(Deepa Karmakar)
अच्छा…जब ये ओलम्पिक नहीं खेल रही होती हैं…तब आपकी उम्मीदें कहां होती हैं…जब ये घर चलाने के लिए चाय बेचती हैं, सब्ज़ी बेचती हैं…सरकारी नौकरी के लिए दर-दर पर गिड़गिड़ा रही होती हैं…कोच से साई के अधिकारियों तक के शोषण का शिकार हो रही होती हैं…लेकिन फिर भी खेल छोड़ना नहीं चाहती…
(Srabani Nanda)
तब क्या आप उनकी उम्मीदें जोड़ और संवार रहे होते हैं?
(Laxmi Rani Majhi)
क्या आपको एक समाज के तौर पर उनसे कोई भी उम्मीद रखने का हक़ है? आप उम्मीद रखिए क्रिकेटर्स से…इन जांबाज़ लड़कियों की जवाबदेही आपके प्रति नहीं है…आप ने जिनको कभी सम्मान और समाज में जगह तो जाने दीजिए. काम और रोटी तक नहीं दिए.वो आपकी उम्मीदों के बारे में सोच भी रही हैं, तो अपने आप से अन्याय ही कर रही हैं.
(Lalita Babar)
सुनो बहादुर लड़कियों, तुम हार रही हो…लेकिन ज़िंदगी की जंग जीत रही हो…इस स्वार्थी समाज के लिए खेल मत खेलो…देश के लिए मत खेलो…अपने लिए खेलो…अपने सम्मान और अपने फायदे के लिए खेलो…क्योंकि तुम खेल नहीं रही होती…तो ये ही लोग, जो आज ओलम्पिक में तुमको अपने सम्मान और उम्मीदों से जोड़ रहे हैं…वो तुमको सड़कों पर छेड़ते…तुमको घर में नौकरानी बना देते…तुमको अपने से तो जाने दो…घर से आगे नहीं बढ़ने देते…
कुछ भी करो…मेडल भी जीतो…वरना सिर्फ अपनी खुशी के लिए खेलो…इन लोगों को तुमसे उम्मीद रखने और जवाब मांगने का कोई हक़ नहीं है, बस इतना याद रखो…हां, जीतो, लड़ो…सिर्फ अपने लिए…
(Dutee Chand)
Deepa karmakar Laxmi Rani Majhi Dutee Chand Srabani Nanda Lalita Babar और बाकी सब के लिए भी…जाओ और खेलो…सिर्फ खेलो…अपने आप से उम्मीद रखो कि तुम लड़कियों के लिए बनाई गई समाज की हर बाधा तोड़ोगी…मर्ज़ी से जियोगी…
बस सिर्फ इतनी ही उम्मीद!