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नोटबंदी : दवा मिली न कफन, चंदे से हुआ अंतिम संस्कार – जागरण

बेगूसराय [बलवंत चौधरी]। गरीबी, अशिक्षा, नोटबंदी और बेरहम तंत्र। अंजाम 22 वर्ष का युवक इलाज के अभाव में दम तोड़ गया। नजदीक का छौड़ाही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंद और दूर इलाज को एंबुलेंस या अन्य वाहन के लिए बैंक से पैसे निकालना दूभर।

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बेगूसराय में एक युवक ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। बैंक से पैसा नहीं निकाल पाने की वजह से परिजनों ने चंदा इकट्ठा कर उसका अंतिम संस्कार किया।

परिजन, कई बार बीडीओ कार्यालय व बैंक गए, कोई सुनवाई नहीं हुई। हर दर पर मत्था रगडऩे के बावजूद परिजन 25 घंटे बाद तक कफन का इंतजाम नहीं कर सके। ग्रामीणों को सूचना मिली तो चंदा कर अंतिम संस्कार कराया। तंत्र की लापरवाही का शिकार हुए छौड़ाही प्रखंड के नारायणपीपर गांव के विपिन राम के परिजनों ने बीडीओ व सीओ पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है।

तीन हफ्ते से पीएचसी बंद
परिजनों ने बताया कि एक सप्ताह से विपिन की तबीयत खराब चल रही थी। गरीब होने के बावजूद बीडीओ ने इलाज के लिए सहायता राशि नहीं दी और नोटबंदी के कारण छह दिन बैंक के चक्कर लगाने के बावजूद पैसे नहीं मिले। 22 दिन से पीएचसी बंद होने से निश्शुल्क इलाज नहीं हो सका।
अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। इलाज व दवा के अभाव में शनिवार की देर शाम उसकी मौत हो गई। घर में 25 घंटे तक शव पड़ा रहा।

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आभार: जागरण

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