टाइम्स ऑफ इंडिया के आगरा संस्करण ने पिछले दिनों जैसे ही यह रिपोर्ट छापी कि प्रचार के आईटी प्लेटफॉर्मों पर मोदी जी और उनकी सरकार के लिए 2014 जैसा ही चकाचौंध पैदा की जाएगी वैसे ही एक युवक ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड कर भाजपा के आईटी सेल की बखिया उधेड़ दी। भाजपा आईटी सेल का भांडा फोड़ने वाले इस वीडियो को अब तक 45,000 लोग देख चुके हैं। वीडियो ने मोदी और उनकी सरकार के झूठे प्रचार की तिकड़मों का ऐसा पर्दाफाश किया है कि सच रेशा-रेशा होकर लोगों के सामने आ गया है।
यूट्यूब पर इस सच को सामने रखने वाले युवक ध्रुव राठी ने लिखा –
मैं भाजपा के आईटी सेल की ओर से फर्जी खबरों, फोटोशॉप, पेड ट्वीटर ट्रेंड्स, पेड फेसबुक पेज और पेड न्यूज के जरिये किए जा रहे प्रोपंगडा और झूठ फैलाने का भांडा फोड़ रहा हूं। मैंने यहां जिन ट्वीट अकाउंट्स का जिक्र किया है, वे उन इन्फ्लुएंसर (असर डालने वाले) के हैं, जिन्हें पीआर कंपनियों ने हायर किया हुआ है। इन्हें ट्वीटर पर हैशटेग ट्रेंड कराने के लिए पैसा दिया जाता है।
यह वीडियो ऐसे वक्त आया है जब नेशनल मीडिया उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचारों के लिए बनाई जाने वाली आईटी रणनीति की खबरें छाप रहा है। इन खबरों में बताया गया है कि बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के 10 लाख एप डाउनलोड करवाने का मिशन तय किया है। यह बताया गया है कि किस तरह 15000 लोगों के बीजेपी आईटी सेल को यह जिम्मेदारी दी गई है कि इसका हरेक सदस्य 66 लोगों को मोदी का यह एप डाउनलोड करने के लिए राजी करे। भाजपा का यह मिशन बुधवार को शुरू हुआ था । अब इसे पूरा करने के लिए जगह-जगह कैंप लगाए जा रहे हैं। कैंप खास कर कॉलेजों में लगाए जा रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पीएम से जोड़ा जा सके।
वीडियो में ध्रुव राठी कहते हैं-
मोदी और उनके पक्ष में किए जाने वाले पचास फीसदी ट्वीट पेड ट्वीटर हैंडल से किए जाते हैं। फर्जी खबरों को आधार बना कर ट्वीट करने वाले हैंडलर्स और इन्फ्लुएंशर्स को पीआर कंपनियों ने हायर कर रखा है।
मोदी की बीजेपी इन पेड ट्वीटर ट्रेंड्स पर निर्भर है। हर ट्वीट के पैसे दिए जाते हैं। पब्लिक रिलेशन कंपनियां और इन्फ्लुएंसर सोशल मीडिया पर लोगों को प्रभावित करने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करते हैं।
पेड ट्वीट और हैशटैग को ऐसे पहचानें
इन्हें बारीकी से देखें। ऐसे हरेक ट्वीट के लिए 50 से 70 रुपये दिए जाते हैं। जिस देश में लाखों युवा बेरोजगार हों, वहां किसी के लिए इससे अच्छी पॉकेटमनी और क्या हो सकती है। लेकिन सोचिए कि इस तरीके से प्रोपगंडा का सच पर कितना घातक असर होता है।
इस तरह के ट्रेंडिंग हैशटेग के साथ फर्जी और पेड ट्वीट को पहचानने का एक और तरीका है। ये खास मौके और पहले से तय समय पर किए जाते हैं।
इस उदाहरण पर गौर करें-
खुद को इन्फ्लेंसर कहने वाली“The Red Lipstick”
का ट्वीट
“The Red Lipstick” calls herself an Inflencer…no holds barred…
बीजेपी के प्रोपंगडा और झूठ के दूसरे औजार
बीजेपी का आईटी सेल अपने झूठ के लिए सबसे ज्यादा जिस औजार का इस्तेमाल करता है वह है फोटोशॉप के जरिये तैयार तस्वीरों का या मॉर्फिंग के जरिये तैयार तस्वीरों का। जैसे मोदी का लार्जर देन लाइफ इमेज दिखाने के लिए उनकी तस्वीर के पीछे गिरते हुए झरने की तस्वीर का इस्तेमाल किया जाता है।
एक और उदाहरण लें। जैसे- जूलियन असांज की ओर से मोदी की झूठी तारीफ से जुड़े ट्वीट।
[ Narendra Modi gets it wrong yet again: WikiLeaks didn't praise him]
बीजेपी के पूर्व आईटी सेल चीफ प्रद्योत बोरा ने जब इसे छोड़ा तो उन्होंने इस फर्जीवाड़े के बारे में इंडियन एक्सप्रेस में लेख लिख कर इसका जिक्र किया। बोरा इस पद पर 2004 से ही थे। उन्होंने लिखा कि बीजेपी पर पागलपन सवार है।
http://indianexpress.com/article/politics/bjp-national-executive-member-…
“Madness has gripped the party. The desire to win at any cost has destroyed the ethos of the party.”
अब इस पागलपन को बीजेपी के आईटी सेल के नए चीफ अमित मालवीय दिशा दे रहे हैं।
प्रोपगंडा को हवा देने के अलावा बीजेपी के और भी औजार हैं। जैसे- गाली-गलौज करने वाले अकाउंट- इंडिया अंगेस्ट प्रेसिट्यूट्स, फ्रस्टेटेड इंडियन और सत्यमेव। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जी न्यूज और इंडिया टीवी बेशर्मी से हवा देते हैं। ये चैनल सत्ताधारी पार्टी के लिए बेशर्मी से प्रोपगंडा करने वाले बन कर उभरे हैं।
मुख्यधारा का मीडिया अक्सर इस तरह के पेड अभियानों से प्रभावित हो जाता है। इसका एक उदाहरण देखिये- जी न्यूज ने यह खबर दिखाई कि नरेंद्र मोदी ने रात दस बजे त्रिपुरा के एक आईएएस अफसर को फोन कर उनसे हाईवे ठीक कराने को कहा।
यह मोदी की इमेज बिल्डिंग की कवायद थी। बगैर किसी पड़ताल के सारे न्यूज चैनलों ने यह खबर फ्लैश कर दी। इसके बाद यह ट्रेंड करने लगी। इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर की जिम्मेदारी नहीं ली और उसने यह डिस्क्लेमर दिया कि खबर की पुष्टि नहीं की गई है। इकोनॉमिक टाइम्स के सीनियर एडिटरों ने इसे खारिज कर दिया। इस झूठी खबर में जिस आईएएस अफसर को हाईवे बनाने का निर्देश दिया गया था, उनसे पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें पीएम से ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला था। जब बीजेपी के आईटी सेल से पूछा गया तो इससे जुड़े पुष्पक चक्रवर्ती ने बेशर्मी ने कहा कि वह इस खबर के स्त्रोत की जांच नहीं कर सकते।
पाठकों और दर्शक अगर किसी खबर की प्रामाणिकता जानने चाहते हैं तो इसका एक और तरीका है। संबंधित खबर को गूगल सर्च पर खोजें। क्या यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस या बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी है। इनमें छपी 99 फीसदी खबरों की पुष्टि की जाती है। अगर यह खबर सिर्फ जी न्यूज या इंडिया टीवी में ही आई है तो 99 फीसदी संभावना इस बात की है कि इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की गई होगी। यह फर्जी खबर होगी, जो इन चैनलों पर पेड न्यूज के तौर पर चलाई गई होगी।
फर्जी खबरें, मॉर्फड् फोटो और हेट कैंपेन- बीजेपी परिस्थिति और समय के हिसाब से इन तीनों हथकंडों का इस्तेमाल करती है। पब्लिक का मूड भांप कर इन्हें आजमाया जाता है। इसकी भयावहता की पहचान तभी हो सकती है जब देश के लोग यह जान पाएंगे कि सत्तारुढ़ पार्टी किस हद तक जा सकती है।
बहरहाल बीजेपी के झूठ और प्रोपगंडा की कलई उतार कर रख देने वाले इस वीडियो को 45000 लोग देख चुके हैं और अभी इसे कई हजार लोग और देखेंगे।