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इंसाफ से दूर नफरत की हवा का शिकार मोहसिन

मोहसिन पर बर्बर हमले और उसकी मौत के ढाई साल बाद पुणे में एक अदालत में धनंजय देसाई की अपील पर सुनवाई होगी। दूसरी ओर, सरकार के वादे के बावजूद अब तक मोहसिन के परिवार को कोई राहत या क्षतिपूर्ति या उसके भाई मुबीन को कोई सरकारी नौकरी नहीं दी गई है।

ढाई साल पहले मोदी सरकार के सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद एक भीड़ ने शोलापुर जिले के रहने वाले चौबीस साल के मोहसिन शेख पर हमला किया और उसे मारते-मारते मार डाला। मोहसिन पुणे में एक आइआइटी कंपनी में मैनेजर के तौर पर काम करता था। इस बीच कांग्रेस-एनसीपी की सरकार की जगह भाजपा सत्ता में है, लेकिन न तो मामले में कोई प्रगति हुई है, न ही मोहसिन के पिता सादिक शेख को मुआवजे की कोई रकम मिली है। भीड़ के हाथों हत्या के तुरंत बाद तीन लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की गई थी, लेकिन परिवार और सरकार के बीच बार-बार की बातचीत के बावजूद अब तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ। इतने दिन के बाद अब मोहसिन के परिवार की मदद करने वाले वकील भी थकने लगे हैं।

मोहसिन के पिता सादिक शेख ने सबरंग इंडिया को बताया कि हम इस बात को लेकर बेहद फिक्रमंद हैं कि जिस तरह लगातार बिना वजह के देरी हो रही है, उसमें शायद हमें इंसाफ नहीं मिल सके। पुणे में हमारा हित चाहने वाले अदालत में हमारी मदद कर रहे हैं, लेकिन लगातार देर होती जा रही है। अब उज्ज्वल निकम के विशेष जन-अभियोजन बनने के बाद हम उम्मीदों के खिलाफ भी उम्मीद कर रहे हैं।' उज्ज्वल निकम आशंकाओं को किनारे करते हुए कहते हैं कि मामला योजना के मुताबिक चल रहा है और जल्दी ही विशेष अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किए जाएंगे।

हिंदू राष्ट्र सेना के मुखिया धनंजय देसाई ने इस मामले में जमानत की अपील की है। उसे पहले भड़काने वाले पर्चा बांटने और फिर इस मामले में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुणे ट्रायल कोर्ट में तीन बार खारिज किए जाने के बाद पिछले महीने बंबई हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को सर्शत जमानत दे दी। आरोपियों के वकील ने दलील दी कि पीड़ित के पिता ने शुरुआती एफआईआर में अज्ञात लोगों के होने की बात कही थी, और पुलिस ने तीन आरोपियों, शुभम दत्तात्रेय बराडे, महेश मारुति खोट और अभिषेक चह्वाण को इस मामले में घसीट लिया।

इस बीच, इसके एक अन्य आरोपी और हिंदू राष्ट्र सेना के सदस्य राहुल कुरूल ने भी दो साल से मुकदमा लटके होने और अपने निर्दोष होने को आधार बना कर जमानत की मांग की।

गौरतलब है कि जून 2014 में मोदी की सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद एक भीड़ ने बर्बरतापूर्वक मोहसिन की हत्या कर दी थी। तब किसी के फेसबुक की वाल पर शिवाजी और बाल ठाकरे की एक जुगुप्सा जगाने वाल फोटो लगाने के बाद भीड़ ने मोहसिन को इसलिए मार डाला। तब इस घटना के प्रति लोगों ने चिंता जताई और चारों तरफ आलोचना हुई थी। अलग-अलग शहरों में इस हत्या के खिलाफ प्रदर्शन हुए।

उस समय सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनकी उम्र उन्नीस से चौबीस थी। पुलिस ने तब बताया था ये लोग हिंदू राष्ट्र सेना के साथ जुड़े हुए थे। अपराध शाखा ने हिंदू राष्ट्र सेना के मुखिया धनंजय देसाई को पूछताछ के लिेए बुलाया था। उसे बाद में एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था।

मोहसिन शेख को उसके घर के नजदीक ही तब मारा गया था जब वह अपने एक दोस्त रियाज के साथ मसजिद से नमाज पढ़ के लौट रहा था। रियाज ने मीडिया को बताया था कि मोहसिन को इसलिए निशाने पर लिया गया कि मुसलिम टोपी पहनी हुई थी और दाढ़ी रखा हुआ था। रियाज ने बताया- 'मैं घटनास्थल से किसी तरह दौड़ कर भागा और मोहसिन के भाई मोबिन को मदद के लिए बुलाया। हालांकि इस बीच भीड़ ने मोहसिन को मार डाला था।'
 

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