियार नहीं था। 

Bhopal Encounter

इससे पहले भोपाल पुलिस के आईजी योगेश चौधरी ने कहा था कि मारे गए लोगों के पास चार देसी पिस्तौलें थीं और वे पुलिस पर फायरिंग कर रहे थे। खास बात ये भी है कि संजीव शमी के टीम के सदस्य भी एनकाउंटर करने वाली टीम के करीब थे। एनडीटीवी की खबर के मुताबिक शामी ने कहा, “मैं अपने बयान पर कायम हूं और सिर्फ तथ्यों पर बात करता हूं।”

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र सरकार ने भी यही बयान दिए थे कि विचाराधीन सिमी आतंकियों को इसलिए मारा गया क्योंकि वे पुलिस पर फायरिंग कर रहे थे। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दावा किया था कि जेल से फरार हुए सिमी के सदस्य एक बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे।

म.प्र. की भाजपा सरकार खुलकर तो स्वीकार नहीं कर सकती लेकिन जनता के बीच यही इंप्रेशन देना चाहती है कि उसने ही जान-बूझकर सिमी आतंकियों को मारा है। ऐसा करके उसे उम्मीद है कि उसे उसी तरह का फायदा होगा जिस तरह का फायदा गुजरात में नरेंद्र मोदी लेते रहे हैं। हालाँकि भाजपा की पूरी प्लानिंग में दिक्कत हेड गार्ड रमाशंकर की हत्या से सामने आ रही है।

अगर फर्जी एनकाउंटर साबित होता है तो भाजपा राजनीतिक फायदा तो उठाने की कोशिश कर लेगी, लेकिन फिर रमाशंकर यादव की हत्या का आरोप जेल अधिकारियों और सरकार पर आ जाएगा।

Source: newslive24.in
 

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जेल की खामियों के बारे में दो साल पहले बता दिया था- पूर्व आईजी (जेल) https://sabrangindia.in/jaela-kai-khaamaiyaon-kae-baarae-maen-dao-saala-pahalae-bataa-daiyaa-thaa-pauurava-aijai/ Thu, 03 Nov 2016 08:02:15 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/11/03/jaela-kai-khaamaiyaon-kae-baarae-maen-dao-saala-pahalae-bataa-daiyaa-thaa-pauurava-aijai/ भोपाल की सेंट्रल जेल से 8 सिमी कार्यकर्ता फरार हुए या भगाए गए, इस विवाद के बीच, पूर्व आईजी (जेल) ने खुलासा किया है कि जेल की सुरक्षा कमजोरियों और कर्मचारियों की दुखद हालत के बारे में उन्होंने दो साल पहले, 2014 में ही सरकार को बता दिया था। पूर्व आईजी (जेल) जी के अग्रवाल […]

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भोपाल की सेंट्रल जेल से 8 सिमी कार्यकर्ता फरार हुए या भगाए गए, इस विवाद के बीच, पूर्व आईजी (जेल) ने खुलासा किया है कि जेल की सुरक्षा कमजोरियों और कर्मचारियों की दुखद हालत के बारे में उन्होंने दो साल पहले, 2014 में ही सरकार को बता दिया था। पूर्व आईजी (जेल) जी के अग्रवाल ने बताया है कि 26 जून 2014 को उन्होंने राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव एंटनी डिसा को पत्र भी लिखा था। श्री अग्रवाल का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और खुफिया ब्यूरो को भी इस बात की जानकारी थी, लेकिन कोई सावधानी नहीं बरती गई।

Bhopal Jail

श्री अग्रवाल ने यह भी बताया कि माँग की थी कि अधिकारियों के साथ एक बैठक की जाए और उसमें भोपाल या अन्य जेलों में होने वाली इस तरह की घटनाओं को रोकने के तरीकों पर विचार किया जाए, लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

श्री अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा था कि अभी अन्य जेलों से सिमी आतंकियों को भोपाल सेंट्रल जेल में रखा गया है, लेकिन जेल की इमारत कमजोर है। यहां कि सुरक्षा व्यवस्था में कमी है और कर्मचारियों की स्थिति चिंतनीय है।

सेवानिवृत जेल अधिकारी ने स्टाफ की कमी का भी मसला उठाया था, और कर्मचारियों पर काम के दबाव और तनाव का भी मसला उठाया था।

जेल के मुख्य गार्ड रमाशंकर यादव की बेटी ने भी कहा है कि उनके पिता के हार्ट पेशेंट होने पर भी, और डॉक्टर के मना करने के बावजूद उनकी नाइट ड्यूटी लगाई गई, और अधिकारियों ने ऐसी हालत में भी रात को उनकी अकेले की ड्यूटी लगाई।

पूर्व आईजी (जेल) के इस खुलासे और शहीद गार्ड रमाशंकर यादव की बेटी सोनिया यादव के सवाल के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फिर से बुरी तरह से घिर गए हैं।

 सेंट्रल जेल से फरार सभी 8 सिमी कार्यकर्ताओं को एनकाउंटर में मार दिया गया था। पुलिस का कहना है कि ये कैदी हेड कॉन्सटेबल रमाशंकर यादव को मार कर फरार हुए थे।

Source: Khaskhabar.com

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भोपाल जेल ब्रेक कांड : हार्ट पेशेंट गार्ड को मजबूर किया नाइट ड्यूटी के लिए https://sabrangindia.in/bhaopaala-jaela-baraeka-kaanda-haarata-paesaenta-gaarada-kao-majabauura-kaiyaa-naaita/ Thu, 03 Nov 2016 06:13:56 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/11/03/bhaopaala-jaela-baraeka-kaanda-haarata-paesaenta-gaarada-kao-majabauura-kaiyaa-naaita/ भोपाल जेल ब्रेक में सिमी कार्यकर्ताओं के हाथों मारे बताए जा रहे हेड गार्ड रमाशंकर यादव की बेटी सोनिया ने सवाल उठाया है कि सिमी के खतरनाक आतंकियों की सुरक्षा में उसके पिता को अकेले ही क्यों तैनात किया गया था। इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी कि जेल प्रशासन का एक भी अफसर उनके […]

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भोपाल जेल ब्रेक में सिमी कार्यकर्ताओं के हाथों मारे बताए जा रहे हेड गार्ड रमाशंकर यादव की बेटी सोनिया ने सवाल उठाया है कि सिमी के खतरनाक आतंकियों की सुरक्षा में उसके पिता को अकेले ही क्यों तैनात किया गया था। इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी कि जेल प्रशासन का एक भी अफसर उनके घर सांत्वना देने नहीं आया।

Bhopal Jail Break

रमाशंकर दो साल बाद सेवानिवृत्त होने वाले थे। दोनों बेटों के सेना में नियुक्त होने के बाद बेटी की शादी करके अपने सभी दायित्वों से वे निवृत होना चाहते थे। 31 अक्टूबर से उनकी छुट्टी मंजूर हो चुकी थी, लेकिन 30-31 अक्टूबर की दरमियानी रात उनकी हत्या कर दी गई।

रमाशंकर यादव के बेटे प्रभुनाथ सेना में हिसार में तैनात हैं। उनका कहना है कि रमाशंकर नाइट ड्यूटी नहीं लगाने की गुहार लगा चुके थे। वे दो वर्ष पहले हार्ट पेशेंट हो गए थे। उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने उन्हें रात में ड्यूटी न करने की सलाह दी थी। इसके लिए उसके पिता डॉक्टर के लिए परचे लेकर आईजी, डीआईजी जेल से मिले, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

रमाशंकर के बड़ा भाई शंभूनाथ यादव भी सेना में हैं और गोहाटी में पदस्थ हैं। सोनिया तीन भाई बहनों में सबसे छोटी है। उसकी शादी 9 दिसंबर को होनी है। उसकी तैयारियों को लेकर घर में खुशी का माहौल था। इस घटना से न सिर्फ उनके घर में बल्कि अहिल्या नगर बस्ती में मातम पसर गया है।

 सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रमाशंकर यादव के परिजनों को 10 लाख रुपए की अनुग्रह राशि और पांच लाख रुपए बेटी की शादी के लिए देने की घोषणा की है।

Source: Newslive24

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विचाराधीन कैदियों में 55 प्रतिशत दलित, आदिवासी या मुस्लिम https://sabrangindia.in/vaicaaraadhaina-kaaidaiyaon-maen-55-parataisata-dalaita-adaivaasai-yaa-mausalaima/ Thu, 03 Nov 2016 06:02:10 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/11/03/vaicaaraadhaina-kaaidaiyaon-maen-55-parataisata-dalaita-adaivaasai-yaa-mausalaima/ नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स की 2015 की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देशभर की जेल में बंद कैदियों में से 55 फीसदी विचाराधीन कैदी मुस्लिम, दलित या फिर आदिवासी हैं। एनसीआरबी के अनुसार, जेल में बंद दो तिहाई कैदी विचाराधीन हैं और देश की सभी जेलों में कुल मिलाकर यह संख्या 2,82,076 हैं। इन कैदियों […]

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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स की 2015 की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देशभर की जेल में बंद कैदियों में से 55 फीसदी विचाराधीन कैदी मुस्लिम, दलित या फिर आदिवासी हैं। एनसीआरबी के अनुसार, जेल में बंद दो तिहाई कैदी विचाराधीन हैं और देश की सभी जेलों में कुल मिलाकर यह संख्या 2,82,076 हैं। इन कैदियों में से 80,528 निरक्षर हैं। विचाराधीन कैदियों में 1,19,082 दसवीं क्लास से ऊपर तक पढ़े हैं।

NCRB

एनसीआरबी के आँकड़ों के अनुसार जेल में बंद कैदियों में से 70 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्होंने दसवीं क्लास भी पास नहीं की है। इस प्रकार दलित, मुस्लिम और आदिवासी की जनसंख्या कुल मिलाकर देश की 39 प्रतिशत होती है। ऐसे में इस तरह के ये आँकड़े चिंता पैदा करते हैं।

2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की 14.2 प्रतिशत आबादी मुस्लिम, 16.6 प्रतिशत आबादी दलितों और 8.6 प्रतिशत आबादी आदिवासी लोगों की है। इन्हीं तीनों समुदायों के कैदियों में विचाराधीन कैदी सबसे ज्यादा है, और दोषी पाए गए कम हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर सारे कैदियों का 50.4 प्रतिशत होता है। 

इसी प्रकार मुस्लिमों में दोषियों की संख्या 15.8 प्रतिशत है लेकिन विचाराधीन कैदियों की संख्या 20.9 प्रतिशत है। जो कि काफी ज्यादा है। दलितों में दोषियों की संख्या 20.9 प्रतिशत है और विचाराधीन कैदियों की संख्या 21.6 प्रतिशत है। इसी तरह आदिवासियों में 12.4 प्रतिशत लोग दोषी करार हो चुके हैं जबकि विचाराधीन कैदियों में उनका प्रतिशत 13.7 है।
 
एनसीआरबी के अनुसार, विचाराधीन कैदियों को जमानत के लिए कम से कम तीन महीने की सजा काटनी ही पड़ती है। 65 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्होंने 3 महीने से 5 साल जेल में बिता भी दिए हैं।
 
कैदियों का घनत्व सबसे ज्यादा (276.7 प्रतिशत) दादर और नगर हवेली की जेल में हैं। उसके बाद छत्तीसगढ़ (233.9 प्रतिशत) है और तीसरे नंबर पर दिल्ली (226.9 प्रतिशत) की जेल का नंबर आता है। चौथे नंबर पर मेघालय (177.9 प्रतिशत) और पाँचवें पर उत्तर प्रदेश (168.8 प्रतिशत) है। यूपी के बाद मध्यप्रदेश (139.8 प्रतिशत) का नंबर आता है।
 
Source: Indian Express

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बलात्कार संकट प्रकोष्ठ बंद होने की कगार पर https://sabrangindia.in/balaatakaara-sankata-parakaosatha-banda-haonae-kai-kagaara-para/ Mon, 31 Oct 2016 05:23:33 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/31/balaatakaara-sankata-parakaosatha-banda-haonae-kai-kagaara-para/ दिल्ली में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बीच दिल्ली महिला आयोग का बलात्कार संकट प्रकोष्ठ बंद होने की कगार पर आ गया है। दिल्ली महिला आयोग ने कहा है कि महिला निकाय को अपने मोबाइल हेल्पलाइन और बलात्कार संकट प्रकोष्ठ को बंद करने पर विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है क्योंकि कर्मचारियों […]

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दिल्ली में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बीच दिल्ली महिला आयोग का बलात्कार संकट प्रकोष्ठ बंद होने की कगार पर आ गया है। दिल्ली महिला आयोग ने कहा है कि महिला निकाय को अपने मोबाइल हेल्पलाइन और बलात्कार संकट प्रकोष्ठ को बंद करने पर विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है क्योंकि कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।

Swati Maliwal
Image: Indian Express

आयोग का आरोप है कि उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त् आयोग की सदस्य सचिव अलका दीवान ने कर्मचारियों का वेतन जारी करना बंद कर दिया है।

आयोग ने अपने एक बयान में कहा है कि आयोग के पिछले एक साल में किए गए कार्यों के बावजूद, खास निहित स्वार्थों ने पैनल की स्वायत्ता पर हमले की शुरूआत कर दी है। इसमें ताजा घटनाक्रम केंद्र द्वारा सदस्य सचिव की अवैध नियुक्ति है। बयान में कहा गया है कि आयोग में अक्टूबर में नियुक्त अलका दीवान ने ठेके पर कार्यरत सभी कर्मचारियों का वेतन पिछले दो महीनों से रोक दिया है। वेतन का भुगतान नहीं किए जाने के नतीजतन महिला हेल्पलाइन 181, बलात्कार संकट प्रकोष्ठ, मोबाइल हेल्पलाइन सहित आयोग के अन्य कार्यक्रम बंद हो जाएँगे।

इसमें कहा गया है कि ये कर्मचारी काफी संवेदनशील पृष्ठभूमि से आते हैं और वे बिना वेतन लंबे समय तक काम नहीं कर सकते।

आयोग के अधिकारियों ने आगे यह भी आरोप लगाया कि इस पद पर दीवान की नियुक्ति अवैध है।

आयोग के बयान में कहा गया है कि आयोग में दीवान की नियुक्ति पूरी तरह से अवैध है क्योंकि इसके लिए सरकार की ओर से कोई मंजूरी नहीं मिली और एक कार्यालय आदेश के जरिए ही नियुक्ति कर दी गयी। वे अभी सरकारी अधिकारी हैं और
वैट आयुक्त पद पर कार्यरत हैं तथा उन्हें आयोग में सदस्य सचिव का अतिरिक्त पद दिया गया है।

आयोग ने कहा है कि यह दिल्ली महिला आयोग कानून का उल्लंघन है जिसमें पूर्णकालिक सदस्य सचिव की बात की गयी है।

Source: PTI

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आदिवासियों को खत्म करने पर तुली सरकार- मेधा पाटकर https://sabrangindia.in/adaivaasaiyaon-kao-khatama-karanae-para-taulai-sarakaara-maedhaa-paatakara/ Mon, 31 Oct 2016 05:10:50 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/31/adaivaasaiyaon-kao-khatama-karanae-para-taulai-sarakaara-maedhaa-paatakara/ जबलपुर, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा है कि सरकार उद्योगपतियों के लिए आदिवासियों की जमीन छीनकर उन्हें बेघर कर रही है। जबलपुर में नर्मदा का व्यावसायीकरण एवं संरक्षण की चुनौती विषय पर बोलते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार आदिवासी सम्मेलन करती है और आदिवासियों को पर्यावरण का संरक्षक बताती […]

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जबलपुर, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा है कि सरकार उद्योगपतियों के लिए आदिवासियों की जमीन छीनकर उन्हें बेघर कर रही है। जबलपुर में नर्मदा का व्यावसायीकरण एवं संरक्षण की चुनौती विषय पर बोलते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार आदिवासी सम्मेलन करती है और आदिवासियों को पर्यावरण का संरक्षक बताती है, लेकिन आदिवासियों को ही खतम करने पर तुली है।

Medha Patkar

हरिशंकर परसाई भवन में हुई इस कार्यशाला में मेधा पाटकर ने नर्मदा में प्रदूषण बढ़ने पर भी चिंता जताई और कहा कि व्यावसायिक लाभ के लिए इसका अंधाधुंध दोहन हो रहा है। नर्मदा के 1300 किमी की लंबाई में करीब पूरा क्षेत्र बांधों और जलाशयों में बदल गया है और इस पर 30 बड़े और 135 मझौले बांध बनाकर पीने लायक पानी नहीं बचाया है। बांध के विस्थापितों को सरकार भूमि भी नहीं दे रही है जबकि निजी कंपनियों को डेढ़ लाख एकड़ जमीन बाँट दी गई है।
 
इस कार्यशाला में कई समाजसेवियों ने ये बात उठाई कि नर्मदा का पानी पाइपलाइन से लिंक योजना के जरिए खेती-सिंचाई के लक्ष्य छोड़कर इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के लिए ले जाने की योजना बनाई जा रही है। चिनकी डेम को लेकर संघर्ष कर रहे खोजीबाबा कालूराम पटेल ने कहा कि नर्मदा की नहरों का पानी किसानों के काम का नहीं है, क्योंकि ये योजना 1984 के हिसाब से बनी है, जो वर्तमान समय में किसानों के लिए गैरजरूरी है।

मंडला जिले से आए केहर सिंह मार्को ने कहा कि बरगी बांध के लिए 162 गांव उजड़े और ज्यादातर विस्थापितों को अभी तक जमीन नहीं मिल पाई है क्योंकि विस्थापितों को लेकर सरकार गंभीर नहीं है।
 
नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने कहा कि सरदार सरोवर विस्थापितों के पुनर्वास संबंधी काम में भ्रष्टाचार हुआ है और ये न्यायाधीश श्रवण शंकर झा आयोग की रिपोर्ट में साबित हो चुका है।

पत्रकारवार्ता में मेधा पाटकर ने कहा कि सात साल की जाँच के बाद वर्ष 2016 में आयोग ने रिपोर्ट सौंपी और मुख्य सचिव को रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन को भी एक्शन टेकन रिपोर्ट देनी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक अपात्रों को मुआवजा बाँटा गया, और पुनर्वास नीति का पालन नहीं हुआ।
 

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दलित महासभा ने की जमीन के पट्टे देने की माँग- शिवराज पर वादाखिलाफी का आरोप https://sabrangindia.in/dalaita-mahaasabhaa-nae-kai-jamaina-kae-patatae-daenae-kai-maanga-saivaraaja-para/ Wed, 26 Oct 2016 06:57:23 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/26/dalaita-mahaasabhaa-nae-kai-jamaina-kae-patatae-daenae-kai-maanga-saivaraaja-para/ जबलपुर : राष्ट्रीय दलित महासभा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दलित और आदिवासी विरोधी बताते हुए प्रदर्शन किया है और अपने वादे न निभाने पर 24 से 27 नवंबर के बीच दिल्ली में धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। Image: Partika.com   राष्ट्रीय दलित महासभा के जिलाध्यक्ष  प्रकाश गोतेले ने कहा है कि 7 […]

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जबलपुर : राष्ट्रीय दलित महासभा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दलित और आदिवासी विरोधी बताते हुए प्रदर्शन किया है और अपने वादे न निभाने पर 24 से 27 नवंबर के बीच दिल्ली में धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।

Dalit Mahasabha
Image: Partika.com
 
राष्ट्रीय दलित महासभा के जिलाध्यक्ष  प्रकाश गोतेले ने कहा है कि 7 जनवरी 2016 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मैहर उपचुनाव के दौरान कहा था कि दलित और आदिवासी जिस जमीन पर खेती कर रहे हैं, या रह रहे हैं, उसका पट्टा उन्हें दिया जाएगा। श्री गोतेले का कहना है कि अभी तक 1959 के हिसाब से पट्टे दिए जा रहे हैं और जो वादा मुख्यमंत्री ने किया था, उसे वो पूरा नहीं कर रहे हैं।
 
सोमवार को राष्ट्रीय दलित महासभा के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासियों और दलितों ने घंटाघर चौक पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री से तुरंत अपना वादा पूरा करने की माँग की। प्रदर्शन के बाद दलित महासभा ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञापन में हर गरीब महिला को पाँच एकड़ जमीन देने की माँग की गई है। इसके अलावा यह भी कह गया है कि 1959 के बाद जो दलित-आदिवासी जहाँ बस गए हैं, उन्हें भी उस जमीन का पट्टा दिया जाना चाहिए। जब तक सरकार से गरीब महिलाओं को पाँच एकड़ जमीन नहीं मिल जाती, ऐसी महिलाओं को पाँच हजार रुपए मासिक भत्ता देने की माँग भी ज्ञापन में की गई है।
 
ज्ञापन में विकास परियोजनाओं के लिए आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण करना बंद करने की माँग भी की गई। इसके अलावा सरकार भूमिहीनों को अपने खर्चे पर जमीन दे और इसके लिए जरूरत पड़ने पर जमीन का अधिग्रहण भी करे। ज्ञापन में वन अधिकार नियम के तहत दलितों को भी पट्टे देने की माँग की गई है।
 
राष्ट्रीय दलित महासभा ने कहा है कि अगर उनकी माँगें जल्द पूरी नहीं की जातीं और मुख्यमंत्री अपना वादा नहीं निभाते तो महासभा उग्र आंदोलन करेगी और इसके लिए दिल्ली में 24 से 27 नवंबर के बीच धरना-प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही है।

Source: Patrika.com

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पेंशन के लिए भटकती शहीद सैनिकों की विधवाएँ https://sabrangindia.in/paensana-kae-laie-bhatakatai-sahaida-saainaikaon-kai-vaidhavaaen/ Tue, 25 Oct 2016 10:06:42 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/25/paensana-kae-laie-bhatakatai-sahaida-saainaikaon-kai-vaidhavaaen/ अमृतसर : पंजाब  सैनिकों की विधवाएँ पेंशन के लिए भटक रही हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर पूर्व सैनिकों और शहीदों के सम्मान समारोह हो रहे हैं, और दिखाया जा रहा है कि सरकार शहीद सैनिकों का बहुत सम्मान करती है। Image: Bhaskar पेंशन के लिए परेशान सैनिकों की विधवाओं […]

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अमृतसर : पंजाब  सैनिकों की विधवाएँ पेंशन के लिए भटक रही हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर पूर्व सैनिकों और शहीदों के सम्मान समारोह हो रहे हैं, और दिखाया जा रहा है कि सरकार शहीद सैनिकों का बहुत सम्मान करती है।

widows indian military
Image: Bhaskar

पेंशन के लिए परेशान सैनिकों की विधवाओं से मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल मिलने तक को तैयार नहीं है। लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया। इन महिलाओं की पीड़ा ये है कि उनके पतियों की मौत हो जाने के बाद उन्हें आज तक पेंशन नहीं मिली है।

मुक्तसर की हरजिंदर कौर पूर्व रिटायर्ड मेजर करतार सिंह की पत्नी हैं। करतार सिंह का देहांत 1978 में हो गया था। कुछ समय तक तो उन्हें पेंशन मिली, लेकिन फिर बंद हो गई। अधिकारियों के चक्कर काटते सालों बीत चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। मुख्यमंत्री बादल के पास आईं तो यहाँ से भी भगा दिया गया।

एक और पूर्व सैनिक हरजिंदर सिंह की पत्नी अमरजीत कौर ने कहती हैं कि 1971 की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले उनके पति का देहांत 2012 में हो गया। गया था, लेकिन अब वे पेंशन के लिए परेशान हो रही हैं तो कोई सुनने वाला नहीं।

चीन की लड़ाई में 1962 में शहीद होने वाले सैनिक बूटा सिंह की पत्नी को भी आज तक न कोई आर्थिक मदद मिली और न ही पेंशन।

कल्लेवाल की सुखदीप कौर के  पति धरमिंदर सिंह 2015 में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। स्थानीय विधायक ने उनके नाम पर स्कूल का नामकरण करने का वादा किया था जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया।

अमृतसर में वार हीरोज मैमोरियल एवं म्यूजियम के उद्घाटन के बाद रणजीत एवेन्यू में पूर्व सैनिकों और सैनिक विधवाओं को रैली में बुलाया गया लेकिन वहाँ भी उनका अपमान हुआ। इन लोगों को मंच पर ही नहीं आने दिय गया।

1984 में एक अग्निकांड में बच्चों को बचाते हुए शहीद हुए शौर्यचक्र विजेता पूरन सिंह की पत्नी की सुखविंदर कौर का कहना है कि उन्हें प्रोग्राम में केवल भीड़ बढ़ाने और भाषण सुनने के लिए बुलाया गया और उनकी दिक्कतों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

Source: Bhaskar.com

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झारखंड: हड़ताली शिक्षकों ने प्रधानमंत्री को खून से लिखे पत्र https://sabrangindia.in/jhaarakhanda-hadataalai-saikasakaon-nae-paradhaanamantarai-kao-khauuna-sae-laikhae-patara/ Tue, 25 Oct 2016 08:13:31 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/25/jhaarakhanda-hadataalai-saikasakaon-nae-paradhaanamantarai-kao-khauuna-sae-laikhae-patara/ झारखंड में पिछले एक माह से हड़ताल पर बैठे संविदा शिक्षकों ने अब खून से लिखे पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजे हैं। हड़ताली शिक्षक वेतनमान में बढ़ोत्तरी और स्थाई किए जाने की मांग कर रहे हैं। रघुवरदास सरकार हड़ताली शिक्षकों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए अब इन लोगों ने […]

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झारखंड में पिछले एक माह से हड़ताल पर बैठे संविदा शिक्षकों ने अब खून से लिखे पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजे हैं। हड़ताली शिक्षक वेतनमान में बढ़ोत्तरी और स्थाई किए जाने की मांग कर रहे हैं। रघुवरदास सरकार हड़ताली शिक्षकों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए अब इन लोगों ने सीधे प्रधानमंत्री से न्याय मांगा है।

Jharkhand Teachers Strike

उधर, झारखंड सरकार ने पारा शिक्षकों को 25 अक्तूबर तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया है, और कह दिया है कि जो शिक्षक काम पर नहीं लौटेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस आशय का पत्र सभी जिलों में भेजा गया है।

झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय कुमार दुबे ने कहा है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती,  वे आंदोलन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इसी तरह से शिक्षकों की अनदेखी करती रही तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा। उन्होंने कहा है कि इस तरह के अल्टीमेटम से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

पिछले एक महीने से हजारों शिक्षक रांची के जयपाल स्टेडियम में डटे हुए हैं। अब तक 20,000 से ज्यादा शिक्षक अपनी 6 सूत्री मांगों के लिए खून से पत्र लिखकर प्रधानमंत्री के पास भेज चुके हैं। पुलिस ने स्टेडियम के आस पास सुरक्षा बढ़ा दी है।

Source: India.com

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राजस्थान में कोर्ट की अवमानना, वसुंधरा सरकार ने नहीं बनाया स्थायी ओबीसी कमीशन https://sabrangindia.in/raajasathaana-maen-kaorata-kai-avamaananaa-vasaundharaa-sarakaara-nae-nahain-banaayaa/ Tue, 25 Oct 2016 07:58:07 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/10/25/raajasathaana-maen-kaorata-kai-avamaananaa-vasaundharaa-sarakaara-nae-nahain-banaayaa/ पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का विरोध करने में सबसे आगे रहने वाली राजस्थान सरकार हाईकोर्ट के आदेश के बावजदू स्थायी ओबीसी आयोग नहीं बना रही है। पिछले साल 10 अगस्त को हाईकोर्ट ने समता आंदोलन की याचिका पर फैसला देते हुए राजस्थान सरकार से कहा था। इसके बजाय उसने एक अस्थायी ओबीसी आयोग बनाया था […]

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पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का विरोध करने में सबसे आगे रहने वाली राजस्थान सरकार हाईकोर्ट के आदेश के बावजदू स्थायी ओबीसी आयोग नहीं बना रही है। पिछले साल 10 अगस्त को हाईकोर्ट ने समता आंदोलन की याचिका पर फैसला देते हुए राजस्थान सरकार से कहा था। इसके बजाय उसने एक अस्थायी ओबीसी आयोग बनाया था जिसे राजस्थान हाईकोर्ट ने भंग करने के आदेश दिए हैं।

Vaunsdhra Raje

न्यायालय की डबल बैंच ने आज यह आदेश दिया। न्यायालय ने आयोग को भंग कर अध्यक्ष एवं सदस्यों का वेतन रोकने के आदेश दिए। गत वर्ष दस अगस्त को समता आंदोलन ने ओबीसी आयोग को वैधानिक रूप से गठित किये जाने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायालय ने चार महीनों में स्थाई ओबीसी आयाेग गठित करने का फैसला सुनाया। न्यायालय के आदेश के बावजूद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने स्थाई आयोग का गठन नहीं कियाए बल्कि अस्थाई आयोग बना दिया। 

 न्यायालय की अवमानना पर समता आंदोलन ने न्यायालय में रिट दायर करने पर न्यायालय ने फिर आठ सप्ताह का समय देते हुए स्थाई ओबीसी आयोग गठित करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न्यायालय ने इसी मामले में दो दिन पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक जैन को अवमानना के मामले में एक माह के वेतन को दान करने के आदेश दिए थे। श्री जैन ने वेतन दान कर उसकी रसीद भी पेश की। उल्लेखनीय है  कि ओबीसी आयोग में अध्यक्ष और सदस्य सचिव समेत पांच सदस्य हैं।
 
 

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