कुछ बेहद गंभीर सवाल –
धर्मशास्त्रों में मरी हुई गाय के निपटान की क्या व्यवस्था है?
यह काम किस जाति के हिस्से है?
दफनाया जाना है या अग्नि को समर्पित करना चाहिए?
वेद, पुराण, गीता… ये ग्रंथ क्या कहते हैं?
अंतिम संस्कार के मंत्र क्या हैं?
मालिक की उपस्थिति होनी चाहिए या नहीं?
श्राद्ध होगा या नहीं?
पिंडदान कराना है या नहीं?
अस्थि विसर्जन करना पड़ता है या नहीं?
तेरहवीं, चौथा, उठाला, ये सब होता है या नहीं?
सिर कौन मुंड़ाता है?
शास्त्रों के जानकार लोग बताएं तो देश को पता चल पाएगा.
फोटो – टीकमगढ़ में सूखे के दौरान खेत में मरी गाय, जिसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया.
गुजरात कांड पर विश्व हिंदू परिषद का बयान –
“नैसर्गिक रूप से मरी गायों और पशुओं के निपटान की हिंदू समाज में व्यवस्था है और वह परंपरागत रूप से चली आ रही है. इस व्यवस्था को गोहत्या कह कर कुछ तत्वों द्वारा जो अत्याचार हो रहा है, उसका विश्व हिंदू परिषद विरोध करती है.”
विश्व हिंदू परिषद को इस अपमानजनक बयान के लिए देश के दलित समाज से और पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.
आखिर क्या है हिंदू समाज में गाय की लाश निपटाने की परंपरागत व्यवस्था?
एक पवित्र धागा इन गुंडों को संपादकों और एंकरों से जोड़ता है.
कई बार एक चिंगारी पूरे जंगल में आग लगा देती है. दिल्ली, 24 जुलाई.
दुनिया की सबसे बड़े ब्रॉडकास्टिंग संस्थाओं में एक BBC, गोरक्षकों को ठोककर “गुंडा” लिख रही है. दुनिया के हर देश में इसकी पहुंच है. वहीं भारत के किसी चैनल या अखबार ने गुंडों को गुंडा नहीं कहा… एक ने भी नहीं.