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Maharashtra: Repair, Maintain Small Dams, Widen Irrigation Base

Projects which could provide some respite for the water starved Marathwada, stuck due to lack of approvals from the state government


Image for representation purpose only
 
Almost 1735 small dams in the Beed, Jalna and Aurangabad districts of Marathwada are lying under utilised due lack of sanction of a measly from irrigation standards of Rs 171 crores, which has potential to increase the irrigation upto 17453 hectares, this information was provided to the writer and RTI activist Anil Galgali by the Rural Development and Water conservation department recently.
 
This issue and inquiry has been pending for over two years (February 2014 to January 2015) and exposes the seriousness of the state government in making irrigication cheaply and practicably available to the water starved Marathwada region. The writer, RTI activist Anil Galgali had filed an RTI query with the Rural Development and Water conservation dept of the Govt of Maharashtra on September 1, 2015 seeking information about the repairs to the small dams based on the Kolhapur pattern.
 
The Desk officer of the department informed Anil Galgali that, for the repairs and maintenance of the small dams for water conservation, the Chief Engineers office in the Pune has demanded Rs 170 crores 57 lakhs 77 thousand for 1735 small dams situated in Beed, Jalna and Aurangabad which has currently holding a potential for irrigation of 25128 hectares. RTI Application and Detailed Reply can be read here.
 
If these smaller dams, that fall under under the Mini Irrigation (Water Conservation) project are repaired and maintained, there is a potential of increasing the potential of irrigation by 17543 hectares taking it to 42671 hectares.
 
Beed district alone has 575 Mini Irrigation (Water Conservation) projects in need of urgent repairs and maintenance; if undertaken and completed will increase the potential by 4119 hectares, which is currently at 9661 hectares, thereby increasing the potential by 43%.
 
Jalna district similarly has 414 mini irrigation (Water Conservation) projects with the current potential of 4475 hectares, with repairs it is estimated to increase the potential by 2527 hectares.
 
Aurangabad has 746 similar projects pending repair and maintenance which can increase the potential by 10897 hectares, which is currently at 28535 hectares.
 
It is of utmost urgency that these funds be sanctioned immediately to quench the thirst of Marathwada.
 
If urgent attention is paid to the Mini Irrigation (Water Conservation) projects instead of the pet Jal Yukt shivar project of the state government the results would be faster and will save huge revenues for the state government besides, for the longterm, increase irrigation potential of the affected regions.
 
The Maharashtra government should immediately sanction the required Rs 171 crores, which will increase the irrigation potential by 17453 hectares and which measure will go a long way in providing water to the frought-hid Marathwada region.
 
The author has communicated this in a letter to chief minister, Devendra Fadnavis. The delay in taking this decision, resulting in non-repairs of small damns and reduced irrigation potential, has tragically led to the almost 745 farmers giving up their lives in Marathwada alone due to the lack of access to water and irrigation.
 

नज़रिया : किसानों की आत्महत्या रोकने में काम आ सकते हैं ये प्रयोग

नही मिल रही हैं प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी
 
मराठवाडा के बीड, जालना और औरंगाबाद इन जिला में 1735 लघुसिंचाई को करीब 171 करोड़ रुपए की मांग को मंजूर करने पर 17453 हेक्टर सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी। ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग ने दी हैं। फरवरी 2014 से जनवरी 2015 इस दौरान प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी नही मिलने से महाराष्ट्र सरकार की पोल खुल गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग से दिनांक 01.09.2015 को कोलापूर पैटर्न के तहत बांध की मरम्मत को लेकर जानकारी मांगी थी। ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग के कार्यासन अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस योजना के तहत सरकार से मुख्य अभियंता कार्यालय, पुणे ने 170 करोड़ 57 लाख 77 हजार रुपए की मांग की थी। मराठवाडा के बीड, जालना और औरंगाबाद इन जिला के 1735 लघुसिंचाई की वर्तमान सिंचाई की क्षमता 25128 हेक्टर हैं। लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस हुआ तो क्षमता में 17543 इतनी हेक्टर की क्षमता बढ़ेगी। जिससे कुल सिंचाई की क्षमता 42671 इतनी हेक्टर होगी। बीड जिला के 575 लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस होने पर इस क्षमता में 4119 हेक्टर इतनी सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी जो जी वर्तमान में 9661 हेक्टर हैं। यानी करीबन 43 प्रतिशत सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी। जालना जिला में 4475 हेक्टर इतनी सिंचाई की क्षमता है जो 414 लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस होने पर इस क्षमता में 2527 हेक्टर इतनी वृद्धि होगी। वही ओरंगाबाद जिला के 746 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस न होने से इसकी 10897 हेक्टर क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार राजी नही होने से इसकी वर्तमान 28535 हेक्टर सिंचन क्षमता हैं। अनिल गलगली के अनुसार प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी देकर ताबडतोब रकम देना आवश्यक हैं। महाराष्ट्र सरकार की जलयुक्तशिवार की तुलना में लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस किया जाता है तो बड़ी रकम बचेगी और सिंचाई की क्षमता और बढ़ेगी। राज्य सरकार ने 171 करोड़ रुपए की मांग को मंजूर कर 17453 हेक्टर सिंचाई की क्षमता बढाए ताकि मराठवाडा की प्यास बुझाने के लिए सरकारी मदद सहायक साबित होगी, ऐसी मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में की हैं। पिछले एका वर्ष में सिर्फ मराठवाडा में 745 किसानों ने आत्महत्या करने की दर्दनाक सच्चाई सामने होते हुए भाजपा सरकार सिंचाई की क्षमता नही बढ़ाने पर अनिल गलगली ने नाराजगी जताई हैं।
 
 

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