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मीट व्यापारी करेंगे देशव्यापी हड़ताल

माँस के कारोबार में लगे मुस्लिम समुदाय अब गौरक्षा के नाम पर रोज-रोज की प्रताड़ना से तंग आकर देशव्यापी हड़ताल की योजना बना रहा है। दिल्ली में इस माह ऑल इंडिया जमीयत-उल-कुरैश संस्था ने बैठक बुलाई है जिसमें देशव्यापी हड़ताल पर विचार होगा।

Meat Traders

गौरक्षकों से तो इस समुदाय को डर रहता ही है, साथ ही पुलिस समेत स्थानीय अधिकारी भी इनसे वसूली करने में लगे हैं। जमीयत को यह भी पता है कि भाजपा अपनी विचारधारा के कारण उसकी मदद नहीं करेगी, इसलिए हड़ताल का ही तरीका कारगर हो सकता है क्योंकि जब माँसाहार के शौकीन लोगों को मीट नहीं मिलेगा, तब उस तबके का भी समर्थन मांस व्यापारियों को मिल सकता है।

आम धारणा के विपरीत, भारत में 15 साल से अधिक उम्र के 60 से 70 प्रतिशत लोग मांसाहार करते हैं। ऐसे में मांस की आपूर्ति में बाधा पड़ने पर इस बड़ी आबादी पर भी प्रभाव पड़ेगा और सरकार गौरक्षा के नाम पर हो रही प्रताड़ना को रोकने पर बाध्य होगी।

समर्थन जुटाने के लिए जमीयत गौहत्या पर लगे प्रतिबंध का समर्थन भी करेगी। कुछ सदस्य तो गौहत्या पर प्रतिबंध पूरे देश में लागू करने की भी मांग कर रहे हैं। फिलहाल छह राज्यों में गौहत्या पर पाबंदी नहीं है।

मीट व्यापारियों की समस्या ये है कि मटन और चिकन की बिक्री करना भी उनके लिए मुश्किल हो रहा है। गौमाँस के नाम पर उनकी लगातार जांच होती है और जांच के बहाने उनकी प्रताड़ना भी होती है और उनसे अवैध वसूली भी होती है। दरअसल, पूरे समुदाय की छवि ही गौमांस विक्रेता की बना दी गई है।

गौहत्या रोकने के नाम पर केवल गौरक्षक ही गुंडागर्दी नहीं कर रहे हैं, बल्कि प्रदूषण निरोधक अधिकारी और पुलिस को भी ये कमाई का बढ़िया बहाना मिल गया है। कहीं जानवरों को लादे ले जा रहे ट्रकों को ओवरलोडिंग के नाम रोककर जब्त कर लिया जाता है और फिर इन ट्रकों को वापस छुड़ाने में महीनों लग जाते हैं।

कई बूचड़खानों को प्रदूषण फैलाने के नाम पर बंद कर दिया गया है, और कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है।

गौहत्या रोकने के नाम पर, मृत गायों की चमड़ी निकालने वाले दलितों की भी प्रताड़ना होती है, और इलाज के लिए गायों को ले जा रहे पशुपालकों की भी। मांस व्यापारी चाहते हैं कि दलित और किसान भी उनके साथ आ जाएं तो सरकार को मजबूर किया जा सकता है कि वो गौरक्षा के नाम पर होने वाली गुंडागर्दी को रोके।

अक्टूबर के महीने में ही होने जा रहे सम्मेलन में माँस व्यापारी इन्हीं सब मुद्दों पर विचार करेंगे और बहुत संभव है कि इसके बाद देशव्यापी हड़ताल का ऐलान कर दिया जाए।

Courtesy: Scroll.in

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