मध्य प्रदेश। ग्वालियर – दशहरा कहते हैं बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है। इस दिन लोग आपने मन के रावण को हमेशा के लिए मारने के लिए रावण का पुतला प्रतीक के रूप में जलाते हैं। पर यह सच है क्या? अगर हां तो फिर यह शर्मनाक घटना किस तरफ इशारा करती है।
दशहरे वाले दिन गावं के एक समुदाय ने रावण की जगह डॉ. आंबेडकर का पुतला बनाया और उसे जलाने की तैयारी करने लगे। जिस पर गावं के दलित समुदाय ने विरोध किया और दोनों समुदायों में तनाव व्याप्त हो गया।
दलित समाज ने रावण की जगह डॉ. अंबेडकर का पुतला जुलूस में ले जाने का आरोप लगाते हुए बाजार को बंद कराकर रोष व्यक्त किया। दलित समाज के लोगो ने डॉ.अंबेडकर का पुतला बनाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे।
भितरवार विधानसभा के अन्तर्गत ग्राम चरखा में दशहरा के दिन शाम को गायक सुमन चौधरी ने बाबा साहब अम्बेडकर के मिशन गीत गाना शुरू किया तो गाँव के ब्राहमण समुदाय के लोगों ने विरोध किया। साथ ही बाबा साहब का पुतला फूंकने की कोशिश की गांव के दलित समाज ने पुतला जलाने का विरोध किया। डॉ. अंबेडकर के अनुयायियों ने जुलूस निकाल रहे लोगों से पुतला छीन लिया और रात भर पुतले के पास बैठे रहे।
दलित समाज ने बुधवार को दोपहर बाद भितरवार थाने के सामने पहुंचे और ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी कर जाम लगा दिया। दलितों की जबरदस्ती बाजार बंद कराए और बंद नहीं करने पर कुछ व्यापारियों से भी मारपीट हुई । पुलिस ने चरखा गांव के दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।