नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से लगातार परेशानी झेल रही आम जनता के बाद अब राज्य सरकारों की परेशानीयाँ भी सामने आने लगी है। हाल ही में तेलंगाना के सीएम केसीआर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। 25 मिनट के लिए हुई यह मुलाकात मुद्दे पर आने के बाद डेढ़ घंटे तक चली। इसमें मुख्यमंत्री ने पीएम से कहा कि उन्हें राजस्व का भारी घाटा हो रहा है। इसके बाद पीएम ने भी उनके सामने नोटबंदी के परिणामों से हो रही परेशानियों को स्वीकार कर लिया।
सिर्फ तेलंगाना ही राजस्व घाटे से नहीं जूझ रहा बल्कि देश के सभी राज्यों की सरकारों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है। यहां हमने विभिन्न समाचार पत्रों की रिपोर्टों से आंकड़े आपके सामने रखने की कोशिश की है। पढ़िए दिल्ली, पंजाब, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के राजस्व घाटे की हकीकत…
हाल ही में सामने आई विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार नोटबंदी के बाद राज्यों के राजस्वों में भारी कमी आयी है। उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक सभी राज्यों की माली हालत खस्ताहाल है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली सरकार को आबकारी से मिलने वाले राजस्व में सालाना के हिसाब से तकरीबन 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वैट की वसूली में यह राशि बढ़कर 12,000 करोड़ हो गयी, यही नहीं वाहनों के रजिस्ट्रेशन में भी 950 करोड़ का घाटा हो रहा है।
कृषि प्रदेश कहे जाने वाले पंजाब में भी नुकसान के आंकड़े भी भयावह हैं। स्टांप डयूटी के रुप में सरकार को रोज मिलने वाला 200 से 250 करोड़ का राजस्व लगभग शून्य हो गया। वहीं वैट में भी 15 करोड़ से ज्यादा का रोज नुकसान हो रहा है। इसके अलावा आबकारी कर में भी 5 करोड़ से अधिक की कमी आयी है।
तेलंगाना जैसे औद्योगिक प्रदेश को भी नोटबंदी से 6000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है, तो आंध्र प्रदेश के राजस्व में भी 4000 करोड़ से ज्यादा की कमी आयेगी। तो ऐसे में सवाल उठने लगे है की अगर राज्यों के राजस्व में ही इतनी गिरावट हुई है तो राज्य केन्द्र को राजस्व वसूली कहां से देंगे और जनता के जरुरी खर्चों को कैसे पूरे करेगे।
Courtesy: National Dastak