सबरंग-इंडिया-स्टाफ | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/सबरंग-इंडिया-स्टाफ-10967/ News Related to Human Rights Mon, 26 Dec 2016 11:12:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png सबरंग-इंडिया-स्टाफ | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/सबरंग-इंडिया-स्टाफ-10967/ 32 32 पाकिस्तान के वितरकों ने दंगल रिलीज कराने के लिए जोर लगाया https://sabrangindia.in/paakaisataana-kae-vaitarakaon-nae-dangala-railaija-karaanae-kae-laie-jaora-lagaayaa/ Mon, 26 Dec 2016 11:12:29 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/12/26/paakaisataana-kae-vaitarakaon-nae-dangala-railaija-karaanae-kae-laie-jaora-lagaayaa/   क्या यह दोहरा मापदंड है। अरे नहीं-नहीं!   पाकिस्तान के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स, आमिर खान की चर्चित फिल्म दंगल को अपने यहां रिलीज कराने के लिए जोर लगाए हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि नवाज शरीफ इस फिल्म को देश में रिलीज कराने की मंजूरी दे देंगे और जल्द ही पाकिस्तान के सिनेमाप्रेमी इस सुनहरे […]

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क्या यह दोहरा मापदंड है। अरे नहीं-नहीं!
 
पाकिस्तान के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स, आमिर खान की चर्चित फिल्म दंगल को अपने यहां रिलीज कराने के लिए जोर लगाए हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि नवाज शरीफ इस फिल्म को देश में रिलीज कराने की मंजूरी दे देंगे और जल्द ही पाकिस्तान के सिनेमाप्रेमी इस सुनहरे पर्दे पर देख सकेंगे।
 
भले ही पाकिस्तानी फिल्म एक्टर फवाद खान स्टारर करन जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के रिलीज का भारत में कितना भी विरोध क्यों न हुआ हो। लेकिन फवाद पर्दे पर भारतीय स्टार की तरह ही दिखते हैं। उम्मीद है कि आमिर खान की फिल्म को पाकिस्तान का यह हश्र नहीं होगा। पाकिस्तान इस फिल्म को अपने यहां रिलीज कराने की मंजूरी दे देगा। हालांकि यह नहीं भूलना नहीं चाहिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (राज ठाकरे की पार्टी) ने ऐ दिल मुश्किल पर पंचायती की थी। तेलंगाना के बीजेपी एमएलए राजा सिंह ने फिल्म के रिलीज होने का जोरदार विरोध किया था क्योंकि इसमें पाकिस्तानी स्टार फवाद खान एक्टिंग कर रहे थे। इसके बाद ठाकरे ने बीच-बचाव कर फिल्म रिलीज कराई थी।
 
बहरहाल, पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक वहां के सूचना, प्रसारण और राष्ट्रीय विरासत मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय के साथ मिलकर शरीफ से आमिर खान स्टारर दंगल को रिलीज की इजाजत देने की मांग की है। पाकिस्तान के डिस्ट्रीब्यूटरों ने भारतीय मीडिया की उन खबरों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया है कि दंगल वहां रिलीज नहीं होगी। उन्होंने कहा कि फिल्म पाकिस्तान में रिलीज होगी भले ही इसमें एक सप्ताह की देर हो।
 
जियो फिल्म के मोहम्मद नासिर ने कहा कि भारतीय मीडिया में गलत खबरें आ रही हैं। हां यह सही है कि फिल्म को रिलीज करने में दिक्कत आ रही है लेकिन हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है। फिल्म को रिलीज होने में एक सप्ताह की देरी हो सकती है। हालांकि इस बारे में अभी कोई पुख्ता फैसला नहीं हुआ है।
 
पाकिस्तान के सिनेमाघर दंगल और कुछ अन्य भारतीय फिल्मों से उम्मीद लगाए बैठे हैं। ये फिल्में जनवरी में शुरू होंगी ताकि पिछले तीन महीने से फिल्मों की रिलीज बंद करने पर लगाई गई स्वैच्छिक रोक से हुए घाटे की भरपाई हो सके। हालांकि प्रतिबंध चुपके से पिछले सप्ताह हटा लिया गया था। लेकिन दंगल के रिलीज होने पर अनिश्चितता कायम है।

आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक इस फिल्म के स्थानीय वितरक जियो फिल्म आमिर से सीधी चिट्ठी-पत्री में लगे हैं। आमिर इस फिल्म के निर्माता भी हैं। उनकी मदद से दंगल को पाकिस्तान में रिलीज होने की उम्मीद लगाई जा रही है। वैसे पाकिस्तानी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सिर्फ नवाज शरीफ ही दंगल को रिलीज कराने का फैसला ले सकते हैं।

पाकिस्तानी फिल्म एक्जिबिटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जोरेज लशारी का कहना है कि उनका संगठन शरीफ के जवाब का इंतजार कर रहा है। उनका कहना है कि फिल्में रिलीज होने पर रोक की वजह से एसोसिएशन के सदस्य भारी घाटा झेल रहे हैं। भारतीय कलाकार और डिस्ट्रीब्यूटर्स चाहते हैं कि उनकी फिल्में पाकिस्तान में रिलीज हों। लेकिन पाकिस्तानी वितरक नई भारतीय फिल्में फिलहाल नहीं खरीदना चाहते। वे सरकार से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि लाशारी कहते हैं कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर कोई आधिकारिक वैन नहीं है। सरकार से इस ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है। लेकिन पाकिस्तानी वितरक भारतीय फिल्में नहीं दिखा रहे हैं।

पाकिस्तानी फिल्म उद्योग के सूत्रों के मुताबिक स्थानीय वितरक भारतीय वितरकों को आठ से दस करोड़ रुपये देते हैं। जो समूह फिल्म खरीदता है उसे कम से कम 20 करोड़ की कमाई की उम्मीद होती है। हालांकि उन्हें इसमें कुछ राशि सिनेमाघर मालिकों को देनी होती है।
 
भारतीय फिल्में पाकिस्तान में 43 साल के लंबे प्रतिबंध के बाद 2008 में रिलीज हुई थीं। 1965 के युद्ध के दौरान भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह अलग बात है कि भारतीय फिल्मों में पाकिस्तानी अभिनेताओं के अभिनय पर ‘बैन’ के लिए गला फाड़-फाड़ कर प्रतिबंध की मांग की जाती है।
 

 
 

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नरेंद्र भाई, नोटबंदी के फैसले से आपने देश को मूर्ख बनाया है https://sabrangindia.in/naraendara-bhaai-naotabandai-kae-phaaisalae-sae-apanae-daesa-kao-mauurakha-banaayaa-haai/ Sun, 20 Nov 2016 11:10:58 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/11/20/naraendara-bhaai-naotabandai-kae-phaaisalae-sae-apanae-daesa-kao-mauurakha-banaayaa-haai/ गुजरात के पूर्व बीजेपी विधायक राजीव ओजा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओजा का कहना है कि आठ नवंबर से पहले तक अमित शाह नोटों बदलने के धंधे में शामिल थे। ओजा का कहना है कि उनके पास अपने आरोप साबित करने लिए वीडियो रिकार्डिंग है। ओझा ने प्रधानंमत्री नरेंद्र […]

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गुजरात के पूर्व बीजेपी विधायक राजीव ओजा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओजा का कहना है कि आठ नवंबर से पहले तक अमित शाह नोटों बदलने के धंधे में शामिल थे। ओजा का कहना है कि उनके पास अपने आरोप साबित करने लिए वीडियो रिकार्डिंग है।

ओझा ने प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को लिखी एक खुली चिट्ठी में नोटबंदी के फैसले पर उनकी जम कर आलोचना की है और कहा है कि यह देश को मूर्ख बनाने का कदम है।

गुजरात के पूर्व बीजेपी विधायक राजीव ओजा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओजा का कहना है कि आठ नवंबर से पहले तक अमित शाह नोटों बदलने के धंधे में शामिल थे। ओजा का कहना है कि उनके पास अपने आरोप साबित करने लिए वीडियो रिकार्डिंग है।
ओझा ने प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को लिखी एक खुली चिट्ठी में नोटबंदी के फैसले पर उनकी जम कर आलोचना की है और कहा है कि यह देश को मूर्ख बनाने का कदम है। ओजा की यह चिट्ठी गुजरात और दिल्ली दोनों जगह भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। ओजा का कहना है कि सभी जिला सहकारी बैंक भाजपा के नजदीकियों के नियंत्रण में हैं। ये सभी बैंक 8 और 9 नवंबर, 2016 को सुबह आठ बजे से भोर पांच बजे तक  500 और 1000 के नोटों को बदलने में लगे रहे। ओजा का कहना है कि नोट बदलने के इस पूरे खेल का उनके पास वीडियो रिकार्डिंग है। यह  दिलचस्प है कि अमित शाह २००२ में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के प्रमुख थे।
ओजा ने पीएम मोदी की चुनौती देते हए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें गलत साबित कर दिखाएं।
ओजा ने लिखा – आपने 8  नवंबर को आरबीआई के जरिये नोटबंदी के तहत उस काले धन का जिक्र किया, जिसे आप सिस्टम से निकाल लेना चाहते हैं। आपने इस दिन बैंकों के पास जमा कैश की जानकारी ली। ऐसा करके आपने खुद मेरे बयान पर मुहर लगा दी है। मैं आपको चुनौती देता हूं, मुझे गलत साबित करें। अगर मैं गलत साबित होऊं तो सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को तैयार हूं।   
देश की जनता जानना चाहती ही कि फॉर्च्यून 500 कंपनियों के अलावा बिल्डरों,ठेकेदारों और खास कर उन ठेकेदारों ने कितना माल कमाया है, जिन्हें सरकारी ठेके मिले थे। उन खनन माफिया और ठेकेदारों ने कितना कमाया है, जिन्हें लौह अयस्क निकालने का ठेका मिला था। दूसरे उद्योगपतियों और सबसे ज्यादा राजनीतिक नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स ने कितना पैसा कमाया है। यतीन ओजा ने 15 नवंबर को मोदी को जो खुली चिट्ठी लिखी वह सोशल मीडिया में वायरल हो गई। यतीन ओजा पहले राजनीतिक हलकों में मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के राजनीतिक गुरु के तौर पर जाने जाते थे। 2016 में उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। ओजा की चिट्ठी वायरल होते ही इंडिया संवाद ने इसे फेसबुक से उठा लिया। यहां पेश है वह चिट्ठी जो ओजा ने पीएम को लिखी-
 
 

प्रिय नरेंद्र भाई

 
उम्मीद है स्वस्थ और सानंद होंगे। आठ नवंबर, 2016 को मैंने नोटबंदी पर आपकी स्पीच सुनी। मुझे बेहद खुशी हुई और आपके साहसिक और ऐतिहासिक कदम की वजह से आपको मैंने बधाई भी दी। लेकिन यह खुशी जल्द ही काफूर हो गई।

नौ नवंबर की सुबह मेरे एक नजदीकी ने बताया कि कल (8 नवंबर)  करीब दोपहर 12 बजे अहमदाबाद के एक नामी उद्योगपति की पत्नी पत्नी एक बड़े ज्वैलरी शॉप में आई और पहले से ऑर्डर किया हुआ 20 करोड़ रुपये का सोना खरीद कर ले गई। संयोग से मेरे उस नजदीकी की पत्नी वहां पहले से ऑर्डर किया हुआ पांच लाख रुपये की ज्वैलरी खरीदने के लिए गई थी। वह महिला नामी डॉक्टर है।  सोना पहले से तैयार और पैक्ड था। आपके साथ नजदीकी के तौर पर काम करने और आपके किचन कैबिनेट का हिस्सा रहने के अनुभव की वजह से एक बात तुरंत मेरे दिमाग में आई कि नोटबंदी के फैसले के बारे में आपके उन नजदीकी उद्योगपतियों बारे में पता होगा, जिनके पास भारत का 50 फीसदी काला धन है। सारा दिन जानकारियां इकट्ठा करने और जानकारी साझा करने की बात सोच कर मैं सन्न रह गया। आपने एक लोकलुभावन फैसला कर किस तरह इस देश के लोगों को मूर्ख बनाया है।

असल में आपका यह कदम आपके नजदीकी लोगों, आपकी पार्टी और इसके कार्यकर्ताओं को मालामाल करने के लिए है। और आपने यह काम देशहित का हवाला देकर किया। मेरे पास एक ऐसा वीडियो रिकार्डिंग है, जिसे देखने के बाद यह साफ हो जाता है आपके नजदीकी अमित शाह 8 नवंबर से आज तक नोट बदलने के कारोबार में मशगूल हैं। उनके दफ्तर और घर के बाहर अपने काले धन को सफेद करने वाले लोगों की लंबी लाइन लगी है। यहां 37 फीसदी कमीशन पर चलन से बाहर हो चुके नोटों को बदला जा रहा है। एक करोड़ रुपये की रकम तो बगैर पहचान के बदली जा रही है। एक करोड़ बैग में भर कर ले जाइए और 67 लाख रुपये ले आइए। मैं यह वीडियो आसानी से जारी कर सकता हूं। लेकिन मैं जानता हूं कि आप उन लोगों को दंड देंगे जो नोट बदलवाने के लिए लाइन में खड़े हैं न कि इस काले कारोबार को अंजाम देने वाले अपने करीबी अमित शाह को। फिर भी मैं दो-तीन सीनियर जर्नलिस्टों को यह वीडियो दिखाऊंगा और आपको भी इस बारे में बताऊंगा ताकि आपको मेरे बयानों की सचाई का पता चल सके।

 जो आपको जानते हैं वह ये नहीं मानेंगे कि आपने कल जिला सहकारी बैंकों पर नोट स्वीकार करने का जो पाबंदी लगाई है, वह हर स्तर पर चल रही अनियमितता को देखते हुए लिया गया फैसला है। आपके दुश्मन भी आपकी काबिलियत, क्षमता और बुद्धिमानी की तारीफ करेंगे। लेकिन एक चीज निश्चित है। सहकारी बैंकों की ओर से नोट स्वीकार किए जाने का पहलू आपके दिमाग में जरूर होगा। आपको अच्छी तरह जानने की वजह से मैं यह जानता हूं कि जब तक आपके दिमाग में कोई ब्लू प्रिंट न हो तब तक आप किसी योजना पर काम नहीं करते। नोटबंदी जैसा कोई भी अहम फैसला उठाते वक्त आपके दिमाग में इसका नफा-नुकसान जरूर रहा होगा। गुजरात में जिला सहकारी बैंकों की ओर से पुराने नोट बदल कर नए नोट बदलने की इजाजत इसलिए मिली कि इन सभी बैंकों का नियंत्रण गुजरात भाजपा के लोगों के पास ही है। 8 नवंबर को सुबह रात नौ बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक इन बैंकों ने 500 और 1000 के पुराने नोटों को छोटे नोटों में बदलने का काम किया। आपने 8 तारीख को आरबीआई के जरिये सभी बैकों के कैश की जानकारी ली थी। आप इस तथ्य को जांच लें कि बैंकों में ज्यादा कैश आया कि नहीं। गलत साबित होने पर मैं सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए तैयार हूं।

लोगों के दिमाग में यह शक है कि नोटबंदी के इस पूरे प्रकरण में शार्क और व्हेलों (बड़े पूंजीपतियों और काला धन कारोबारियों) को छोड़ दिया गया और आपके नजदीकियों को पहले ही जानकारी दे दी गई थी। आपको इस शक को मिटाने के लिए रिजर्व बैंक की वेबसाइट के जरिये एक करोड़ रुपये से ज्यादा रकम रखने वालों के लिए डिस्कलोजर की घोषणा करनी चाहिए। मेरा पक्का दावा है कि फॉर्च्यून 300 कंपनियों का कोई भी चेयरमैन, एमडी या डायरेक्टर यह डिस्कलोजर नहीं देगा। अगर वे डिस्कलोजर नहीं देते हैं तो मेरे आरोप सही साबित होते हैं। मैंने लोगों को चार हजार रुपये के लिए लोगों को भूखे-प्यासे लाइन में खड़े होते देखा है लेकिन इस लाइन में किसी मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी,वोल्वो पोर्श या रैंज रोवर वाले को नहीं देखा। न तो उन्हें पैसे निकालने और न ही जमा करने के लिए लाइन में लगते देखा। हो सकता है कि आपकी राय में ब्लैक मनी सिर्फ उनके पास है जो एटीएम या बैंकों की लाइन में लगे हैं। उनके पास कोई ब्लैक मनी नहीं है जिनके पास बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी बड़ी-बड़ी कारें हैं।   

देश की जनता जानना चाहती ही कि फॉर्च्यून 500 कंपनियों के अलावा बिल्डरों,ठेकेदारों और खास कर उन ठेकेदारों ने कितना माल कमाया है, जिन्हें सरकारी ठेके मिले थे। उन खनन माफिया और ठेकेदारों ने कितना कमाया है, जिन्हें लौह अयस्क निकालने का ठेका मिला था। दूसरे उद्योगपतियों और सबसे ज्यादा राजनीतिक नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स ने कितना पैसा कमाया है।
जब तक इस देश के लोगों को यह पता नहीं चलेगा कि किसने कितना पैसा जमा किया है तब तक यह आरोप लगता रहेगा कि देश के काले धन का आधा हिस्सा आपके आशीर्वाद प्राप्त 10-12 उदयोगपतियों के पास है। इन लोगों को आपकी नजदीकी का लाभ मिला है। इन्हें नोटबंदी की पहले ही जानकारी दे दी गई थी। कम से कम बैंकों की लाइनों में घंटों तक खड़े रहने वाले लोगों को यह जानने का हक है कि आपके नजदीकी इन 10-12 उद्योगपतियों ने कितने पैसे जमा कराए। ये वो लोग हैं जिनको आपने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की जमीन आवंटित की है। और इन लोगों ने 7000 लोगों के लिए रोजगार पैदा नहीं किया है।
अगर आरबीआई की वेबसाइट पर उन लोगों के नाम प्रकाशित किए जाएं जिन्होंने 300 से 400 करोड़ रुपये जमा किए हैं और यह बताया जाए कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है तो यह आपकी विश्वसनीयता कायम करेगा। कम से कम यह पता चलेगा कि आय से संपत्ति का मिलान न होने पर आयकर विभाग क्या कार्रवाई करेगा। मैं आपसे  दरख्वास्त  करता हूं कि इस बात का पता लगाया जाए कि 7 और 8 सितंबर को रात आठ बजे से पहले किसने कितना गोल्ड, डायमंड और ज्वैलरी खरीदी। इससे यह पता चलेगा कि बड़े कारोबारियों और पैसे वालों ने ऐन वक्त पर बड़ी मात्रा में सोना, डायमंड और ज्वैलरी क्यों खरीदी। पीएम साहब इतने मेहरबानी तो करिये कि भारत सरकार की वेबसाइट पर ऐसे लोगों के नाम प्रकाशित हों। इसके बाद ही भारत की जनता जान पाएगी कि नोटबंदी का फैसला उसके हित में है या फिर आपके, आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और आपके नजदीकियों के हित में।
 

सिर्फ आपका
यतीन ओजा

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 नागरिक अधिकारों को कुचल कर रख देगा महाराष्ट्र का इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट https://sabrangindia.in/naagaraika-adhaikaaraon-kao-kaucala-kara-rakha-daegaa-mahaaraasatara-kaa-intaranala/ Fri, 26 Aug 2016 04:12:13 +0000 http://localhost/sabrangv4/2016/08/26/naagaraika-adhaikaaraon-kao-kaucala-kara-rakha-daegaa-mahaaraasatara-kaa-intaranala/   महाराष्ट्र सरकार के प्रस्तावित कानून – प्रोटेक्शन ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट (एमपीआईएसए) के प्रावधान नागरिक अधिकारों के लिहाज से बेहद खतरनाक हैं। लिहाजा आम लोगों की ओर से इसका विरोध शुरू हो चुका है।     महाराष्ट्र सरकार, अपने एक नए प्रस्तावित कानून प्रोटेक्शन ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट (एमपीआईएसए) पर घिर चुकी है। सामाजिक […]

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महाराष्ट्र सरकार के प्रस्तावित कानून – प्रोटेक्शन ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट (एमपीआईएसए) के प्रावधान नागरिक अधिकारों के लिहाज से बेहद खतरनाक हैं। लिहाजा आम लोगों की ओर से इसका विरोध शुरू हो चुका है।
 
 
महाराष्ट्र सरकार, अपने एक नए प्रस्तावित कानून प्रोटेक्शन ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट (एमपीआईएसए) पर घिर चुकी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों के व्यापक विरोध के बाद सरकार ने अब यह कहा है कि 21 अगस्त को उसकी वेबसाइट पर इस कानून का मसौदा भर डाला गया है ताकि इस पर एक स्वस्थ बहस हो सके और इसे एक सही आलोचनात्मक दृष्टि से देखा जा सके। 

महाराष्ट्र सरकार के आला पुलिस अफसरों की मौजूदगी में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी ने कहा कि लोगों के सुझाव और आपत्तियों पर गौर करने के बाद ही प्रस्तावित बिल को राजनीतिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।

बख्शी ने कहा, हम आलोचनाओं और आपत्तियों के बिंदुओं पर गौर करेंगे और जो उचित समझेंगे उसे इस प्रस्तावित कानून के मसौदे में शामिल करेंगे। इसके बाद प्रस्तावित कानून का संशोधित मसौदा गृह मंत्रालय के सामने रखा जाएगा। फिर यह कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए जाएगा।

प्रस्तावित बिल का विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि लोग इसके कुछ कठोर प्रावधानों को लेकर बेहद आशंकित हैं। उनका मानना है कि इन प्रावधानों को लागू करते ही महाराष्ट्र एक ऐसे पुलिस स्टेट में बदल जाएगा, जहां प्राइवेसी से जुड़े कानून समेत अन्य नागरिक अधिकारों पर बुरी तरह मार पड़ेगी। विरोध के अधिकार काफी हद तक छिन जाएंगे। कांग्रेस और नेशनल अलायंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट ने इस प्रस्तावित कानून तुरंत वापस लेने की मांग की है।

कांग्रेस नेता संजय निरूपम कहते हैं,  मसौदे के मुताबिक अगर यह कानून लागू हुआ तो पुलिस को बेहिसाब ताकत मिल जाएगी। ऐसे कानून का एक मात्र मकसद लोगों के लोकतांत्रिक असहमति के अधिकारों को बुरी तरह कुचल देना है। इस कानून का मकसद न तो आतंक पर काबू पाना है और न ही अपराध कम करना है। बल्कि यह लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर वार होगा।

नेशनल अलायंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट से जुड़ी एक्टिविस्ट उल्का महाजन की भी ऐसी ही राय है। उनका कहना है कि यह कानून पुलिस को इतना ज्यादा अधिकार दे देता है कि वह लोकतांत्रिक असहमति की आवाज को भी कुचल कर रख देगी। महाजन कहती हैं कि हम इस मसौदे पर अपनी कोई राय नहीं देंगे और न ही हम कोई आपत्ति या सुझाव दर्ज कराने जा रहे हैं। हम सीधे-सीधे इस इस प्रस्तावित कानून के मसौदे को वापस लेने की मांग करेंगे।
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दरअसल इस प्रस्तावित कानून का मकसद महाराष्ट्र में आतंरिक सुरक्षा के लिए ऐसे प्रावधान लाना है, जिनसे आतंकवाद, विद्रोह, सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर की जाने वाली हिंसा और इनसे जुड़ी घटनाओं पर लगाम लगाया जा सके।
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मसौदे में कुछ व्यवस्थाओं और परिसंपत्तियों को महत्वपूर्ण परिसंपत्तियां और महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर माना गया है। इसमें राज्य के गृह मंत्री के अधीन एक उच्चस्तरीय कमेटी के गठन का प्रस्ताव किया गया है, जो इस तरह की परिसंपत्तियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए कदम उठाएगी। इसके तहत राज्य के कुछ इलाकों को स्पेशल सिक्यूरिटी जोन घोषित करने का इरादा है। इन इलाकों में हथियारों, विस्फोटकों की आवाजाही पर पाबंदी होगी। साथ ही अन-अकाउंटेड फंड के ट्रांजेक्शन को रोक दिया जाएगा। प्रस्तावित बिल के मुताबिक सभी सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के मालिकों और मैनेजरों को हर वक्त पब्लिक सेफ्टी से जुड़े कदम उठाने होंगे और उन्हें बरकरार रखना होगा। इस बारे में राज्य पुलिस प्रमुख समय-समय पर जो भी निर्देश देंगे उनका पालन करना होगा। इस तरह के कदमों में सीसीटीवी लगाना और इसके फुटेज को 30 दिन तक सुरक्षित रखने जैसे कदम शामिल हैं। ऐसे निर्देशों के पालन में नाकाम रहने पर पांच लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। 

इस प्रस्तावित कानून के तहत किए गए अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और नॉन-कंपाउंडेबल होंगे। इसके तहत अपराधों की सजा के लिए त्वरित अदालतें होंगी। यहां तेजी से इन मामलों का निपटान होगा।
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प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के मुताबिक तोड़-फोड़ की घटनाओं के दोषियों को आजीवन कारावास और जुर्माना या दोनों सजा एक साथ हो सकती है। तोड़फोड़ या विध्वंसकारी गतिविधियों में किसी भवन, वाहन, मशीनरी, यंत्र या सरकार या स्थानीय प्राधिकरण के इस्तेमाल योग्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना शामिल है।

बख्शी ने इस प्रस्तावित बिल को कारगर करार दिया और कहा कि जब 1999 में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (एमसीओसीए- मकोका) लाया गया था, तब भी ऐसी ही हाय-तौबा मचाई जा रही थी और उसका विरोध हो रहा था। लेकिन संगठित अपराध को काबू करने में यह जिस तरह कारगर साबित हुआ, उससे हर कोई संतुष्ट है।
 
 Full text of the bill may be accessed here.      1
 
 

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