गांधीनगर। गुजरात के गांधीनगर जिले के कलोल की एक अदालत ने 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद हुई हिंसा के 26 आरोपियों को पर्याप्त सबूतों के अभाव के चलते बरी कर दिया है। मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले इन लोगों पर गोधरा में ट्रेन को आग लगाने के बाद पलियाड गांव में दंगे फैलाने, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप था।
कोर्ट ने कहा कि 28 फरवरी 2002 में हुई हिंसा के मामले में कोर्ट के सामने पर्याप्त सबूत नहीं पेश किए। जिसके चलते कोर्ट ने आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया।
जनसत्ता के अनुसार, बरी किए गए आरोपियों नें ज्यादातर पलियाड गांव के रहने वाले है जबकि तीन आरोपी अहमदाबाद के हैं। अडिशनल सेशन जज बीडी पटेल के अनुसार शकीलाबेन अजमेरी, अब्बासमियां अजमेरी, नजुमियां सैयद जैसे गवाह भी कोर्ट में अपने बयान से मुकर गए उन्होंने 500 लोगों की भीड़ में उन लोगों को पहचानने से इंकार कर दिया। इन गवाहों के मुताबिक पुलिस ने मनमाने ढंग से आरोपियों के नाम लिखे थे।
कोर्ट ने वकील की इस बात से सहमत होते हुए कहा कि इस मामले में जांच ठीक तरह से नहीं की गई और यह बात जांच कर रहे अधिकारी ने भी मानी है। कोर्ट ने कहा कि गवाह भी अपनी बात से मुकर गए, जबकि स्वतंत्र गवाह ने भी अभियोजन पक्ष की शिकायत का समर्थन नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच कर रहे अफसर और गवाहों की मौत हो चुकी है। कई गवाह पलियाड गांव छोड़ चुके हैं। इसलिए सभी दस्तावेजों में रखते हुए यह साबित हुआ है कि दोनों पक्षों में समझौता हुआ है क्योंकि यहां पर्याप्त सबूतों की कमी है।
Courtesy: National Dastak