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खुला अच्छे दिन का पिटारा, मोदीजी के राज में 42 फीसदी बढ़ी किसानों की आत्महत्या दर

नई दिल्ली। साल 2014 में किसानों और मजदूरों की बात कर सत्ता में आए पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद किसानों की आत्महत्या में बढ़ोत्तरी आई है। पीएम मोदी अपनी रैलियों में हमेशा विकास के दावे करते हैं अपनी हर रैली में वो किसानों की बात कर वाहवाही भी लूटते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत चौकानी वाली है।

Modi farmers
 
30 दिसंबर को जारी की गई ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया 2015’ नामक रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 के मुकाबले 2015 में किसानों और कृषि मजदूरों की कुल आत्महत्या में दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई। साल 2014 में कुल 12360 किसानों और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी। जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में 12602 किसानों और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की। 
 
रिपोर्ट के अनुसार किसानों, कृषि मजदूरों की आत्महत्या के पीछे कंगाली, कर्ज और खेती से जुड़ी दिक्कतें प्रमुख वजहें रहीं। इन तीन कारणों से करीब 38.7 फीसदी किसानों ने आत्महत्या की। आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या करने वाले 73 फीसदी किसानों के पास दो एकड़ या उससे कम जमीन थी।
 
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन मौतों में करीब 87.5 फीसदी मौतें केवल देश के सात राज्यों में हुई हैं। आत्महत्या के मामले में सबसे ज्यादा खराब स्थिति बीजेपी शासित राज्यों की ही है। इसमें बीजेपी शासित महाराष्ट्र पहले पायदान पर है। महाराष्ट्र में साल 2015 में 4291 किसानों ने आत्महत्या कर ली। महाराष्ट्र के बाद किसानों की आत्महत्या के सर्वाधिक मामले कर्नाटक (1569), तेलंगाना (1400), मध्य प्रदेश (1290), छत्तीसगढ़ (954), आंध्र प्रदेश (916) और तमिलनाडु (606) में सामने आए।
 
साल 2015 में कृषि सेक्टर से जुड़ी 12602 आत्महत्याओं में 8007 किसान थे और 4595 कृषि मजदूर। साल 2014 में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 5650 और कृषि मजदूरों की 6710 थी। इन आंकड़ों के अनुसार किसानों की आत्महत्या के मामले में एक साल में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 
 
रिपोर्ट में उन सभी को किसान माना गया है जिनके पास अपना खेत हो या लीज पर खेत लेकर खेती करते हैं। रिपोर्ट में उन लोगों को कृषि मजदूर माना गया है जिनकी जीविका का आधार दूसरे खेतों पर मजदूर के रूप में काम करना है। रिपोर्ट में किसानों और कृषि मजदूरों की आत्महत्या के पीछे कारणों का भी विश्लेषण किया गया है।

Courtesy: National Dastak

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