भारत की पहली गोरक्षिणी सभा की परिकल्पना गुजरात में हुई. 1881 में. दयानंद ने यह स्थापना दी कि गाय को बचाना है. इसके लिए उन्होंने एक किताब लिखी – गौकरुणानिधि.
कुल चार किताबें लिखीं थीं दयानंद ने. यह उनमें एक है. दस लाख से अधिक बिकी है. हर असली आर्यसमाजी के पास मिल जाएगी.
गाय क्यों बचानी है, इसके तर्क अद्भुत हैं. बंदर मांस नहीं खाता तो इंसान को भी मांस नहीं खाना चाहिए.
सबसे अद्भुत तर्क यह है कि दूध का सेवन करने से अन्न कम खाना पड़ता है और इससे टट्टी में बदबू कम आएगी.
यह शाकाहार का घोषणापत्र है.
खैर, किताब का आधा हिस्सा यह बताता है कि गोरक्षिणी सभाएं कैसे काम करेंगी. चंदा कैसे आएगा वगैरह…. मैं कितना बताऊं. ऑनलाइन उपलब्ध है. पढ़ लीजिए.
अच्छा है कि उसी गुजरात से गोरक्षिणी सभा का खेल खत्म हो रहा है… कुछ दिन तो गुजारिए गुजरात में!
अमिताभ असली.
गाय की लाशें असली.