केरल : मंदिरों में हथियार प्रशिक्षण पर रोक, संघ की शाखाएँ नहीं लग सकेंगी

केरल में अब मंदिरों में आरएसएस की शाखाएँ लगाने पर रोक लगने जा रही है। राज्य की सीपीएम सरकार ने मंदिरों में शाखा लगाने के नाम पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग और हिंसा को प्रोत्साहन देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

सरकार के देवास्वोम विभाग द्वारा तैयार प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार अगर निजी परिसर में भी आरएसएस की शाखा लगाई जाती है तो उसकी सूचना पहले पुलिस को देनी होगी। इस प्रस्ताव पर अब राज्य का गृह मंत्रालय विचार कर रहा है।

सीपीएम नेता और देवास्वोम मंत्री कडकंपल्ली सुरेंद्रन का कहना है, “किसी भी संगठन द्वारा मंदिरों का इस्तेमाल हथियारों और शारीरिक प्रशिक्षण के लिए करना श्रद्धालुओं के साथ अन्याय है। कुछ मंदिरों में ऐसी गैर-कानूनी गतिविधियाँ हो रही हैं। शाखा की आड़ में आरएसएस मंदिरों को हथियार छिपाने और प्रशिक्षण देने की जगह के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।”
 
उल्लेखनीय है कि आरएसएस केरल में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए लंबे समय से प्रयास करता रहा है। अब उसने पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार करके उनमें शाखाएँ लगाने और घातक हथियार छिपाने की नीति अपनाई है। पिछले कुछ दिनों में आरएसएस कार्यकर्ताओं की अन्य दलों के साथ हिंसक झड़पों की खबरें भी आती रही हैं। आरएसएस की शाखाओं की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अब तक उसको राजनीतिक सफलता नहीं मिल पाई है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 8 सितंबर को राज्य के मुख्यमंत्री पी विजयन को फोन करके ताजा राजनीतिक हिंसा पर चिंता जताई, जिसके बाद विजयन ने उन्हें इस मामले में त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के अध्यक्ष पी गोपालकृष्णन ने भी कहा है, “आरएसएस के स्वयंसेवक मंदिरो में पूजा-प्रार्थना कर सकते हैं लेकिन हम उन्हें हथियारों के प्रशिक्षण की इजाजत नहीं देंगे।”
 
इस बीच केरल भारतीय जनता पार्टी इस कानून के अमल में आने की स्थिति में वैकल्पिक उपायों पर भी विचार कर रही है। पार्टी के राज्य महासचिव के सुरेंद्रन ने प्रस्तावित कानून के विरोध का ऐलान करते हुए कहा है कि आरएसएस की शाखाएँ सरकार के रहमोकरम से नहीं चलती हैं।
 

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