अपना नाम ना छापे जाने की शर्त पर बीजेपी के 5 सांसदों ने मीडिया के सामने नोटबंदी के उल्टे परिणाम सामने आने वाली बात को स्वीकारा है। नोटबंदी से उपेक्षित परिणाम ना मिल पाने के कारण अब बीजेपी की चिंताए उभर कर सामने आने लगी है। पार्टी अब इस बात को कुबूल करने में सामने आने लगी है कि बड़े तबके में बैचेनी साफ दिखाई दे रही है।
नोटबंदी की परेशानियों के बाद केशलैस के समाधान से लोगों की परेशानी हल होती नहीं दिख रही है ऐसे में नकदी की समस्या के चलते इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पांच भाजपा सांसदों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले पर शुरुआती उत्साह के बाद अब साफ नाराजगी दिख रही है। उनका कहना है कि नकदी की कमी, एटीएम के बाहर लंबी लाइनों, स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बुरे असर के चलते गुस्सा बढ़ रहा है। इन सांसदों ने माना कि मजदूरों, बुनकरों, सब्जी बेचने वालों, छोटे दुकानदारों और छोटे उद्योग धंधों को नकदी की कमी के चलते चिंताएं हैं और अन्य सेक्टर्स में नौकरियों की कमी सबसे बड़ा खतरा है।
जनसत्ता की खबर के अनुसार, भाजपा सूत्रों के अनुसार, अलग-अलग राज्यों के पार्टी नेताओं ने नोटबंदी की प्रक्रिया को लेकर अंदरूनी बैठकों में चिंताएं जाहिर की हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं में ज्यादा खलबली है। गौरतलब है कि यूपी में 2017 में चुनाव होने हैं। इसके चलते नेतृत्व ने कुछ समय तक इंतजार करने और फिर उसके अनुसार चुनाव की रणनीति तय करने का फैसला किया है। एक सांसद ने बताया, ”ताजा बयान कि नोटबंदी से डिजीटल इकॉनॉमी का रास्ता खुलेगा, यह चुनाव में नहीं बिकने वाला। अभी तो बिजली और मोबाइल नेटवर्क जैसे मुद्दे ही अनसुलझे हैं। हम दुकानदार या छोटे कारोबारी को डिजीटल होने को कैसे कह सकते हैं?”
भाजपा हालांकि उम्मीद बनाए हुए है और प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता व लोगों के उनमें भरोसे के सहारे है। यूपी से आने वाले एक नेता ने बताया, ”लोगों का भरोसा उनसे( मोदी) से उठा नहीं है। वे भाजपा में विश्वास नहीं करते, उनका मानना है कि नरेंद्र मोदी मतलब देश के लिए अच्छा होगा।” कई सांसदों को वापस लिए गए नोटों के फिर से चलाए जाने की रिपोर्ट ने भी निराश किया है। सांसदों ने बताया कि शुरुआत में कहा गया था कि जो पैसा आएगा वो लोगों की भलाई में लगाया जाएगा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होगा। एक सांसद के अनुसार, ”आम जनता ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्हें उम्मीद थी कि इससे जीवन आरामदायक बनेगा। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब इसके उलट स्थिति है।”
बिहार से एक वरिष्ठ भाजपा सांसद ने बताया, ”पार्टी का धड़ा मानता है कि इस प्रकिया से उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं मिला। उन्होंने आला नेताओ को इस बारे में बता दिया है।” नोटबंदी के असर के सवाल पर एक दूसरे सांसद बोले, ”केवल मोदीजी ही जानते हैं।” इसी बीच पार्टी नेतृत्व ने सांसदों और राज्य नेताओं से इंतजार करने व डिजीटल बैंकिंग का प्रचार करने को कहा है। उन्हें किसानों व कारोबारियों के लिए ट्रेनिंग कैंप लगाने को कहा गया है।
पीएम मोदी ने 50 दिन का आश्वासन दिया था जिसमें 1 महिने से अधिक गुज़र चुका है। अब देखना ये होगा कि बचे हुए दिनों के बाद देश किस प्रकार से नोटबंदी की परेशानियों से निजात पाएगा।
Courtesy: Janta Ka Reporter