नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर की रात को 500 और 1000 के नोट बंद करने का अचानक ऐलान कर दिया था। जिसके बाद देश में भूचाल आया हुआ है। लोग सुबह से रात तक बैंकों के सामने लाईन में लगकर पैसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं और ज्यादातर लोगों को पैसे नहीं मिल पा रहे हैं। पैसे न होने की वजह से कहीं लोग भूखों मर रहे हैं तो कहीं बैंकों के सामने ही लोगों की मौत हो रही है।
ताज्जुब की बात है कि 10 दिन होने के बाद भी सरकार पैसे निकालने और जमा करने की राशि नहीं निर्धारित कर पा रही है। आज कुछ और नियम होते हैं तो कल कुछ और। नोटबंदी के बाद सरकार ने 4000 पुराने नोट बदलने की राशि निर्धारित की थी लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 4500 कर दिया गया वहीं अब सरकार ने एक और निर्दयतापूर्वक फैसला लेते हुए इस राशि को घटाकर 2000 कर दिया।
इसके अलावा सरकार ने हफ्ते में 20,000 रुपए तक पैसे निकासी की सीमा निर्धारित की थी जिसे बढ़ाकर 24,000 किया गया लेकिन फिर से सरकार ने इस राशि को घटाकर 20,000 कर दिया। वहीं एटीएम से सरकार ने पहले 2000 रुपए पैसे निकालने की बात कही थी बाद में इस राशि को बढ़ाकर 2500 कर दिया गया था जिसे अब फिर से 2000 ही निर्धारित कर दिया। सरकार निर्धारित ही नहीं कर पा रही है उसे क्या करना है?
सरकार ने नोटबंदी के फैसले कर दिए लेकिन न तो एटीएम मशीनें सही हैं न ही बैंकों में काम सही तरीके से हो रहा है। जनता भूख से तड़प रही है और रोज सुबह-सुबह आर्थिक सचिव आते हैं एक प्रेस कॉंफ्रेंस करते हैं और नोट बदलने और निकालने के नए नियम बता जाते हैं। सरकार को शायद यह नहीं पता कि जनता तो पहले से इतनी परेशान है और इस तरह रोज रोज नियमों में बदलाव करने से जनता और कंफ्यूज हो रही है।
आपको बता दें कि नोटबंदी के फैसले के बाद देशभर में लगभग 40 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। कहीं लोग बैंकों की लाईन में मर गए तो कहीं अस्पताल में नोट न लेने से मर गए।
Courtesy: National Dastak