mohd-zahid | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/mohd-zahid-0-14461/ News Related to Human Rights Sat, 04 Feb 2017 13:14:03 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.2.2 https://sabrangindia.in/wp-content/uploads/2023/06/Favicon_0.png mohd-zahid | SabrangIndia https://sabrangindia.in/content-author/mohd-zahid-0-14461/ 32 32 मुसलमानों के प्रति भारतीय मीडिया की सोच और साजिश https://sabrangindia.in/mausalamaanaon-kae-paratai-bhaarataiya-maidaiyaa-kai-saoca-aura-saajaisa/ Sat, 04 Feb 2017 13:14:03 +0000 http://localhost/sabrangv4/2017/02/04/mausalamaanaon-kae-paratai-bhaarataiya-maidaiyaa-kai-saoca-aura-saajaisa/    भारत के एक प्रतिष्ठित और सबसे बड़े समाचार चैनल के संपादक के साथ बैठकर कल 3-4 घंटे चर्चा की , कुछ सच सामने आए तो दो-तीन बातें मन-मस्तिष्क को हिला गयीं। 1-भारत की इलेक्ट्रानिक मीडिया में एक आध को छोड़कर सभी इलेक्ट्रानिक चैनल मुसलमानों और इस्लाम संबंधित सभी विषयों पर बहस के लिए , […]

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भारत के एक प्रतिष्ठित और सबसे बड़े समाचार चैनल के संपादक के साथ बैठकर कल 3-4 घंटे चर्चा की , कुछ सच सामने आए तो दो-तीन बातें मन-मस्तिष्क को हिला गयीं।

1-भारत की इलेक्ट्रानिक मीडिया में एक आध को छोड़कर सभी इलेक्ट्रानिक चैनल मुसलमानों और इस्लाम संबंधित सभी विषयों पर बहस के लिए , मुसलमानों के आधुनिक शिक्षा से शिक्षित विद्वानों को पैनल डिस्कशन में ना बुलाकर दाढ़ी टोपी ,कुर्ता और आधे पैर के पैजामा वाले मौलानाओं को ही बुलाने को प्राथमिकता देते हैं।

2-मुस्लिम महिलाओं के विषय में वह नकाब और बुरके वाली महिलाओं से ही उनसे सवाल जवाब करते हैं और आधुनिक शिक्षा से शिक्षित जीन्स पहने मुस्लिम महिलाएँ जो अधिक सुगमता से इस्लाम पर जवाब दे सकती हैं उनसे मीडिया का कैमरा दूर भागता है। ध्यान दीजिए पैनल डिस्ककशन में बुलाने के पहले मीडिया पैनलिस्ट का पक्ष पूछकर ही उन्हें बुलाता है। और इसी कारण आधुनिक शिक्षा की वह कम्युनिस्ट उर्दू नाम वाली महिला इस्लाम को बुरा कहने के लिए बुलाई जाती हैं।

3-दूसरा विषय असदुद्दीन ओवैसी को लेकर था जिसकी चर्चा करना यहाँ महत्वपूर्ण है।

आईए बिन्दुवार सोचते हैं कि यह सभी मीडिया चैनल मुसलमानों के विषय पर आधुनिक शिक्षा युक्त विद्वान जैसे "फ़ैजान मुस्तफा" जैसों को अपने पैनल डिस्कशन में क्युँ नहीं बुलाते ?

• क्युँकि एक तो इनसे इस्लाम को आधुनिक शिक्षा की दृष्टि से और संवैधानिक नज़रिए से मुसलमानों का पक्ष रखने का मौका मिलेगा जिससे संधियों की भ्रम फैलाने की रणनीति विफल होगी जो मीडिया नहीं चाहता और दूसरे कि मौलानाओं के चिल्लाहट और बेतरतीब कट्टर बहस से मुसलमानों के प्रति कट्टर बनी छवि में और बढ़ोत्तरी होगी , नफरत के वातावरण में दाढ़ी टोपी देखकर उनके संघी दर्शक उनसे और चिढ़ेंगे और संघ का उद्देश्य सफल होगा।

• मुस्लिम महिलाओं के हक हुकूक के बारे में बात करने के लिए भी मीडिया पर्दानशीं मुसलमान महिलाओं को ही ढूँढता है जिससे वह शर्म और बोल पाने की एक झिझक के कारण सही जवाब ना दे सकें और यही वह दिखाना चाहते हैं कि मुस्लिम महिलाएँ इस्लाम में दबी कुचली हैं , आधुनिक मुस्लिम महिलाओं के ताबड़तोड़ जवाब से संघ और मीडिया का गढ़ा यह मिथ टूट जाएगा।

• तीसरा जो महत्वपूर्ण बात संपादक जी ने कही वह असदुद्दीन ओवैसी के बारे में थी , उनका कहना था कि असदुद्दीन ओवैसी की बहस की तैयारी इतनी ज़बरदस्त है कि पूरी दुनिया में मुसलमानों से कितने किस किस तरह से और कौन कौन से सवाल पूछे जा सकते हैं , असदुद्दीन ओवैसी के पास इसका पूरा होमवर्क करके सारे प्रश्न की सूची और संविधान के दायरे में उसका जवाब तैयार है।

असदुद्दीन ओवैसी के पास हर उस सवाल की पूरी लिस्ट और उसका जवाब पहले से ही तैयार मिलेगा जो इस पूरी दुनिया में किसी भी मुसलमान से पूछा जा सकता है।

इसलिए मीडिया उनको महत्व देता है और फिर मीडिया को मुसलमान दिखाने के लिए दाढ़ी टोपी और शेरवानी तो उनके पास है ही।

लम्पट गालीबाज मजलिस समर्थकों को असदुद्दीन ओवैसी से यह गुण सीखना ही चाहिए।

(From a FB Post)

 

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