नई दिल्ली। देश में अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों की स्कॉलरशिप के 8000 करोड़ रुपए मोदी सरकार पर बकाया हैं। शोसल जस्टिस एवं एम्पॉवरमेंट मिनिस्ट्री को यह रकम चुकानी है। लेकिन यह उसके सालाना योजनागत खर्च से भी अधिक है। मेधावी छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद स्कॉलरशिप केंद्र की प्राथमिकता वाली योजनाओं में से एक है। इसके तहत छात्रों की ओर से किए गए खर्च के लिए सहायता दी जाती है।
आपके बता दें कि देश की राज्य सरकारें विभिन्न योजनाओं के तहत अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों को मैट्रिक के बाद स्कॉलरशिप देती हैं। इस रकम की भरपाई केंद्र सरकार की सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट मिनिस्ट्री की ओर से की जाती है। अनुसूचित जातियों के कल्याण के जुड़ी योजनाओं के लिए यह नोडल मिनिस्ट्री है।
केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए इस स्कॉलरशिप की रकम को रिअम्बर्स करने में नाकाम रही है और अब बकाया रकम बढ़कर 8,000 करोड़ पहुंच गई है। राज्यों को इस वर्ष के लिए बकाया रकम का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। इसके अलावा पिछले वर्ष की बकाया रकम को चुकाने के लिए अतिरिक्त फंड की जरूरत है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने इस बाबत इकनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा, 'हम इस समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। सिस्टम में सुधार के लिए राज्यों से बात की जा रही है। उन्हें डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिए स्कॉलरशिप का भुगतान करना चाहिए। इसके अलावा राज्यों को विभिन्न इंस्टीट्यूशंस की फीस में बड़े अंतर पर भी विचार करने की जरूरत है।'
गहलोत ने कहा कि स्कॉलरशिप का मुद्दा वित्त मंत्रालय के सामने उठाया गया है। सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट मिनिस्ट्री का योजनागत बजट 6,500 करोड़ रुपए का है। इसमें से 4,667 करोड़ रुपए सितंबर के अंत तक जारी कर दिया है। लेकिन, स्कॉलरशिप की 8,000 करोड़ रुपए बकाया रकम को चुकाने के लिए अतिरिक्त फंड आवंटित करने की जरूरत है।
8,000 करोड़ रुपए में से 5,400 करोड़ रुपए 2015-16 के फाइनेंशियल ईयर तक का एरियर है और यह मौजूदा फाइंनेंशियल ईयर के लिए जरूरत का एक तिहाई है। एरियर को चुकाने के लिए एक्सपेंडिचर फाइंनेंस कमेटी को एक नोट भेजा गया है। सोशल जस्टिस एंड फाइंनेंस मिनिस्ट्री ने फाइंनेंस मिनिस्ट्री से कहा है कि 5,400 करोड़ रुपए तुरंत जारी करने की जरूरत है।
इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था, स्कॉलरशिप स्कीम के तहत अधिक खर्च की वजह फ्रॉड भी है क्योंकि एक व्यक्ति दो-तीन जगहों से स्कॉलरशिप ले रहा है। मिनिस्ट्री ने राज्यों से डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिए स्कॉलरशिप देने को कहा है। इससे वास्तविक मेधावी छात्रों को स्कॉलरशिप देना सुनिश्चित किया जा सकेगा।
Courtesy: National Dastak