नई दिल्ली। शोषित पत्रिका के 49 वर्ष तक संपादक रहे प्रो. जयराम प्रसाद सिंह का 13 जनवरी को निधन हो गया। प्रो. सिंह कैंसर से पीड़ित थे। वे पटना के आईजीआईएमएस में भर्ती थे। क्रांतिकारी विचारों के धनी प्रो. जयराम प्रसाद सिंह को लोग सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। इतिहासकार डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह ने लिखा है….
प्रो. जयराम प्रसाद सिंह के निधन की खबर ने अंदर तक हिला दिया । वे शोषित – क्रांति के प्रतीक जगदेव प्रसाद के सबसे करीब थे। 25 अगस्त, 1967 को जगदेव प्रसाद ने शोषित दल का गठन किया था। तब से प्रो. जयराम प्रसाद सिंह पूरे 50 साल इसी दल में रहे और इसी दल में दिवंगत भी हो गए। यह एक मिसाल है – एक दल से जुड़ना, जिंदगी भर दल के सिद्धांतों के लिए संघर्ष करना और दल में ही रहकर मर जाना।
शोषित दल की एक पत्रिका है – शोषित। शोषित पत्रिका के संपादक थे प्रो. जयरामप्रसाद सिंह। शोषितों की यह पत्रिका 1968 से प्रकाशित होती है। आश्चर्यजनक किंतु सत्य है प्रो. जयराम प्रसाद सिंह ने पूरे 49 वर्षों तक इस पत्रिका का संपादन किया। पत्रिका भी ऐसी कि वह समाज के सभी शोषितों, वंचितों एवं पीड़ितों के पक्ष में आवाज बुलंद करती थी। प्रो. जयराम प्रसाद सिंह को मैं कोई 25 सालों से जानता हूँ, मगर इतने सालों में उन्हें गाँव- गाँव, गली- गली शोषितों के बीच अलख जगाने के सिवाय कुछ भी करते नहीं देखा है।
Courtesy: National Dastak