नरेंद्र भाई, नोटबंदी के फैसले से आपने देश को मूर्ख बनाया है

गुजरात के पूर्व बीजेपी विधायक राजीव ओजा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओजा का कहना है कि आठ नवंबर से पहले तक अमित शाह नोटों बदलने के धंधे में शामिल थे। ओजा का कहना है कि उनके पास अपने आरोप साबित करने लिए वीडियो रिकार्डिंग है।

ओझा ने प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को लिखी एक खुली चिट्ठी में नोटबंदी के फैसले पर उनकी जम कर आलोचना की है और कहा है कि यह देश को मूर्ख बनाने का कदम है।

गुजरात के पूर्व बीजेपी विधायक राजीव ओजा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ओजा का कहना है कि आठ नवंबर से पहले तक अमित शाह नोटों बदलने के धंधे में शामिल थे। ओजा का कहना है कि उनके पास अपने आरोप साबित करने लिए वीडियो रिकार्डिंग है।
ओझा ने प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को लिखी एक खुली चिट्ठी में नोटबंदी के फैसले पर उनकी जम कर आलोचना की है और कहा है कि यह देश को मूर्ख बनाने का कदम है। ओजा की यह चिट्ठी गुजरात और दिल्ली दोनों जगह भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। ओजा का कहना है कि सभी जिला सहकारी बैंक भाजपा के नजदीकियों के नियंत्रण में हैं। ये सभी बैंक 8 और 9 नवंबर, 2016 को सुबह आठ बजे से भोर पांच बजे तक  500 और 1000 के नोटों को बदलने में लगे रहे। ओजा का कहना है कि नोट बदलने के इस पूरे खेल का उनके पास वीडियो रिकार्डिंग है। यह  दिलचस्प है कि अमित शाह २००२ में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के प्रमुख थे।
ओजा ने पीएम मोदी की चुनौती देते हए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें गलत साबित कर दिखाएं।
ओजा ने लिखा – आपने 8  नवंबर को आरबीआई के जरिये नोटबंदी के तहत उस काले धन का जिक्र किया, जिसे आप सिस्टम से निकाल लेना चाहते हैं। आपने इस दिन बैंकों के पास जमा कैश की जानकारी ली। ऐसा करके आपने खुद मेरे बयान पर मुहर लगा दी है। मैं आपको चुनौती देता हूं, मुझे गलत साबित करें। अगर मैं गलत साबित होऊं तो सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को तैयार हूं।   
देश की जनता जानना चाहती ही कि फॉर्च्यून 500 कंपनियों के अलावा बिल्डरों,ठेकेदारों और खास कर उन ठेकेदारों ने कितना माल कमाया है, जिन्हें सरकारी ठेके मिले थे। उन खनन माफिया और ठेकेदारों ने कितना कमाया है, जिन्हें लौह अयस्क निकालने का ठेका मिला था। दूसरे उद्योगपतियों और सबसे ज्यादा राजनीतिक नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स ने कितना पैसा कमाया है। यतीन ओजा ने 15 नवंबर को मोदी को जो खुली चिट्ठी लिखी वह सोशल मीडिया में वायरल हो गई। यतीन ओजा पहले राजनीतिक हलकों में मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के राजनीतिक गुरु के तौर पर जाने जाते थे। 2016 में उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। ओजा की चिट्ठी वायरल होते ही इंडिया संवाद ने इसे फेसबुक से उठा लिया। यहां पेश है वह चिट्ठी जो ओजा ने पीएम को लिखी-
 
 

प्रिय नरेंद्र भाई

 
उम्मीद है स्वस्थ और सानंद होंगे। आठ नवंबर, 2016 को मैंने नोटबंदी पर आपकी स्पीच सुनी। मुझे बेहद खुशी हुई और आपके साहसिक और ऐतिहासिक कदम की वजह से आपको मैंने बधाई भी दी। लेकिन यह खुशी जल्द ही काफूर हो गई।

नौ नवंबर की सुबह मेरे एक नजदीकी ने बताया कि कल (8 नवंबर)  करीब दोपहर 12 बजे अहमदाबाद के एक नामी उद्योगपति की पत्नी पत्नी एक बड़े ज्वैलरी शॉप में आई और पहले से ऑर्डर किया हुआ 20 करोड़ रुपये का सोना खरीद कर ले गई। संयोग से मेरे उस नजदीकी की पत्नी वहां पहले से ऑर्डर किया हुआ पांच लाख रुपये की ज्वैलरी खरीदने के लिए गई थी। वह महिला नामी डॉक्टर है।  सोना पहले से तैयार और पैक्ड था। आपके साथ नजदीकी के तौर पर काम करने और आपके किचन कैबिनेट का हिस्सा रहने के अनुभव की वजह से एक बात तुरंत मेरे दिमाग में आई कि नोटबंदी के फैसले के बारे में आपके उन नजदीकी उद्योगपतियों बारे में पता होगा, जिनके पास भारत का 50 फीसदी काला धन है। सारा दिन जानकारियां इकट्ठा करने और जानकारी साझा करने की बात सोच कर मैं सन्न रह गया। आपने एक लोकलुभावन फैसला कर किस तरह इस देश के लोगों को मूर्ख बनाया है।

असल में आपका यह कदम आपके नजदीकी लोगों, आपकी पार्टी और इसके कार्यकर्ताओं को मालामाल करने के लिए है। और आपने यह काम देशहित का हवाला देकर किया। मेरे पास एक ऐसा वीडियो रिकार्डिंग है, जिसे देखने के बाद यह साफ हो जाता है आपके नजदीकी अमित शाह 8 नवंबर से आज तक नोट बदलने के कारोबार में मशगूल हैं। उनके दफ्तर और घर के बाहर अपने काले धन को सफेद करने वाले लोगों की लंबी लाइन लगी है। यहां 37 फीसदी कमीशन पर चलन से बाहर हो चुके नोटों को बदला जा रहा है। एक करोड़ रुपये की रकम तो बगैर पहचान के बदली जा रही है। एक करोड़ बैग में भर कर ले जाइए और 67 लाख रुपये ले आइए। मैं यह वीडियो आसानी से जारी कर सकता हूं। लेकिन मैं जानता हूं कि आप उन लोगों को दंड देंगे जो नोट बदलवाने के लिए लाइन में खड़े हैं न कि इस काले कारोबार को अंजाम देने वाले अपने करीबी अमित शाह को। फिर भी मैं दो-तीन सीनियर जर्नलिस्टों को यह वीडियो दिखाऊंगा और आपको भी इस बारे में बताऊंगा ताकि आपको मेरे बयानों की सचाई का पता चल सके।

 जो आपको जानते हैं वह ये नहीं मानेंगे कि आपने कल जिला सहकारी बैंकों पर नोट स्वीकार करने का जो पाबंदी लगाई है, वह हर स्तर पर चल रही अनियमितता को देखते हुए लिया गया फैसला है। आपके दुश्मन भी आपकी काबिलियत, क्षमता और बुद्धिमानी की तारीफ करेंगे। लेकिन एक चीज निश्चित है। सहकारी बैंकों की ओर से नोट स्वीकार किए जाने का पहलू आपके दिमाग में जरूर होगा। आपको अच्छी तरह जानने की वजह से मैं यह जानता हूं कि जब तक आपके दिमाग में कोई ब्लू प्रिंट न हो तब तक आप किसी योजना पर काम नहीं करते। नोटबंदी जैसा कोई भी अहम फैसला उठाते वक्त आपके दिमाग में इसका नफा-नुकसान जरूर रहा होगा। गुजरात में जिला सहकारी बैंकों की ओर से पुराने नोट बदल कर नए नोट बदलने की इजाजत इसलिए मिली कि इन सभी बैंकों का नियंत्रण गुजरात भाजपा के लोगों के पास ही है। 8 नवंबर को सुबह रात नौ बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक इन बैंकों ने 500 और 1000 के पुराने नोटों को छोटे नोटों में बदलने का काम किया। आपने 8 तारीख को आरबीआई के जरिये सभी बैकों के कैश की जानकारी ली थी। आप इस तथ्य को जांच लें कि बैंकों में ज्यादा कैश आया कि नहीं। गलत साबित होने पर मैं सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए तैयार हूं।

लोगों के दिमाग में यह शक है कि नोटबंदी के इस पूरे प्रकरण में शार्क और व्हेलों (बड़े पूंजीपतियों और काला धन कारोबारियों) को छोड़ दिया गया और आपके नजदीकियों को पहले ही जानकारी दे दी गई थी। आपको इस शक को मिटाने के लिए रिजर्व बैंक की वेबसाइट के जरिये एक करोड़ रुपये से ज्यादा रकम रखने वालों के लिए डिस्कलोजर की घोषणा करनी चाहिए। मेरा पक्का दावा है कि फॉर्च्यून 300 कंपनियों का कोई भी चेयरमैन, एमडी या डायरेक्टर यह डिस्कलोजर नहीं देगा। अगर वे डिस्कलोजर नहीं देते हैं तो मेरे आरोप सही साबित होते हैं। मैंने लोगों को चार हजार रुपये के लिए लोगों को भूखे-प्यासे लाइन में खड़े होते देखा है लेकिन इस लाइन में किसी मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी,वोल्वो पोर्श या रैंज रोवर वाले को नहीं देखा। न तो उन्हें पैसे निकालने और न ही जमा करने के लिए लाइन में लगते देखा। हो सकता है कि आपकी राय में ब्लैक मनी सिर्फ उनके पास है जो एटीएम या बैंकों की लाइन में लगे हैं। उनके पास कोई ब्लैक मनी नहीं है जिनके पास बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी बड़ी-बड़ी कारें हैं।   

देश की जनता जानना चाहती ही कि फॉर्च्यून 500 कंपनियों के अलावा बिल्डरों,ठेकेदारों और खास कर उन ठेकेदारों ने कितना माल कमाया है, जिन्हें सरकारी ठेके मिले थे। उन खनन माफिया और ठेकेदारों ने कितना कमाया है, जिन्हें लौह अयस्क निकालने का ठेका मिला था। दूसरे उद्योगपतियों और सबसे ज्यादा राजनीतिक नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स ने कितना पैसा कमाया है।
जब तक इस देश के लोगों को यह पता नहीं चलेगा कि किसने कितना पैसा जमा किया है तब तक यह आरोप लगता रहेगा कि देश के काले धन का आधा हिस्सा आपके आशीर्वाद प्राप्त 10-12 उदयोगपतियों के पास है। इन लोगों को आपकी नजदीकी का लाभ मिला है। इन्हें नोटबंदी की पहले ही जानकारी दे दी गई थी। कम से कम बैंकों की लाइनों में घंटों तक खड़े रहने वाले लोगों को यह जानने का हक है कि आपके नजदीकी इन 10-12 उद्योगपतियों ने कितने पैसे जमा कराए। ये वो लोग हैं जिनको आपने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की जमीन आवंटित की है। और इन लोगों ने 7000 लोगों के लिए रोजगार पैदा नहीं किया है।
अगर आरबीआई की वेबसाइट पर उन लोगों के नाम प्रकाशित किए जाएं जिन्होंने 300 से 400 करोड़ रुपये जमा किए हैं और यह बताया जाए कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है तो यह आपकी विश्वसनीयता कायम करेगा। कम से कम यह पता चलेगा कि आय से संपत्ति का मिलान न होने पर आयकर विभाग क्या कार्रवाई करेगा। मैं आपसे  दरख्वास्त  करता हूं कि इस बात का पता लगाया जाए कि 7 और 8 सितंबर को रात आठ बजे से पहले किसने कितना गोल्ड, डायमंड और ज्वैलरी खरीदी। इससे यह पता चलेगा कि बड़े कारोबारियों और पैसे वालों ने ऐन वक्त पर बड़ी मात्रा में सोना, डायमंड और ज्वैलरी क्यों खरीदी। पीएम साहब इतने मेहरबानी तो करिये कि भारत सरकार की वेबसाइट पर ऐसे लोगों के नाम प्रकाशित हों। इसके बाद ही भारत की जनता जान पाएगी कि नोटबंदी का फैसला उसके हित में है या फिर आपके, आपकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और आपके नजदीकियों के हित में।
 

सिर्फ आपका
यतीन ओजा

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