संसद से 500 मीटर की दूरी से मुसलमानों ने एक आवाज लगाई है. मावलंकर हॉल में एक सम्मेलन में तमाम प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने मांग की है कि सरकार बीफ एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाए. बीफ के नाम पर पता नहीं क्या विदेश भेज रहे हैं और बदनाम मुसलमान और दलित हो रहे हैं. तमाम बूचड़खाने और बीफ की सभी टॉप कंपनियां सवर्ण हिंदुओं की है. कंपनी का नाम अल कबीर रख लेंगे और मालिक कोई सब्बरवाल जी होंगे. तमिल ब्राह्मण इंदिरा नूई अमेरिका में बीफ बेच ही रही हैं.
खत्म हो यह बीफ का धंधा.
बीफ एक्सपोर्ट पर बैन लगाओ.
है हिम्मत अपने धंधे पर चोट करने की?
चुनाव में चंदा बंद होने से डर लगता है?