मदरसों और आतंकवाद पर भड़काऊ भाषण के आरोप में वंजारा के खिलाफ शिकायत

गोधरा में एक सप्ताह पहले भड़काऊ और नफरत भरा भाषण देने के बाद भी अहमदाबाद पुलिस ने गुजरात पुलिस के कुख्यात रिटायर्ड डीआईजी डी जी वंजारा के खिलाफ एफआईआर दाखिल नहीं की है। शिकायतकर्ता और जमाते-उलेमा हिंद के अब्दुल लतीफ शेख ने अखबारों में डी जी वंजारा के भाषण के बारे में पढ़ने के बाद 1 अक्टूबर 2016 को उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे।

DG vanzara
 

यह क्लीपिंग यहां पढ़ी जा सकती। भाषण का वीडियो भी यहां देखा जा सकता है। यह वीडियो शिकायत के साथ नत्थी किया गया है। इसकी एक कॉपी सबरंगइंडिया के पास है।

 

1 अक्टूबर को शिकायत दर्ज कराने में नाकाम रहने के बाद लतीफ ने 3 अक्टूबर को एक बार फिर कोशिश की। इस बार भी नाकाम रहे। पुलिस कमिश्नर शिवानंद झा के दफ्तर में वंजारा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की उनकी कोशिश बेकार गई। वंजारा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (सी) और धारा 295 (सी) के तहत जो शिकायत तैयार की गई है। उसे यहां पढ़ा जा सकता है।

शिकायत में कहा गया है कि मदरसे पैगंबर की शरीयत के मुताबिक चलाए जाते हैं और ये इस्लाम की शिक्षा देते हैं। इस्लाम शांति का धर्म है। फर्जी मुठभेड़ों के आरोपी रहे वंजारा ने जानबूझ कर अपने भाषण मे ऐसे लफ्जों का इस्तेमाल किया है, जो मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा भड़काए और नफरत पैदा करे।

लतीफ कहते हैं कि पिछले शनिवार को जब वह वंजारा की शिकायत करने वेजलपुर थाने पहुंचे तो उन्हें डराया-धमकाया गया और कहा गया कि पूर्व डीआईजी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की उनकी हिम्मत कैसे हुई। इस पर लतीफ ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक अगर किसी लोकसेवक (पब्लिक सर्वेंट) ने कोई अपराध किया है तो किसी भी नागरिक को उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है। भले ही वंजारा लोकसेवक के पद से रिटायर क्यों न हो चुके हों। लतीफ शिकायत दर्ज कराने पर अड़े रहे लेकिन उन्हें थाने से निकाल दिया गया।

वंजारा के खिलाफ कम से तीन आपराधिक मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुके हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने जो भड़काऊ और नफरत भरा भाषण दिया था उसका वीडियो यहां देखा जा सकता है।

इस वीडियो में वंजारा जो कह रहे हैं वह इस तरह है-

हमारे लिए पाकिस्तान से आए आतंकवादियों के गिरेबान तक ही पहुंचना काफी नहीं है। हमें अलगाववादियों के गिरेबानों तक भी पहुंचना होगा। हमें हुर्रियत कांफ्रेंस के लोगों को भी पकड़ना होगा। उनके लिए जेल ही मुफीद जगह है।

आतंकवादी और अलगाववादियों के अलावा यहां अतिवादी भी हैं। ये अतिवादी मदरसों में पैदा किए जाते हैं। मदरसे ऐसे नर्क हैं जहां राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियां चलाई जाती हैं। ये मदरसे आतंकवादी पैदा करने की फैक्टिरयां हैं। ये धोखेबाजों और राष्ट्रविरोधी ताकतों के अड्डे हैं और अरब साम्राज्य का ढांचा तैयार कर रहे हैं।

जब तक मोहम्मद बिन कासिम ने हमला नहीं किया था तब तक अफगानिस्तान से इंडोनेशिया तक सिर्फ हिंदू थे। अब कश्मीर में एक भी हिंदू (हिंदू मुक्त कश्मीर) नहीं है।

पाकिस्तान के खिलाफ तत्काल युद्ध घोषित कर दिया जाना चाहिए। साथ ही भारत की जमीन खासकर मदरसों में पलने वाले अलगाववादियों और आतंकियों को मिटा  डालना चाहिए।

वंजारा को फर्जी मुठभेड़ के मामलों में 2007 को गिरफ्तार किया गया था और वह आठ साल तक जेल में रहा। (इसमें से एक दिन उसने मुंबई की जेल में बिताया था)। इस साल फरवरी में उसे जमानत मिल गई थी। जिस दिन उसे जमानत पर रिहा किया गया उस दिन उसने नरेंद्र मोदी के नारे अच्छे दिन आएंगे की तर्ज पर कहा अच्छे दिन आ गए। गुजरात का यह पूर्व डीआईजी गुजरात में 2002 से चले आए फर्जी पुलिस मुठभेड़ कांडों का प्रमुख आरोपी रहा है।

बहरहाल, इस साल 6 जुलाई को वंजारा के बेटे अर्जुन को गुजरात के एंटी करप्शन ब्यूरो ने 75000 रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया था। उसे सस्पेंड कर दिया गया था। अर्जुन वड़ोदरा ग्रामीण इलाके में मामलातदार (एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट) था। उसने अपने मातहत मामलातदार जसवंतसिन्ह दशरथसिन्ह हजूरी की साथ मिलकर जमीन के एक मामले में मनमाफिक फैसला सुनाने के लिए एक लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी।  

इस साल मार्च में वंजारा ने एक के बाद एक कई विवादास्पद ट्वीट किए। और मुगलों की संतानों को भारत छोड़ने को कहा। सबरंगइंडिया ने इस पर दाह्याजी गोबरजी वंजारा (डीजी वंजारा) शीर्षक से एक स्टोरी की थी। उसने अपने ट्वीट में कहा कि न सिर्फ किताबों से मुगलों को हटाया जाए और जो उनके वंशज होने का नकली दावा करतें उन्हें भी भारत से भगा दिया जाए।

गुजरात में वंजारा का सिक्का अब भी किस तरह से चल रहा है इसका अंदाजा पीपी पांडे के डीजीपी की नियुक्ति से चल जाता है। पीपी पांडे पर 15 अप्रैल को सीबीआई जांच (हाई कोर्ट की निगरानी में चल रहे मुकदमे के तहत)  के तहत आर्म्स एक्ट, अपहरण, गलत ढंग से गिरफ्तारी कर रखने और चार लोगों की पूर्व नियोजित हत्याके के मामले में चार्जशीट दाखिल किया गया है। अब यही पीपी पांडे गुजरात का डीजीपी बन चुका है। इस पद पर नियुक्ति से पहले वह गुजरात में एक दशक बाद घुस रहे वंजारा के स्वागत समारोह में शामिल हुए थे। शोहराबुद्दीन शेख और इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ कांड के आरोपी वंजारा को हाल ही में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में गुजरात प्रवेश की अनुमति दी है। नरेंद्र मोदी में सत्ता में आने के बाद इस तरह की कई दागी पुलिस अफसरों को अचानक छोड़े जाने पर चौतरफा सवाल उठे हैं।  

वंजारा के खिलाफ सबसे कड़ी टिप्पणी अक्षरधाम मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में की गई है। यह फैसला 16 मई 2014 में सुनाया गया था। कोर्ट ने अक्षरधाम हमले के मामले में गलत लोगों को बतौर आरोपी बनाने के खिलाफ डी जी वंजारा को कड़ी फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था मामले में डी जी वंजारा कभी भी अभियोजन के पक्ष में गवाह के तौर पर पेश नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जो लापरवाही की थी, उसे नजरअंदाज करने वाली निचली अदालतों के रवैये पर भी टिप्पणी की थी। हमले के आरोपी करार दिए गए लोगों के वकीलों का कहना था कि उनका बयान इसके एक साल बाद लिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साफ लापरवाही हुई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा- इस मामले में जांच शुरू करने के आदेश से लेकर राज्य की ओर से इनकी अनुमति देने तक लापरवाही की गई है। जब नागरिकों के अधिकारों का इस पैमाने पर उल्लंघन हो रहा हो तो हम हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह सकते। हमले के असली अभियुक्तों के पकड़ने के बजाय पुलिस ने निर्दोष लोगों पकड़ कर सजा दिलवाई।

( आदमभाई, सुलेमान भाई अजमेरी और अन्य बनाम गुजरात राज्य के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट का फैसले का अंश)

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