झारखंड में उठी ओबीसी आरक्षण दुगुना करने की माँग

झारखंड में 46.11 परसेंट ओबीसी हैं. और राज्य सरकार उन्हें 14 परसेंट रिजर्वेशन देती है. एनडीए की सहयोगी पार्टी आजसू ने झारखंड में ओबीसी रिजर्वेशन बढ़ाकर 27 परसेंट करने की मांग की है. बीजेपी के मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी ने जब ओबीसी रिजर्वेशन बढ़ाया था तो बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था. वे अब अपनी अलग पार्टी चला रहे हैं. आजसू के सुदेश महतो का क्या होगा? क्या वे भी अलग रास्ता तय करने वाले हैं?

अब तक आरक्षण कोटा में 50 प्रतिशत की सीमा का बहाना बनाकर ओबीसी के आरक्षण कोटा को बढ़ाने से बच रही सरकारों पर अब इस वर्ग की तरफ से आरक्षण कोटा बढ़ाने का दबाव पड़ने लगा है।

सबसे पहले ये माँग भाजपाशासित राज्य झारखंड से उठनी शुरू हुई है।  इसकी अनदेखी करना भाजपा के लिए कुछ कठिन भी हो सकता है क्योंकि इस बार ये माँग ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने उठाई है, जो राज्य में भाजपा नेतृत्व की सरकार का घटक भी है।

आजसू ने राज्य में ओबीसी के कोटे को बढ़ाकर करीब दुगुना करने की माँग की है। अखिल भारतीय झारखंड पिछड़ा महासम्मेलन में आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में ओबीसी का आरक्षण कोटा बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाना चाहिए। अभी ओबीसी को राज्य में केवल 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, जबकि राज्य में इनकी आबादी करीब 46 प्रतिशत है। अनुसूचित जातियों को उनकी आबादी के हिसाब से 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। अनुसूचित जनजातियों को राज्य में 26 प्रतिशत आरक्षण हासिल है।

मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद से केंद्र सरकार ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देती है, लेकिन राज्यों में सरकारें अलग-अलग प्रतिशत तय किए हैं।

अब देखना है कि झारखंड की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री रघुवरदास अपने सहयोगी दल आजसू की इस माँग से कैसे निपटते हैं। वैसे खुद भी ओबीसी समाज से आने वाले रघुवार दास मार्च के महीने में विधानसभा में कह चुके हैं कि राज्य में एससी, एसटी और ओबीसी के मौजूदा 50 फीसदी आरक्षण के कोटे को बढ़ाने की उनकी कोई योजना नहीं है। तब झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक के विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा में आरक्षण कोटे को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 73 प्रतिशत करने की माँग की थी।

 इसके जवाब में रघुवर दास विधानसभा में कहा था कि राज्य आरक्षण कोटा बढ़ाने की सरकार की कोई योजना नहीं है।

सुदेश महतो और अन्य वक्ताओं ने पिछड़ा वर्ग महासम्मेलन में कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद कई राज्यों में आरक्षण की सीमा 60 से 73 प्रतिशत तक हो गई है, इसलिए अब 50 फीसदी की सीमा का बहाना नहीं दिया जा सकता। आजसू नेताओं ने यह भी कहा कि राज्य में कुल 193 जाति उपजातियाँ ओबीसी की श्रेणी में आती हैं, और अगर एक बार नियुक्त प्रक्रिया शुरू हो गई तो दस वर्ष तक नियुक्ति के द्वार बंद हो जाएँगे और ओबीसी का हक मारा जाएगा।

झारखंड में 82 सदस्यों की विधानसभा में भाजपा का मामूली बहुमत है और उसके 43 विधायक हैं। आजसू के 4 विधायक हैं।
 

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