सबरंगइंडिया- स्टाफ   | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/सबरंगइंडिया-स्टाफ-11369/ News Related to Human Rights Sun, 18 Sep 2016 11:49:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png सबरंगइंडिया- स्टाफ   | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/सबरंगइंडिया-स्टाफ-11369/ 32 32 महाराष्ट्र में कुपोषण से 4 महीने में 600 बच्चों की मौत https://sabrangindia.in/mahaaraasatara-maen-kaupaosana-sae-4-mahainae-maen-600-bacacaon-kai-maauta/ Sun, 18 Sep 2016 11:49:34 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/09/18/mahaaraasatara-maen-kaupaosana-sae-4-mahainae-maen-600-bacacaon-kai-maauta/      Image Courtesy: Hindustan Times   अब इस तथ्य पर सरकारी मुहर लग चुकी है। सरकारी सूत्रों के हवाले से छापी गई डीएनए अखबार की रिपोर्टों में कहा गया है कि महाराष्ट्र में घोर कुपोषण की वजह से पिछले चार महीनों के दौरान 600 आदिवासी बच्चों की मौत हो चुकी है।   ये रहे […]

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 Image Courtesy: Hindustan Times
 

अब इस तथ्य पर सरकारी मुहर लग चुकी है। सरकारी सूत्रों के हवाले से छापी गई डीएनए अखबार की रिपोर्टों में कहा गया है कि महाराष्ट्र में घोर कुपोषण की वजह से पिछले चार महीनों के दौरान 600 आदिवासी बच्चों की मौत हो चुकी है।
 
ये रहे भारी कुपोषण से हुई बच्चों की मौतों के कुछ दिल दहलाने वाले तथ्य – 
 
मुंबई से 100 किलोमीटर दूर पालघर जिले में इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच 126 आदिवासी बच्चों की मौत हो गई। सभी बच्चे एक साल से कम उम्र के थे। पालघर वह जिला है, जहां दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोग रहते हैं।
 
इस इलाके में आदिवासी बच्चों के बीच कुपोषण की हालत यह है कि अगले कुछ दिनों में अगर कोई कदम नहीं उठाया गया तो कुछ और बच्चों की मौत हो सकती है। इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम से जुड़े अधिकारियों ने जो आंकड़े जुटाए हैं, उनके मुताबिक 457 बच्चे घोर कुपोषण- सिवियरली एक्यूट मेलनरिश्ड यानी एसएएम के शिकार थे। जबकि 3159 बच्चे मॉडेरटली एक्यूट मेलनरिश्ड यानी एमएएम के शिकार थे।
 
पालघर जिले के मोखड़ा तालुके के लगे हेल्थ कैंप के दौरान जब मेडिकल चेकअप कराए गए तो लगभग 28 फीसदी बच्चे घोर कुपोषण के शिकार मिले।
 
महाराष्ट्र के जनजातीय कल्याण मंत्री विष्णु सावरा के पालघर जिले के ही हैं और उन्हें इस जिले का अभिभावक मंत्री भी कहा जाता है। लेकिन बड़ी संख्या में बच्चों की इस मौत पर सरकार की इस उदासीनता को लेकर आदिवासी उनसे जबरदस्त नाराज हैं। यही वजह है कि जब पिछले शुक्रवार को उन्होंने इस जिले के गांवों का दौरा किया तो आदिवासियों ने उनका बहिष्कार किया। ऐसी घटनाओं से यह साफ हो गया है कि आदिवासियों के बीच कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए जोर-शोर से शुरू की गई महाराष्ट्र सरकार की अमृत आहार योजना के माकूल नतीजे अभी तक नहीं मिल पाए हैं।
 
डीएनए की पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है-  here.
 
 
 
 
 

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