तर्कवादी गोविंद पंसारे की हत्या की जांच कर रही एसआईटी की ओर से सनातन संस्था के आश्रम में मारे गए छापे में साइकोट्रोपिक दवाओं का जखीरा मिला है। इन दवाओं का इस्तेमाल कर दिमाग को काबू किया जा सकता है।
कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का सच बड़ी तेजी से लोगों के सामने आ रहा है। एसआईटी ने हाल में तर्कवादी गोविंद पंसारे की हत्या की जांच के सिलसिले में कट्टरपंथी सनातन संस्था के पनवेल आश्रम में छापा मारा। मंगलवार को की गई छापेमारी में एसआईटी को वहां से साइकोट्रोपिक दवाइयों के 20 बॉक्स मिले हैं। माना जा रहा है कि इन दवाओं का इस्तेमाल हिंदू साधकों के दिमाग को काबू करने के लिए किया जाता होगा। इस मामले में छानबीन के आधार पर एसआईटी ने बृहस्पतिवार को पुणे के कोल्हापुर कोर्ट में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की।
विशेष लोक अभियोजक शिवाजी राणे ने जांच के तथ्यों की तस्दीक करते हुए कहा- अब तक की जांच यही इशारा करती है कि दिमाग को काबू करने वाली ये दवाइयां साधकों और नए सदस्यों को प्रसाद में मिला कर दी जाती थीं। इस दवा के इस्तेमाल के बाद भक्तों को प्रमुख साधक की बात सही लगने लगती होगी और वह इसे मानने को तैयार हो जाते होंगे।
सनातन संस्था के इस आश्रम पर छापेमारी इस हत्याकांड के आरोपी वीरेंद्र सिंह तावड़े की गिरफ्तारी के बाद की गई। तावड़े हिंदू जनजागृति समिति का सदस्य है। सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें तावड़े को एक और प्रमुख तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया गया है। दाभोलकर की हत्या 2013 में हुई थी। माना जा रहा है कि गिरफ्तारी के बाद तावड़े ने पूछताछ के दौरान कई राज उगले हैं। इन्हीं के आधार पर मंगलवार को एसआईटी ने सनातन संस्था के पनवेल स्थित आश्रम पर छापा मारा था।
पनवेल आश्रम में छापे के दौरान एसआईटी टीम ने जो टेबलेट बरामद किए इनमें जापिज, एमिसुल, इटिजोल और क्यूट शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये दवाइयां सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करने में इस्तेमाल होती हैं। इसी वजह से इन दवाओं का इस्तेमाल मानसिक बीमारियों के इलाज में होता है।
इस छापेमारी में फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के ज्वाइंट कमिश्नर (विजिलेंस) हरीश बैजल एसआईटी की मदद कर रहे थे। उन्होंने बताया कि के ये दवाइयां शेड्यूल-4 के तहत आती हैं। इसका मतलब यह है कि बगैर डॉक्टर की पर्ची के ये नहीं खरीदी जा सकती हैं। हम यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं सनातन संस्था ने बड़ी मात्रा में ये दवाइयां कैसे जुटाईं।
सनातन संस्था के वकील नवीन चोमाल ने इन दवाइयों के इस्तेमाल के आरोपों का जोरदार खंडन किया है। उनका कहना है कि एसआईटी लोगों को गुमराह कर रही है। सीबीआई ने इससे पहले आश्रम पर छापे मारे थे लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। सीबीआई ने संस्था की इमारतों पर इस साल 1 जून को छापे मारे थे। इन छापों में मिले सुरागों के आधार पर ही उसने 10 जून को तावड़े को गिरफ्तार कर लिया था।
एसआईटी की स्टेटस रिपोर्ट में तावड़े को पंसारे हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। संस्था के समीर गायकवाड़, मडगांव विस्फोट के आरोपी रुद्र पाटिल और सारंग अकोलकर का नाम भी साजिशकर्ता के तौर पर शामिल किए गए हैं। एक चौथे व्यक्ति विनय पवार का नाम भी इसमें शामिल किया गया है। उस पर पंसारे की हत्या में इस्तेमाल हुए हथियारों के बंदोबस्त का आरोप है। गायकवाड़ और तावड़े के अलावा सभी फरार हैं।
ये भी इत्तेफाक है कि सीबीआई की चार्जशीट में दाभोलकर हत्याकांड के आरोपी के तौर पर अकोलकर और पवार का नाम भी शामिल है। दोनों पर दाभोलकर को गोली मारने का आरोप है। पुलिस दाभोलकर, पंसारे और कर्नाटक के एमएम कालबुर्गी की हत्याओं की बीच लिंक तलाशने की कोशिश में लगी है। पुलिस इस सिलसिले में स्कॉटलैंड यार्ड की रिपोर्ट की तलाश कर रही है। यार्ड इन हत्याकांडों में इस्तेमाल गोलियों की जांच करेगी। इसी से पता चलेगा कि ये गोलियां क्या एक ही पिस्तौल से चलाई गई हैं।
गौरतलब है कि तर्कवादी पंसारे की 20 फरवरी 2015 को निर्मम हत्या कर दी गई थी। हमले में उनकी पत्नी भी बुरी तरह घायल हो गई थीं।