गांधीनगर। गुजरात में उत्पीड़न के मामले में न्याय के लिए धरना दे रहे दलितों की सुनने के लिए राज्य की बीजेपी सरकार बिल्कुल तैयार नहीं है। न्याय की आस में दो महीने से अनशन पर बैठे परिवार ने अब हारकर मुख्यमंत्री से इच्छामृत्यु की मांग की है।
दरअसल गुजरात के उना तहसील के आकोलाली गांव निवासी लालजी काणाभाई सरवैया को 2012 में उनके ही घर में जिंदा जला दिया था। इस वारदात को सवर्णों ने अंजाम दिया था। इस घटना में सवर्णों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही दलित परिवार को सरकार से कोई सुरक्षा उपलब्ध कराई गई। इन्हीं कथित सवर्णों के डर से यह परिवार पिछले चार से दर बदर भटक रहा है।
पीड़ित परिवार के 16 लोग अभी तक पांच बार अनशन कर चुके हैं। एक बार जब इन्होंने आत्महत्या करने की बात कही तो पुलिस प्रशासन द्वारा परिवार के किशोरभाई को जेल जाने की नौबत आ गई। इस बार पीड़ित परिवार गांधीनगर सेक्टर 6 में 25 सितम्बर से बैठा है।
इन्होंने बताया कि गुजरात के मुख्यमंत्री से बात करने के बावजूद भी हमे हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं। हालांकि एक बार मुख्यमंत्री ने इनकी मांगें पूरी करने का वादा किया था। इसके बाद उनकी मांगें कागजों में पूरी कर दी गईं। पीड़ितों को कुछ भी नहीं दिया गया।
प्रशासन ने पीड़ित परिवार से यह कहकर मुआवजा देने से पल्ला झाड़ लिया कि तुमपर 2 लाख रुपये का लोन बाकी है। पहले इसे भरो तभी कुछ हो सकता है। परिवार के सदस्य पीयूष सरवैया ने बताया की लोन के लिए देने के लिए हम ने पैसे रखे हुए थे लेकिन हमारे भाई को घर में जलाकर मार डाला था। इस घटना में पैसे, जेवर सब कुछ जल गया। अब हमारे पास किराए के घर में रहने लायक भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में हम 2 लाख रुपये कहां से लायेंगे?
अनशनरत पीड़ित परिवार के चार बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। अब इस परिवार को खाने के भी लाले पड़ रहे हैं। दरबदर हुए इस परिवार को अब मुख्यमंत्री से आत्महत्या की इजाजत मिलने की आस है।
Courtesy: National Dastak