राजस्थान में दलित महिलाओं पर लगातार हर तरह से अत्याचारों का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। समाज में जातिवाद और पितृसत्ता की जड़ें इतनी मजबूत है कि इससे हर दलित महिला को उसके जीवन में इसका दंश झेलना पड़ता है और इसकी वजह से आये दिन उत्पीड़न के कई मामले सामने आ रहे हैं। इसमें दलित महिला ने अधिकार, स्वाभिमान और गरिमा के लिए हिम्मत दिखाई है तो उसे या तो अपनी जान देनी पड़ी है या अन्य किसी मानहानि, आर्थिक हानि, जनहानि या हिंसा और अपमान भुगतना पड़ा है। आखिर इनके हितों की रक्षा के लिए बने कानून, सरकार, पुलिस, प्रशासन और आयोग आदि होने के बावजूद इनके अधिकारों और सामाजिक विकास की स्थिति दयनीय और हाशिये पर है।
इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए 'आल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच, दिल्ली' पिछले कई सालों से महिला सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय स्तर पर 7 राज्यों में दलित महिलाओं के संरक्षण और संवर्धन हेतु काम कर रहा है, जो दलित महिलाओं को जाति, वर्ग और लिंग आधारित भेदभाव और अत्याचारों के खिलाफ़ संघर्ष कर उन्हें समाज में समान अवसर, गरिमा और न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत है। इसी कड़ी में 'दलित महिला स्वाभिमान यात्रा' भी एक ऐसा प्रयास है जो इन सच्चाइयों को लोगों के सामने लाना चाहती है। और यह इंसाफ के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही यह यात्रा दलित महिलाओं को निडर, सुरक्षित और गरिमामय जीवन के लिए प्रेरित करेगी। इस यात्रा के माध्यम से बड़े स्तर पर सरकार, पुलिस, प्रशासन, आयोग आदि में दलित महिलाओं के खिलाफ हो रहे जातिगत आधार पर अत्याचारों और यौन उत्पीड़नों से निजात पाने के लिए राज्य के हर कोने से आवाज़ बुलंद की जायेगी।
'दलित महिला स्वाभिमान यात्रा' का पहला चरण फ़रवरी 2014 में आयोजित किया गया था। यह हरियाणा, बिहार, मध्यप्रदेश, बुंदेलखंड उत्तरप्रदेश और उड़ीसा में हुआ जिसमें देखा गया कि दलित महिलाओं को अपनी ज़िन्दगी में बलात्कार, नंगा घुमाने, जान से मारने और कई तरह की धमकियों आदि से गुजरना पड़ता है, इन्हें अवसरों के वंचित रखा जाता है और राज्य तंत्र तक पहुँच नहीं होने दी जाती, साथ ही राज्य संसाधनों का लाभ लेने से भी वंचित कर दिया जाता है।
'दलित महिला स्वाभिमान यात्रा' के दूसरे चरण में नेतृत्व देने वाले लोगों की पहचान और जमीनी स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक लीडरशिप बनाने पर जोर दिया जायेगा। इनमें विभिन्न स्टेकहोल्डर को शामिल किया जायेगा जो जातिमुक्ति और लैंगिक समानता के लिए काम करते हैं, जो दलित महिलाओं के प्रति की जा रही क्रूरता के खिलाफ़ हों। इसमें स्थानीय स्तर के दलित समुदायों के मुद्दों को उठाया जाएगा और राज्य की दंड के अभाव की संस्कृति के मुद्दे पर बात की जायेगी।
इन्हीं सब हालात और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 'आल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच' राजस्थान में दलित महिलाओं के संरक्षण, अधिकारों के प्रति जागरूकता और उनके सशक्तिकरण के लिए दिनांक 18 सितंबर 2016 से डेल्टा मेघवाल के गाँव त्रिमोही, गडरारोड से एक राज्य स्तरीय रैली 'दलित महिला स्वाभिमान यात्रा' का आयोजन करने जा रहा है। यह रैली बाड़मेर जिले के त्रिमोही गाँव से सुबह 9 बजे शुरू होकर जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, नागौर, सीकर, झुंझनु होते हुए 28 सितंबर को जयपुर पहुंचेगी। इस यात्रा के दौरान राजस्थान के सुदूर क्षेत्रों, खासतौर से गांवों में जागरूकता बैठकों का आयोजन किया जायेगा। इसी के साथ यात्रा के दौरान दलित समुदाय के नेताओं के दृष्टिकोण को जिसमें डॉ. बी. आर. अम्बेडकर भी शामिल है, सबके सामने रखा जायेगा। इसके साथ-साथ जातिवादी हिंसा और भेदभाव के खिलाफ़ दलित समुदाय को संगठित और अपराधियों के बहिष्करण के लिए प्रेरित किया जायेगा।
इस यात्रा का संयोजन 'आल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच' की राज्य समन्वयक सुमन देवठिया कर रही है और इनके अलावा इस यात्रा में इसकी राष्ट्रीय समन्वयक अंजू सिंह भी शामिल रहेंगी। इस यात्रा में 'आल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच' से जुड़े सात राज्यों के लोग शामिल होंगे जिनमें संगठन की दिल्ली इकाई समन्वयक गंगामाई, शोभना स्मृति, उत्तरप्रदेश समन्वयक, शशिमानसी उड़ीसा समन्वयक, गायत्री सोनकर, मध्यप्रदेश समन्वयक, माया अहिरवार MP, राजेश्वर पासवान, बिहार समन्वयक, एडवोकेट गौरी कुमारी बिहार समन्वयक, लक्ष्मी MP, अनीता बाकोलिया राजस्थान सहित 20 लोगों की टीम पूरी यात्रा में शामिल रहेंगी। इस यात्रा में बाड़मेर से 'दलित अधिकार अभियान' से जुड़े तोलाराम चौहान, 'दलित अत्याचार निवारण समिति' के जिला संयोजक उदाराम मेघवाल, युवा सामाजिक कार्यकर्ता जोगराज सिंह आदि लोग शामिल होंगे।
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यात्रा से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए यहाँ विजिट कर सकते हैं: https://www.facebook.com/events/1076441669104519/?ti=cl