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“कहां है मेरा नजीब.” भाषण दे रहे थरूर कुछ देर तक सिर झुकाए चुपचाप खड़े रहे

नजीब के लिए देश की जानी-मानी सियासी हस्तियां गुरुवार की शाम जेएनयू प्रशासनिक भवन पर इकट्ठा थीं. जब यहां शशि थरूर अपनी बात रख रहे थे, तभी एक चीख सुनाई दी. यह चीख नजीब की मां की थी. ख़ुद को संभाल पाने में नाकाम नजीब की मां अचानक दहाड़े मार कर रोने लगीं. रोते हुए वो चिल्ला रही थीं, ‘अरे कोई तो मेरे बेटे को वापस ले आओ. कहां है मेरा नजीब.’

भाषण दे रहे थरूर कुछ देर तक सिर झुकाए चुपचाप खड़े रहे. जेएनयू के कई छात्र और टीचर नजीब की मां को रोता देख ख़ुद को नहीं रोक पाए. सभी की आंखों में आंसू थे. कविता कृष्णन ने नजीब की मां को ढांरस बंधाने की कोशिश की लेकिन कुछ काम नहीं आया, वह रोती रहीं. वहां जमा भीड़ ठंडी पड़ गई थी.

नजीब की मां के आंसू एक किस्म का रिमाइंडर थे उन सभी सियासी हस्तियों के लिए कि इस हाईप्रोफाइल जुटान का मक़सद सिर्फ़ भाजपा को दिखाने के लिए नहीं होना चाहिए. उनका बेटा नजीब अभी भी गायब है और उसे ढूंढने की कोशिश की जानी चाहिए. उनके आंसू मांग कर रहे थे पुलिस को हरकत में लाने के लिए और उन सभी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए जिनकी वजह से नजीब लापता हो गया.

 

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