‘कैशलेस भारत’ की राह में अभी कई अड़चनें,जानें ये 10 दिक्कतें

नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान की तरफ रुख करने वालों के सामने नई मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। कभी सर्वर डाउन, कभी इंटरनेट गायब तो कभी नेटवर्क धोखा दे रहा है। सरकारी महकमों, बैंकों और रिजर्व बैंक के पास ऐसी शिकायतों का अंबार लग रहा है, जिनका निपटारा करना तो दूर जवाब भी फिलहाल उनके पास नहीं है। एक महीने में तकरीबन सवा लाख शिकायतें मिली हैं।

Cashless

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाने के बाद डिजिटल भुगतान में करीब 1200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मास्टर और वीजा कार्ड को अलग रख दिया जाए। इसके बावजूद एक माह के भीतर रुपे कार्ड, ई-वॉलेट, यूपीआई, यूएसएसडी और पीओएस मशीन के जरिए भुगतान में औसतन 400 से 1300 फीसदी तक की वृद्धि हुई है।

डिजिटल भुगतान में आई बाढ़ से सरकारी और निजी क्षेत्र को नई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। उनके सीमित क्षमता वाले सर्वर अटकने लगे हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर गुजरात, विद्युत वितरण निगम हो या फिर निजी वॉलेट कंपनी, हरेक को इंटरनेट या कनेक्टिविटी के गायब होने जैसी तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सूत्रों की मानें तो नोटबंदी के बाद से अब तक वित्त मंत्रलय, सूचना प्रौद्योगिकी, टेलीकॉम, नीति आयोग व आरबीआई उनसे जुड़े विभागों में डिजिटल लेनदेन में तकनीकी दिक्कतों से जुड़ी सवा लाख से भी ज्यादा शिकायतें आई हैं।

इसमें सर्वाधिक भुगतान के दौरान सर्वर गायब होने, पीओएस मशीन के हैंग होने और मोबाइल से भुगतान के दौरान कनेक्टिविटी के धोखा देने से जुड़ी शिकायते हैं। सर्वाधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और महाराष्ट्र से आई हैं । जबकि केरल, कर्नाटक और गोवा से कोई शिकायत नहीं मिली है।

विशेषज्ञों के मुताबिक पीओएस द्वारा डिजिटल भुगतान स्वीकारने के लिए इंटरनेट की एक निश्चित गति होनी चाहिए। अगर कनेक्टिविटी सही नहीं होगी तो भुगतान की प्रक्रिया अटक सकती है। साथ ही ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ने से प्रक्रिया पर दबाव बढ़ता है।

इसी की वजह से मौजूदा समय में सबसे अधिक परेशानी हो रही है। सूत्रों के मुताबिक यही वजह है कि सरकार देशव्यापी टोल फ्री हेल्पलाइन नबंर 14444 शुरू करने की तैयारी में है। इसपर कॉल कर डिजिटल भुगतान में आने वाली किसी भी प्रकार की तकनीकी दिक्कत के बारे में जानकारी हासिल की जा सकेगी। गौरतलब है कि सरकार के विभिन्न महकमों में डिजिटल भुगतान के अटकने की शिकायतें आ रही हैं। लेकिन तमाम सरकार विभाग इसे मामूली दिक्कत बता रहे हैं।
होती हैं ये अड़चनें

पीओएस मशीन से कार्ड स्वाइप करते हुए भुगतान का अटकना

तकनीकी परेशानी से भुगतान अटकने पर घंटों इंतजार करना पड़ा

5.5 सेकेंड औसतन समय लगता है भारत में पेज लोड होने पर

2.6 सेकेंड औसतन समय लगता है चीन में प्रति व्यक्ति इंटरनेट उपलब्धता के साथ-साथ उसकी स्पीड में सुधार होना भी जरूरी है।

देश में अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां इंटरनेट की गति बहुत ही खराब है। जबकि कैशलैस अपनाने वाले देश इस मामले में शीर्ष पर हैं।

देश रैंक रेटिंग
ब्रिटेन 5 8.57
स्वीडन 7 8.45
फ्रांस 16 8.11
बेल्जियम 22 7.83
कनाडा 25 7.62
भारत 138 2.69 (रिपोर्ट : आईसीटी डेवलपमेंट इंडेक्स, 2016)

डिजिटल अर्थव्यवस्था’ के लिए इंटरनेट की उपलब्धता बेहद जरूरी है। शीर्ष देशों के मुकाबले भारत में प्रति व्यक्ति इंटरनेट की उपलब्धता बहुत ही कम है। इंटरनेट तो छोड़िए भारत में मोबाइल भी 83 फीसदी लोगों के पास ही है।

देश इंटरनेट उपलब्धता

स्वीडन 94.6
कनाडा 93.3
ब्रिटेन 91.6
बेल्जियम 85.0
फ्रांस 83.8
भारत 36.5

स्वीडन में पिछले साल (कुल आबादी 98 लाख)ई-वॉलेट से भुगतान के दौरान इंटरनेट कनेक्टिविटी का गयाब होना
कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टावर की कमी से कनेक्टिविटी कमजोर

सरकारी सेवाओं में भुगतान के दौरान सर्वर डाउन होना
इंटरनेट की गति धीमी होने से घंटों में हो रहा एक डिजिटल भुगतान

‘कैशलैस भारत’ के निर्माण के क्षेत्र में साक्षरता दर भी एक अहम कारण है। लोगों को साक्षर किए बिना उन्हें ‘ई-पेमेंट’, इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग से जोड़ना बहुत ही मुश्किल होगा। 99 फीसदी साक्षरता दर स्वीडन, फ्रांस, बेल्जियम और ब्रिटेन में 74.4 प्रतिशत साक्षरता दर भारत में है।

डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ने में सबसे ज्यादा चिंता साइबर चोरों से सुरक्षा की है। नोटबंदी से ठीक पहले ही देश में 32 लाख डेबिट कार्ड का डाटा चोरी हो गया था। कैशलैस अर्थव्यवस्था अपनाने वाले शीर्ष देशों के सामने भी यह चिंता बरकरार है। 02 नंबर पर भारत डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के मामले में (2014 की रिपोर्ट) 23 फीसदी डेबिट कार्ड पर खतरा था 1.40 लाख धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए स्वीडन में गत वर्ष

हालांकि कैशलैस अर्थव्यवस्था के मामले में सिर्फ विकसित देश ही नहीं बल्कि अफ्रीका के देश भी हमसे आगे है। नाइजीरिया, जिम्बाब्वे और केन्या में बड़े पैमाने पर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रतिशत नकदी का इस्तेमाल भारत में लेनदेन के लिए
यूपीआई से भुगतान के दौरान कनेक्टिविटी की दिक्कतें
डिजिटल भुगतान अटकने पर बैंकों द्वारा नहीं मिल रहा जवाब

कैशलेस अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया के शीर्ष-5 देशों बेल्जियम, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन और स्वीडन से तुलना करें तो भारत को अभी लंबा सफर तय करना है।

साभार: livehindustan.com
 

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