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मंदिर या मस्जिद के ताले मुफ्त मैं: भारत की गंगा जमुनी तहजीब

कुछ देर पहले की बात है ताला खरीदने के लिए बड़ौदा के बाजार में गया था,

मेरे साथ मेरे बहनोई भी थे,

मेरे बहनोई ने कहा माता जी के घर के लिए भी एक ताला ले लेते हैं,

दुकानदार एक मुस्लिम सज्जन थे,

उन्होंने कहा माताजी के लिए आप जितने भी ताले लेंगे उसका कोई पैसा नहीं लूंगा,

हमने पूछा क्या मतलब ?

उन्होंने बताया मंदिर या मस्जिद के लिए आप को जितने भी ताले लेने हैं मैं उनका किसी से कोई पैसा नहीं लेता,

आज सुबह ही एक मंदिर वाले बारह ताले ले कर गए,

मैंने उनसे कोई पैसा नहीं लिया,

आरिफ भाई की बराबर वाली दुकान एक हिंदू की थी,

जिसकी दुकान का नाम महालक्ष्मी बेल्ट है,

वह बोले यह सच है आरिफ भाई मंदिर और मस्जिदों के लिए ताले के पैसे नहीं लेते,

मैंने आरिफ भाई को बताया यह मेरे बहनोई है और यह जिन्हें माता जी कह रहे हैं वह दरअसल मेरी मां है यानी इनकी सास जो इनके साथ ही सामने वाले घर में रहती है,

यह अपनी सास के लिए ताला खरीदना चाहते हैं इसलिए उन्हें माता जी कह रहे हैं,

मैंने आरिफ भाई से बातचीत आगे बढ़ाई,

आरिफ भाई का कहना था ऊपरवाला एक ही है,

हम सब उसके बंदे भी एक हैं,

यह मज़हब के नाम पर लड़ाई कराने वालों ने बहुत तकलीफ पैदा की हुई है,

लेकिन हम सबको चाहिए मिलजुल कर रहें,

मैंने आरिफ भाई से पूछा मैं आपका फोटो खींच कर फेसबुक पर आपके बारे में लिख सकता हूं क्या ?

आरिफ भाई ने शरमाते हुए कहा कि मैं तो एक छोटा सा इन्सान हूं मेरी फोटो क्या कीजिएगा,

उनकी इजाजत से उनका फोटो लेकर आप सबके साथ शेयर कर रहा हूं,

इंसानियत जिंदाबाद,

भारत की गंगा जमुनी तहजीब जिंदाबाद

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