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गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों ने बदली रणनीति


Members of Gau Rakshak Dal —pic courtesy: Facebook

अब ये स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री ने जो गौरक्षकों के खिलाफ बयान दिया था, वह महज औपचारिकता था। गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी आतंकवाद में बदल चुकी है और अब ये संगठित अपराध का रूप ले चुका है। इसमें शामिल होने वाले आरएसएस और सहयोगी संगठनों से ही जुड़े लोग हैं। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने तो यह तक ऐलान किया हुआ है कि अगर एक भी गौ रक्षक गिरफ्तार हुआ तो हम इसका कड़ा विरोध करेंगे।

हालाँकि, अब कथित गौरक्षक फिलहाल कुछ ऐहतियात बरतते हुए अपनी घटनाओं को अंजाम देने की रणनीति बना रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद ने तो अपने गौरक्षकों की बैठक में बाकायदा संदेश दिया है कि गौतस्करी के नाम पर किसी की पिटाई करते समय इतना ध्यान रखें कि उसकी हड्डी न टूटे। ये सुझाव किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचाव के लिए दिया गया है।

मेरठ में विश्व हिंदू परिषद के ब्रज क्षेत्र और उत्तराखंड के गौरक्षकों की बैठक में गौरक्षा की केंद्रीय समिति के सदस्य खेमचंद ने तो यहाँ तक कह दिया कि देश का विकास गौरक्षा से होगा, मेक इन इंडिया से नहीं। खेमचंद ने पिटाई के वीडियो बनाने से बचने की भी सलाह दी।

पिछले साल शामली में गौहत्या का आरोप लगाते हुए वीएचपी के सदस्य विवेक प्रेमी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई होने को देखते हुए परिषद अब अपने सदस्यों को ऐहतियात बरतते हुए काम करने की सलाह दे रही है। मंदसौर में भी रेलवे स्टेशन पर दो मुस्लिम महिलाओं का वीडियो वायरल हुआ था। पटियाला में भी गौरक्षक दल का प्रमुख सतीश कुमार ऐसे ही मामले में गिरफ्तार हुआ था जिस पर बाद में अप्राकृतिक यौन शोषण का भी मामला दर्ज हुआ।

दरअसल, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस को लगता है कि अपने युवा कार्यकर्ताओं का उत्साह बनाए रखने और उन्हें व्यस्त रखने में गौरक्षा का अभियान काफी सहायक हो सकता है। गौरक्षा के नाम पर दलितों-मुस्लिमों और पिछड़े वर्गों के लोगों को मारने-पीटने से इन कार्यकर्ताओं का इलाके में रौब बढ़ता है।

एक अन्य फायदा संगठनों को ये होता है कि गौरक्षा के नाम पर अपराध की दुनिया में कदम रखवाकर इन युवाओं को हमेशा के लिए अपने से जोड़कर रखा जा सकता है।

हालाँकि, विश्व हिंदू परिषद का मानना है कि मारपीट की इन घटनाओं के वीडियो बनाने से फिलहाल बचना चाहिए, और मारपीट भी ऐसे की जानी चाहिए कि पिटने वालों की हड्डी न टूटे ताकि पुलिस की जाँच में कोई ऐसा सबूत न मिले जिससे कि गौरक्षकों के गिरफ्तार होने की नौबत आए।

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