ढाई साल पहले नोट बदलने के खिलाफ थी बीजेपी, गरीबों के बरबाद होने का दिया था वास्ता

नई दिल्ली। 8 नवम्बर 2016 की तारीख को पीएम मोदी ने एकाएक 500 और 1000 के नोट बंद कर दिया। उन्होंने ये भी नहीं सोचा कि इतने बड़े फैसले से देश की जनता का क्या हाल होगा। लेकिन 23 जनवरी 2014 एक ऐसी तारीख है जब ज़ी न्यूज में एक खबर छपी थी जिसमें बीजेपी ने तत्कालीन यूपीए सरकार के नोट बदलने के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए थे। बीजेपी ने इसे चुनावी स्टंट बताते हुए गरीबों और मजदूरों के बरबाद होने की बात कही थी। लेकिन अब जब यूपी चुनाव का वक्त नजदीक आ गया है तो क्या बीजेपी ने अचानक ऐसा करके चुनावी स्टंट किया है? 

Modi jaitley

बता दें कि 23 जनवरी 2014 को ज़ी न्यूज में एक खबर प्रकाशित हुई थी जिसमें बीजेपी की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने यूपीए सरकार के बड़े करेंसी नोटों के वापस लेने के फैसले का खुला विरोध किया था। तब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जोर-शोर से अपने प्रचार में जुटे हुए थे। उसी समय यूपीए की सरकार ने 2005 से पहले के करेंसी नोटों को वापस लेने का निर्णय किया था लेकिन विपक्ष में बैठी एनडीए ने उसका पूरी तरह से विरोध किया था।

 

 
भाजपा ने आरोप लगाया था कि सरकार ने कालेधन पर काबू पाने के नाम पर वर्ष 2005 से पहले के सभी करेंसी नोट वापस लेने का जो निर्णय किया है वह आम आदमी को परेशान करने और उन चहेतों को बचाने के लिए है जिनका भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद के बराबर का कालाधन विदेशी बैंकों में जमा है। भाजपा ने कहा था कि यह निर्णय दूर दूराज के इलाकों में रहने वाले उन गरीब लोगों की खून पसीने की गाढ़ी कमाई को मुश्किल में डाल देगा जिसे उन्होंने जरूरत के वक्त के लिए जमा किया है।

भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा था सरकार का यह फैसला विदेशी बैंकों में अमेरिकी डालर, जर्मन ड्यूश मार्क और फ्रांसिसी फ्रांक आदि करेंसियों के रूप में जमा भारतीयों के कालेधन में से एक पाई भी वापस नहीं ला सकेगा। सरकार का विदेशों में जमा भारतीयों के कालेधन को वापस लाने का कोई इरादा नहीं है और वह केवल चुनावी स्टंट कर रही है।
 
लेखी ने तर्क दिया था कि इस निर्णय से दूर दराज के इलाकों के गरीबों की मेहनत की कमाई पर पानी फिर जाने का पूरा खतरा पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि गरीब और आदिवासी लोग पाई-पाई जमा करके अपनी बेटियों की शादी ब्याह और अन्य वक्त जरूरत के लिए घर के आटे-दाल के डिब्बों आदि में धन छिपा कर रखते हैं। ऐसे में अधिकतर लोग अपना धन 2005 के बाद की करेंसी से नहीं बदल पाएंगे या बिचौलियों के भारी शोषण का शिकार हो जाएंगे।
 
भाजपा नेता ने कहा था कि देश की बहुत बड़ी आबादी ऐसी होगी जिसे इस खबर का पता भी नहीं होगा और वक्त जरूरत के लिए जब वे अपना यह कीमती धन खर्च करने के लिए निकालेंगे तब उन्हें एहसास होगा कि उनकी कड़ी मेहनत की कमाई कागज का टुकड़ा भर रह गई है। सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा था कि यह निर्णय आम आदमी और आम औरत को परेशान करने तथा उन चहेतों को बचाने के लिए है जिनका भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद के बराबर का कालाधन विदेशी बैंकों में जमा है।

Courtesy: National Dastak
 
 

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