Image: Sreepati Ramudu
जख्मों पर नमक रगड़ते हुए मोदी-राज ने दलित-विरोधी प्रोफेसर को हैदराबाद विश्वविद्यालय में प्रो-वीसी बना दिया। यह वही आदमी है जिसे 2008 में दलित स्कॉलर सेंथिल कुमार की मौत के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर प्रोफेसर श्रीपति रामुदु ने विपिन श्रीवास्तव को हैदराबाद विश्वविद्यालय का प्रो-वीसी बनाए जाने के विरोध में सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोशल एक्स्क्लूजन एंड इनक्लूसिव पॉलिसी के विभागाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। विश्वविद्यालय के एससी-एटी फैकल्टी फोरम ने विपिन श्रीवास्तव की नियुक्त की कड़े शब्दों में निंदा की है। दलित पृष्ठभूमि से आने वाले प्रो श्रीपति रामुदु ने अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए लिखा है-
'मैंने प्रोफेसर विपिन श्रीवास्तव को हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर-1 के पद पर बहाल किए जाने के खिलाफ सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोशल एक्स्क्लूजन एंड इनक्लूसिव पॉलिसी के विभागाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले जब प्रो विपिन श्रीवास्तव को अंतरिम वाइस-चांसलर बनाया गया था, तब भी एससी-एसटी टीचर्स फोरम ने इसका इसलिए विरोध किया था, क्योंकि उन्हें 2008 में दलित रिसर्च स्कॉलर सेंथिल कुमार की त्रासद मौत के लिए जिम्मेदार माना जाता था।
विपिन श्रीवास्तव कार्यकारी परिषद की उस उप-समिति के भी अध्यक्ष थे, जिसने पांच दलित रिसर्च स्कॉलरों के सामाजिक बहिष्कार का फैसला किया था और इसी के नतीजे में रोहित वेमुला की त्रासद मृत्यु हो गई। मैं विश्वविद्यालय में दलित समुदाय के लगातार अपमान और दमन से बेहद दुखी हूं।
इस सेंटर के अध्यक्ष के तौर पर अपनी क्षमता के मुताबिक मैंने परिसर को सामाजिक रूप से सबके लिए बराबर बनाने के मकसद से कुछ ठोस पैमाने अपनाने के सुझाव दिए थे। मैंने सोचा था कि परिसर में दलितों के बीच भरोसा पैदा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से ये सुझाव लागू किए जाएंगे, लेकिन मेरे लिए यह दुखद है कि सब कुछ इसके उलट हुआ।
मैं बेहद दुखी हूं और मेरी चेतना मुझे ऐसे समय में भी सेंटर का अध्यक्ष बने रहने की इजाजत नहीं दे रही है, जब परिसर में दलित समुदाय का प्रशासन में कोई भरोसा नहीं रह गया है।'
उन्होंने यह भी लिखा है कि वे उन चार छात्रों में से एक के सुपरवाइजर भी थे, जिन्हें रोहित वेमुला के साथ ही पिछले साल सस्पेंड कर दिया गया था और उन्हें इस सस्पेंशन की जानकारी तब तक नहीं दी गई, जब तक वह आदेश जारी नहीं हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जब होस्टल से निकाल दिए जाने के बाद निलंबित दलित शोध छात्रों ने परिसर में टेंट लगा कर रहना शुरू कर दिया तब वाइस-चांसलर प्रोफेसर अप्पा राव पोडाइल ने उन्हें और बाकी छात्रों के सुपरवाइजरों को कहा था कि वे उन छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर से चले जाने के लिए राजी करें।
प्रो रामुदु ने यह भी कहा कि पांच दलित छात्रों को होस्टल से निकाले जाने और सस्पेंड किए जाने के मामले में कई तरह की गड़बड़ियां की गईं और उनके सुझावों को दरकिनार कर दिया गया। प्रो रामुदु के अलावा कुछ अन्य शिक्षकों ने भी एक बयान जारी कर प्रो श्रीवास्तव की ताजा नियुक्ति की निंदा की है और मांग की है कि उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से हट जाना चाहिए।