इलाहाबाद विश्वविद्यालयः दमन-उत्पीड़न का नया अड्डा

 

इलाहाबाद में 12 और 13 जून को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के ठीक पहले एक स्टूडेंट और महिला नेता की ओर से प्रधानमंत्री को लिखी गई यह खुली चिट्ठी विश्वविद्यालय परिसर में वीसी और प्रशासन की करतूतों के खिलाफ एक सशक्त अपील है। विद्यार्थी अब समूचे शहर में पचास हजार पर्चे बांटने सहित एक विशेष अभियान चलाने जा रहे हैं। दूसरी ओर, इस समूचे घटनाक्रम के प्रति मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आंखें मूंद रखी हैं। इसके अलावा, पांच सौ से ज्यादा ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें 2011 में पास हो जाने के बावजूद स्टाफ सेलेक्शन कमीशन नियुक्ति नहीं दे रहा है और वे भी पिछले पच्चीस दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब देखना है कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उपस्थित होने वाले प्रधानमंत्री इन आरोपों पर क्या रुख अख्तियार करते हैं।

 
पत्र
 
प्रिय प्रधानमंत्री जी,
 
आपके इलाहाबाद दौरे के मौके पर मैं बतौर एक केंद्रीय संस्थान, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुद्दे को आपकी जानकारी में लाना चाहती हूं, जिसके तहत विश्वविद्यालय को बचाने और स्त्रियों के लिए इंसाफ सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
 
परिसर में महिलाएं चिंतजनक रूप से असुरक्षित हैं और उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। दूसरी ओर, महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन में बैठे कई लोगों मिलीभगत लगती है। सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि वीसी रतन लाल हंगलू ने विश्वविद्यालय प्रशासन में ऐसे लोगों को बहाल किया है, जिन पर महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों के आरोप हैं।
 
– विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार का अड्डा बनता गया है। वित्तीय मामलों में कोई पारदर्शिता नहीं है और प्रशासन में बैठे लोगों के करीबियों को ठेके बांटे जा रहे हैं। इससे ज्यादा चिंता की बात यह है कि निजी सुख-सुविधाओं पर सार्वजनिक धन में से लाखों रुपए उड़ाए गए। इसलिए पिछले साल भर में हुए वित्तीय लेन-देन की सीबीआई से जांच कराई जाए।
 
– विश्वविद्यालय प्रशासन की अपनी ड्यूटी के प्रति आपराधिक लापरवाही की वजह से हजारों स्टूडेंट्स का अकादमिक कॅरियर खतरे में है। चूंकि विश्वविद्यालय ने जरूरी व्यवस्था नहीं की, इसलिए हजारों स्टूडेंट्स हाल ही में आयोजित अंतरस्नातक प्रवेश परीक्षा (2016-17) में शामिल नहीं हो सके। एलएलबी डिग्री के मामले में भी स्थिति बहुत खराब है।
 
– दलित और ओबीसी विद्यार्थियों के प्रति पूर्वाग्रह और दुराग्र्ह से भरा रवैया अपनाते हुए वीसी ने एक ऐसे व्यक्ति को ज्वाइंट-रजिस्ट्रार नियुक्त किया है, जिसे ओबीसी के खिलाफ भेदभाव करने का दोषी पाया गया था।
 
– सबसे खराब स्थिति यह है कि वीसी खुद लगातार विद्यार्थियों, शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहे हैं और धमकियां दे रहे हैं। उनकी साधारण मांगों को भी दरकिनार कर पुलिस-तंत्र का सहारा लेकर स्टूडेंट्स लीडर्स को झूठे आरोपों में फंसाया और उन्हें निलंबित किया जा रहा है।
 
प्रिय प्रधानमंत्री, सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कई पत्र लिखने, अपील करने, स्मार-पत्र देने के बावजूद मानव संसाधन मंत्रालय की ओर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनियमितताओं के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
 
अब कोई विकल्प नहीं बचने के बाद स्टूडेंट्स, युवा और महिलाएं आपकी ओर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं।
हम आग्रह और उम्मीद करते हैं कि हजारों विद्यार्थियों के भविष्य का खयाल करते हुए आप कोई कदम उठाएंगे और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। विश्वविद्यालय प्रशासन के गलत कामों पर रोक लगाने के लिए आप तत्काल जांच शुरू करवाएं और वीसी सहित प्रशासन में दूसरे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कराएं।
 
भवदीय
ऋचा सिंह
अध्यक्ष
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ

 

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