बागपत के बलूचगांव से सटे क्रान्तिग्राम बसौद में मिसाल बने सत्तार अहमद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतन्त्रता दिवस पर बलूचिस्तान सम्बन्धी दिए गए बयान के बाद से बागपत जिले का बिलौचपुरा गाँव चर्चा में है।पिछले एक महीने से यहां हर रोज मीडिया द्वारा नई कहानी सुनने को मिल रही है ।लेकिन बिलौचपुरा गाँव से सटे क्रांति ग्राम बसौद की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया । गाँव निवासी सत्तार अहमद पिछले 23 साल से अपने गाँव में शिक्षा की अलख जगा रहे है।20 बच्चो से शुरू किया गया उनका सफर आज 250 तक पहुच गया है ।
सत्तार अहमद ने अपने घर और द्वार को शिक्षा के मंदिर में तब्दील कर दिया है। उसी में एक पुस्तकालय भी है ।पढाने का उनका तरीका कुछ ऐसा है कि बच्चे किताबों में रमते चले जाते है । यही वजह है आज उनके पढ़ाये बच्चे शिक्षक बनने से लेकर आईटी फील्ड से लेकर डॉक्टर तक बन चुके है। इस काम के लिए उन्हें क्या मिलता है के सवाल पर सत्तार अहमद बताते है यह अपने गाँव के लिए कुछ कर गुजरने की जिद है जिसके सहारे यह काम हम कर पा रहे है । आगे वह कहते है कि हम केवल ख़राब शिक्षा व्यस्था को दोष देते है ,लेकिन उसके लिए खुद कुछ नही करते है।अगर एक गाँव से एक -एक भी आदमी समाज सेवा के तहत शिक्षा के लिए काम करे तो शिक्षा के क्षेत्र में देश और समाज बड़े पैमाने पर तरक्की कर सकता है। शिक्षा के साथ साथ सत्तार अहमद महिलाओं के लिए सिलाई-कढ़ाई का केंद्र चलाते है जिसमें मौजूदा समय में करीब 40 महिलाएं अपने हुनर को निखार रही है ।
सत्तार अहमद को मिशन की तरह किये जा रहे इस काम के लिए अनेक संस्थाओं ने पुरस्कृत किया है तो स्थानीय व्यापारी मेन चन्द्र जैन पिछले कुछ समय से उन्हें इस काम में सहयोग कर रहे है। फिलहाल बिलौचपुरा गाँव से सटे बसौद गाँव में सत्तार अहमद ज्ञान का उजियाला फैला रहे है । काश देश के हर गाँव को एक सत्तार अहमद मिल जाये जो अँधेरे में रौशनी की किरण बिखेर सके ।
रिपोर्टिंग-राहुल पाण्डेय (फोटोग्राफर), अनुराग आनंद , अभिषेक कुमार